खस्ताहाल सडक़ें और सरकारी तंत्र

sanjay sharma

सवाल यह है कि सरकार शहरों की लाइफ लाइन कही जाने वाली सडक़ों को दुरुस्त करने में नाकाम क्यों है? क्या भ्रष्टïाचार और लापरवाही ने हालात को खराब कर दिया है? तमाम दावों के बावजूद सडक़ें गड्ढामुक्त क्यों नहीं हो सकीं? खराब सडक़ों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं का जिम्मेदार कौन है? क्या लोगों को बेहतर सुविधाएं देना सरकार की जिम्मेदारी नहीं है?

प्रदेश के अधिकांश शहरों की सूरत खस्ताहाल सडक़ों ने बिगाड़ दी है।
सरकार के तमाम दावों के बावजूद इन सडक़ों की आज तक मरम्मत नहीं हो सकी है। खराब सडक़ों के कारण दुर्घटनाएं हो रही हैं। वहीं सरकारी तंत्र इस समस्या पर गंभीर नहीं दिख रहा है। यह सब तब है जब शीर्ष अदालत तक खराब और गड्ढायुक्त सडक़ों को लेकर अपनी चिंता जता चुका है और राज्य सरकारों को इनको दुरुस्त करने के निर्देश दे चुका है। सवाल यह है कि सरकार शहरों की लाइफ लाइन कही जाने वाली सडक़ों को दुरुस्त करने में नाकाम क्यों है? क्या भ्रष्टïाचार और लापरवाही ने हालात को खराब कर दिया है? तमाम दावों के बावजूद सडक़ें गड्ढामुक्त क्यों नहीं हो सकीं? खराब सडक़ों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं का जिम्मेदार कौन है? क्या लोगों को बेहतर सुविधाएं देना सरकार की जिम्मेदारी नहीं है? क्या अच्छी सडक़ों के बिना प्रदेश का विकास संभव हो सकेगा? गुणवत्ता युक्त सडक़ों का निर्माण क्यों नहीं हो पा रहा है?
प्रदेश की राजधानी लखनऊ समेत अधिकांश शहरों की सडक़ों की हालत खस्ता है। अकेले राजधानी में ही सौ से अधिक छोटी-बड़ी सडक़ें खराब हैं। इनकी मरम्मत अभी तक नहीं हो सकी है। कई सडक़ों में बड़े-बड़े गड्ढे बन चुके हैं। खस्ताहाल सडक़ेंदोहरा नुकसान पहुंचा रही हैं। पहला उखड़ी सडक़ों पर वाहन चलने से उडऩे वाली धूल वातावरण में प्रदूषण का स्तर बढ़ा रही है, दूसरा सडक़ें हादसों को न्यौता दे रही हैं। यह धूल लोगों के सांस के साथ उनके शरीर के भीतर पहुंच रही है और लोग श्वांस रोगी बन रहे हैं। इसका असर बच्चों की सेहत पर भी पड़ रहा है। वहीं खराब सडक़ों के कारण आए दिन हादसे हो रहे हैं। इन हादसों में कई लोगों की मौत भी हो चुकी है। कोरोना काल में प्रदूषण फैलाती खराब सडक़ें बेहद चिंताजनक हैं। हैरानी की बात यह है कि नयी बनी सडक़ों की गुणवत्ता भी बेहद खराब है। अधिकांश नयी बनी सडक़ें पहली ही बारिश में उखड़ जाती हैं। जाहिर है सडक़ निर्माण में खेल हो रहा है और इसमें ठेकदार से लेकर कर्मचारी तक शामिल हैं। यह स्थिति तब है जब प्रदेश सरकार ने सडक़ों को गड्ढामुक्त रखने का आदेश दे रखा है। यही हाल प्रदेश के अधिकांश शहरों का है। खराब सडक़ों का असर प्रदेश में देशी और विदेशी पूंजी के निवेश पर भी पड़ता है। जिस राज्य में बेहतर सडक़ें नहीं होती हैं वहां निवेशक पैसा लगाने से कतराते हैं। निवेश नहीं बढऩे का असर उस राज्य की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। यदि सरकार प्रदेश का विकास और लोगों की सेहत की सुरक्षा चाहती है तो उसे बेहतर सडक़ों की व्यवस्था करनी होगी। अन्यथा स्थितियां विस्फोटक हो सकती हैं।

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