छठ पूजा ठंड पर भारी आस्था घाटों पर उमड़े श्रद्धालु

  • पानी में खड़े होकर व्रतियों ने की पूजा, भगवान भास्कर को दिया अघ्र्य
  • पूरा किया 36 घंटे का निर्जला व्रत, घाट व घर एवं मुहल्ले में प्रसाद भी बांटा

दिव्यभान श्रीवास्तव
लखनऊ। हे गंगा मइया… उगी हो सूरज देव भोर भिनसरवां, करीं क्षमा छठीं मइया भूलचूक गलती हमार… हाली-हाली उगा हे सूरज देव जैसे छठ गीतों से गुंजायमान वातावरण के बीच आज व्रतियों ने उदीयमान सूर्य को अघ्र्य देकर छठ मइया से कोरोना मुक्त समाज बनाने और परिवार की समृद्धि की कामना की। ज्योति गुप्ता व अनन्या मिश्रा के ऑनलाइन छठ गीतों के बीच घाटों पर सुबह से ही व्रतियों का परिवार के साथ आने का सिलसिला शुरू हो गया था। सुबह तडक़े ही लक्ष्मण मेला घाट के साथ ही खदरा के शिव मंदिर घाट, पंचमुखी हनुमान मंदिर घाट, झूलेलाल घाट व मनकामेश्वर उपवन घाट समेत गोमती के सभी घाटों पर व्रतियों का परिवार के साथ जमावड़ा लग गया था। धुंध के बीच पूर्व दिशा की ओर गोमती नदी में खड़ी महिलाएं सूर्योदय का इंतजार कर रही थीं। सूर्य के उदय होते ही महिलाओं ने अघ्र्य दिया और छठी मइया के प्रतीक सुसुबिता पर प्रसाद चढ़ाकर सिंदूर लगाया। नाक से लेकर मांग तक सिंदूर लगाने के साथ घाट से घर वापसी आईं। घर और मुहल्ले में प्रसाद वितरण के साथ व्रतियों ने 36 घंटे निर्जला व्रत का पारण किया। भगवान भास्कर से परिवार के सुख-समृद्घि की कामना की।

मंदिर में दिया अघ्र्य, छतों पर भी किया पूजन

कृष्णानगर के मानसनगर स्थित संकट मोचन हनुमान मंदिर में वंदना सिंह व अमिता समेत महिलाओं ने सुबह अघ्र्य दिया तो सहसेवीर मंदिर में महिलाओं का जमावड़ा लगा रहा। फैजुल्लागंज में सोनिया श्रीवास्तव और मानसनगर में अंजली पांडेय सहित कई महिलाओं ने छत पर पूजन किया। इंदिरानगर, गोमतीनगर, फैजुल्लागंज व आलमबाग समेत राजधानी में हर तरफ पूजन किया गया। व्रतियों में पूजन के साथ ही सुरक्षा को लेकर संजीदगी भी नजर आई। अधिकतर महिलाएं मास्क और सेनेटाइजर के साथ घाट तक पहुंची और पूजन किया। इंदिरानगर की जय विहार की रहने वाली अमिता ने बताया कि व्रत कठिन तो था, लेकिन आस्था और समर्पण के भाव ने आसान कर दिया। मानकामेश्वर उपवन घाट पर महंत देव्यागिरि ने उदीयमान सूर्य को अघ्र्य दिलाया तो खदरा के शिव मंदिर घाट पर धनंजय द्विवेदी के संयोजन में पूजन हुआ। झूलेलाल घाट, संझिया घाट, कुडिय़ाघाट व श्री खाटू श्याम घाट समेत सभी घाटों पर पूजन हुआ।

हे छठी मइया… कह सुहागिनों ने दिया अघ्र्य

सूर्य उपासना का महापर्व छठ शहरभर में मनाया गया। सुहागिनों ने सुबह तडक़े ही उठकर सूर्य नमस्कार किया। इसके बाद विधि-विधान पूजा-अर्चना कर हे छठी मइया… कह उगते सूर्र्य को अघ्र्य दिया। उगते सूर्य को अघ्र्य देने के साथ ही तीन दिवसीय छठ पर्व आज सुबह संपन्न हो गया। उगते सूरज को अघ्र्य देने के लिए घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। सुबह 6:39 बजे सूर्य के उदय होते ही घाटों पर जयघोष होने लगा। व्रती महिलाओं ने उन्हें दूध और जल का अघ्र्य देकर प्रसाद अर्पित किया। इस दौरान कई घाटों पर लोगों ने आतिशबाजी करके भी अपनी खुशी का इजहार किया। शुक्रवार देर शाम भी महिलाओं ने छठी मइया को अघ्र्य देने के लिए पानी में उतरी। भगवान भास्कर को प्रणाम किया। प्रसाद भी बांटा।

ऐसे पूरा हुआ व्रत

व्रतियों ने घाटों पर बेदी बनाई थी। खरना के दिन व्रतियों ने छोटी रोटी (ओठगन) बनाई थी। व्रतियों ने नदी-घाटों से लौटने के बाद उसी रोटी से व्रत तोड़ा। नदी-घाटों पर भगवान सूर्य को अघ्र्य देने के बाद व्रतियों ने लोगों में प्रसाद वितरित किया।

षष्टी को मनाई जाती है छठ

कार्तिक मास की षष्टी को छठ मनाई जाती है। छठे दिन पूजी जाने वाली षष्ठी मइया को बिहार में आसान भाषा में छठी मइया कहकर पुकारते हैं। मान्यता है कि छठ पूजा के दौरान पूजी जाने वाली यह माता सूर्य भगवान की बहन हैं। इसीलिए लोग सूर्य को अघ्र्य देकर छठ मैया को प्रसन्न करते हैं। वहीं पुराणों में मां दुर्गा के छठे रूप कात्यायनी देवी को भी छठ माता का ही रूप माना जाता है। छठ मइया को संतान देने वाली माता के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि जिन छठ पर्व संतान के लिए मनाया जाता है। बच्चों की सुख-शांति के लिए भी सूर्य उपासना का पर्व छठ मनाते हैं।

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