स्वच्छता मिशन को झटका, बंद पड़ी हैं कूड़े के बदले सिक्का उगलने वाली मशीनें

एक वर्ष से काम नहीं कर रही मशीनें, जागरूकता अभियान पर पड़ रहा असर
मुख्यमंत्री योगी और तत्कालीन नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना ने किया था लोकार्पण

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। नगर निगम ने राजधानी को स्वच्छ रखने के लिए दो वर्ष पहले लखनऊ के मुख्य स्थानों पर कूड़े के बदले पैसा देने वाली मशीन लगाई थी। इसका लोकार्पण फरवरी 2018 में तत्कालीन नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना और सीएम योगी ने किया था। जब ये मशीनें लगाई गई तो लोगों ने इसका खूब प्रयोग किया। लोगों ने मशीनों में कचरा डालना शुरू भी कर दिया था लेकिन स्वच्छता को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए लगाई गईं ये मशीनें पिछले एक वर्ष से बंद पड़ी हैं। इनका इस्तेमाल बंद हो गया है जबकि इसकी देखरेख करने वाला कोई नहीं है।
राजधानीवासियों के मुताबिक इन मशीनों में बोतल और कूड़ा डालने पर सिक्के निकलते थे। ये मशीनें 1090 चौराहा, हजरतगंज, इमामबाड़ा, पत्रकारपुरम, शहीद स्मारक, अंबेडकर पार्क, जनेश्वर मिश्र पार्क, चारबाग, आलमबाग में यह मशीनें लगाई गईं थी। इसका मुख्य उद्देश्य राजधानीवासियों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करना था। साथ ही खुले में प्लास्टिक की खाली बोतल और ग्लास को सडक़ों पर फेंकने से रोकना था। इन मशीनों में कचरे को डालने से पैसे निकलते थे। 8 फरवरी 2018 को दो गाबरेज एटीएम का लोकार्पण किया गया था। उस समय सरकार ने दावा किया था कि स्वच्छ भारत मिशन की कड़ी में यह एक बड़ा और सराहनीय कदम है। इससे शहर में बड़ी मात्रा में कूड़े का निस्तारण होगा। लेकिन यह दावा फिलहाल खोखला ही साबित होता दिख रहा है।

ऐसे संचालित होते हैं गारबेज एटीएम

एटीएम में प्रवेश करने पर मशीन की स्क्रीन को शुरू किया जाता था। स्क्रीन पर मोबाइल नंबर डालने पर एक ओटीपी आता था। इसके बाद स्क्रीन पर स्टेप बाई स्टेप हर जानकारी देनी पड़ती थी। इस सुविधा का लाभ पाने के लिए एप भी इंस्टाल करना पड़ता था। मशीन में प्रक्रिया पूरी करने के बाद कूड़ा डालने पर ई-वॉलेट में पैसा आ जाता था। एटीएम से व्यवसायिक एवं मार्केट एरिया में कूड़े-प्लास्टिक के बोतल, कैन, रैपर व फलों के छिलके आदि का निस्तारण आसानी से होने लगा था। मशीन में एक प्लास्टिक की बोतल डालने पर एक जबकि कांच की बोतल के लिए दो रुपये मिलते थे।

वाई-फाई सुविधा से लैस थीं मशीन

2018-19 में लखनऊ में 10 प्लास्टिक एटीएम लगवाए गए थे। इनमें कूड़ा डालने पर सिक्के निकलते थे। कुछ दिन तक यह मशीन चलीं लेकिन संचालक इनका ठीक तरह से संचालन नहीं कर पाए इसलिए उनका भुगतान नहीं किया गया। मामला अब कोर्ट में लंबित है।
-डॉ. अर्चना द्विवेदी
अपर नगर आयुक्त

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