जरूरतमंद बच्चों की पढ़ाई दांव पर जिम्मेदारों की लापरवाही से एक हजार बच्चों को आरटीई से नहीं मिला प्रवेश

इस बार बिना दाखिले व पढ़ाई के ही रहना होगा दुर्बल आय वर्ग के बच्चों को
दाखिले की समय सीमा समाप्त होने पर नोटिस जारी कर खानापूर्ति कर ली

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। शिक्षा के अधिकार के तहत दुर्बल आय वर्ग के बच्चों को दाखिला देने में आनाकानी करने वाले निजी स्कूलों पर बेसिक शिक्षा विभाग इस बार भी कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा सका। हर बार की तरह इस बार भी दाखिले की समय सीमा समाप्त हो गई और करीब एक हजार से अधिक बच्चे दाखिले से वंचित रह गए। मगर जिम्मेदारों की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा। जिम्मेदार हर बार की तरह इस बार भी नोटिस जारी करने तक सीमित रह गए। ऐसे में सवाल इस बात का है कि दाखिला न पाने वाले एक हजार बच्चों का भविष्य क्या होगा? स्वाभाविक है कि उन्हें इस बार क्या बिना दाखिले व पढ़ाई के ही रहना होगा।
दरअसल, राजधानी में शिक्षा के अधिकार के तहत निजी स्कूलों में दाखिले के लिए इस बार तीसरे चरण में 17 जुलाई से 10 अगस्त तक आवेदन करना था। 11 से 12 अगस्त के बीच जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा आवेदन पत्र का सत्यापन कर उन्हें लॉक करना था। विभाग की ओर से 14 अगस्त को लॉटरी निकाली गई और 30 अगस्त तक पात्र बच्चों का निजी स्कूलों में दाखिला सुनिश्चित कराया जाना था। मगर हर साल की तरह इस बार भी जिम्मेदार तमाम बच्चों को दाखिला दिलाने में नाकाम साबित हुए। इससे अधिक गंभीर बात रही कि जिम्मेदारों ने इन निरंकुश निजी स्कूलों पर कोई ठोस कार्रवाई करने की इस बार भी हिम्मत नहीं दिखाई। शायद यही कारण है कि निजी स्कूल शिक्षा के अधिकार के तहत दुर्बल आय वर्ग के बच्चों को दाखिला देने में दिलचस्पी नहीं दिखाते।

करीब 13 हजार बच्चों को दिलाना था दाखिला

राजधानी में ऑनलाइन माध्यम से 11729 और ऑफलाइन माध्यम से करीब 900 पात्र बच्चों को शिक्षा के अधिकार के तहत दाखिला दिलाया जाना था। मगर दाखिले को लेकर विभाग द्वारा निर्धारित तारीख बीतने के बाद भी महज करीब दस हजार बच्चों को ही निजी स्कूलों में दाखिला मिल सका जबकि करीब एक हजार से अधिक बच्चे इस बार अभी दाखिले से वंचित रह गए हैं। आरटीई को लेकर बच्चों को निशुल्क शिक्षा मुहैया कराने को लेकर अधिकारियों की ओर से बड़े-बड़े दावे भी किए जाते हैं मगर राजधानी के हाल को देखकर प्रदेश के अन्य जिलों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।

पहली बार निकाली गई थी ऑनलाइन लॉटरी

प्रदेश में निजी स्कूलों में गरीब बच्चों के प्रवेश में पारदर्शिता के चलते पहली बार ऑनलाइन लॉटरी निकाली गई। इस लॉटरी के बाद जिन बच्चों को स्कूल का आवंटन नहीं हुआ, उन्होंने दोबारा आवेदन किया। आरटीई एक्ट के तहत निजी स्कूलों में कक्षा एक में 25 फीसदी सीटें गरीब बच्चों के लिए आरक्षित हैं। पहले चरण में यदि बच्चे को अपने मनचाहे स्कूलों में प्रवेश नहीं मिला तो वे दूसरे स्कूलों का विकल्प चुन सकते हैं। प्रदेश सरकार ने इस बार गरीब बच्चों से ऑनलाइन आवेदन लिए हैं। यदि किसी भी स्कूल ने सूची में आए बच्चे को प्रवेश नहीं दिया तो उसे पोर्टल पर उसका कारण भी लिखना पड़ेगा।

कोरोना भी बड़ी वजह

कोरोना वायरस के कारण स्कूल बंद होने का सबसे बड़ा नुकसान उन बच्चों को हुआ है जो शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में पढऩे जा रहे थे। राज्य इस वर्ष आरटीई के तहत निजी स्कूलों में हजारों योग्य बच्चों को प्रवेश नहीं दे पाया। विभाग ने स्कूल बंद होने के कारण आरटीई के तहत प्रवेश के संबंध में कोई ठोस निर्णय नहीं लिया। यही वजह है कि हजारों बच्चे दाखिले से इस बार वंचित रह गए।

इस सत्र में अभी तक करीब दस हजार बच्चों को आरटीई के तहत दाखिला दिलाया गया है। व्यवहारिक रूप से अभी भी दाखिले हो रहे हैं। जिन स्कूलों ने बच्चों को दाखिला नहीं दिया हैं, उनके विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई होगी।
दिनेश कुमार, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, लखनऊ

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