कश्मीर में आतंकी साजिशों के मायने

sanjay sharma

सवाल यह है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकी कैसी साजिश को अंजाम देने की फिराक में हैं? क्या राज्य में होने वाले डीडीसी चुनाव में आतंकी हिंसा फैलाना चाहते हैं? आतंकियों के पास से मिले चीनी हैंड ग्रेनेड किस ओर इशारा कर रहे हैं? क्या पाकिस्तान के साथ चीन भी कश्मीर घाटी में हिंसा फैलाने के लिए आतंकियों का सहारा ले रहा है?

जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की साजिश एक बार फिर नाकाम हो गई। जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर नगरोटा बन टोल प्लाजा पर हथियारों के जखीरे के साथ एक ट्रक में छिपकर आ रहे जैश के चार आतंकियों को भारतीय सेना ने ढेर कर दिया। इनके पास से पाकिस्तान में बनी दवाएं, चीन के बने हैंड ग्रेनेड, छह एके-47 व पांच एके-56 राइफल और 7.5 किग्रा आरडीएक्स आदि बरामद किए गए हैं। सवाल यह है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकी कैसी साजिश को अंजाम देने की फिराक में हैं? क्या राज्य में होने वाले डीडीसी चुनाव में आतंकी हिंसा फैलाना चाहते हैं? आतंकियों के पास से मिले चीनी हैंड ग्रेनेड किस ओर इशारा कर रहे हैं? क्या पाकिस्तान के साथ चीन भी कश्मीर घाटी में हिंसा फैलाने के लिए आतंकियों का सहारा ले रहा है? कश्मीर में हिंसा फैलाने के पीछे इमरान सरकार की मंशा क्या है? क्या भारत को अब और चौकन्ना रहने की जरूरत है? क्या कश्मीर में आतंकियों के स्लीपर सेल फिर से सक्रिय हो गए हैं? क्या स्लीपर सेल व कश्मीर में बैठे आतंकियों के सहयोगियों को समाप्त किए बिना यहां स्थायी शांति स्थापित की जा सकती है?
जम्मू-कश्मीर में धारा 370 की समाप्ति के बाद से पाकिस्तान बुरी तरह बौखला गया है। वैश्विक मंचों पर असफल होने के बाद इमरान सरकार एक बार फिर जम्मू-कश्मीर के अमन-चैन को समाप्त करने की साजिश रच रहा है। एक ओर वह सीमा पार से लगातार सेना और रिहायशी इलाकों पर गोलाबारी कर रहा है तो दूसरी ओर आतंकवादियों को भेज कर राज्य के अंदर हिंसा फैलाने की कोशिश कर रहा है। दरअसल, जम्मू कश्मीर में जिला विकास परिषद (डीडीसी) के इसी माह चुनाव होने हैं। पाकिस्तान आतंकियों के जरिए हिंसा फैलाकर इन चुनावों को बाधित करना चाहता है ताकि वह विश्व के सामने यह कह सके कि कश्मीर में सबकुछ ठीक नहीं है। जिस तरह आतंकियों के पास से चीन के बने ग्रेनेड बरामद हुए हैं, उससे साफ है कि अब चीन भी दहशतगर्दों का साथ दे रहा है। चीन के अफसर कुछ माह पूर्व कई आतंकी संगठनों से मुलाकात कर चुके हैं। यह स्थिति बेहद चिंताजनक है। वहीं आतंकियों के पास से बरामद हथियारों के जखीरे से भी पता चलता है कि वे भारतीय सेना को लंबे समय तक उलझाने की मंशा से घाटी में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे थे और इनको स्थानीय स्लीपर सेल की सहायता मिल रही है। जाहिर है सरकार और सेना को अब और भी चौकन्ना रहने की जरूरत है। यदि सरकार कश्मीर में स्थायी शांति चाहती है तो उसे न केवल आतंकियों के स्लीपर सेल बल्कि इनके स्थानीय सहयोगियों का भी खात्मा करना होगा।

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