कालेश्वरम परियोजना बीआरएस के लिए एक एटीएम, मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की मांग कर बोली भाजपा

नई दिल्ली। तेलंगाना में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस केसीआर सरकार के खिलाफ कालेश्वरम प्रोजेक्ट को अहम मुद्दा बना रही हैं। प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बीच यह मुद्दा लगातार चर्चा में बना हुआ है। 1.5 लाख करोड़ के इस प्रोजेक्ट को लेकर विपक्ष बीआरएस सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रही है। अब भाजपा नेता एन रामचंदर राव ने कालेश्वरम परियोजना की जांच सीबीआई को सौंपने की मांग की है।
भाजपा नेता ने कहा, ‘कालेश्वरम परियोजना का निर्माण सच में आवश्यकता से अधिक लागत के साथ किया गया है। कई बार परिषद और विधानसभा में भाजपा कह चुकी है कि यह परियोजना बीआरएस सरकार के लिए एक एटीएम है।’ राव ने जोर देकर कहा कि कैग रिपोर्ट के बाद मामले को जांच के लिए सीबीआई को तुरंत सौंप दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि कैग की रिपोर्ट के बाद साफ है कि जल्दबाजी में पैसा बनाने के लिए फिजूलखर्ची की गई है। इस मामले को अब जांच के लिए सीबीआई को सौंपा जाना चाहिए। हम मांग करते हैं कि तेलंगाना की कांग्रेस सरकार कालेश्वरम मामले की जांच तुरंत सीबीआई को सौंपे।
तेलंगाना की कालेश्वरम परियोजना पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने गुरुवार को एक निराशाजनक रिपोर्ट पेश की थी। इसमें कहा गया है कि यह शुरू से ही आर्थिक रूप से किसी भी काम की नहीं थी। इसमें भारी लागत वृद्धि, ठेकेदारों को मिलने वाले संभावित अनुचित लाभ और इसमें शामिल खराब योजना का विवरण दिया गया है।
इसमें कहा गया कि दुनिया की सबसे बड़ी मल्टी-स्टेज लिफ्ट सिंचाई परियोजना के रूप में चर्चित कालेश्वरम परियोजना की लागत अब 1.47 लाख करोड़ रुपये से अधिक होने की संभावना है। लेकिन, केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) ने अनुमान लगाया है कि यह 81,911 करोड़ रुपये है।
पिछली बीआरएस सरकार की प्रमुख परियोजना के प्रदर्शन ऑडिट पर सीएजी की रिपोर्ट विधानसभा में पेश की गई थी। सीएजी ने यह भी पाया कि यह परियोजना शुरू से ही आर्थिक रूप से अलाभकारी थी। खासकर पिछले साल मेदिगड्डा बैराज के कुछ घाटों के डूबने के बाद कालेश्वरम परियोजना विवादों में घिर गई है।
राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण (एनडीएसए) ने नवंबर में पाया कि मेडीगड्डा बैराज गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गया है। जब तक इसे पूरी तरह से पुनर्निर्मित नहीं किया जाता तब तक यह बेकार हो जाता है। हाल के विधानसभा चुनावों में बीआरएस की हार का एक बड़ा कारण बैराज को हुए नुकसान को माना जा रहा है।
बता दें कि कालेश्वरम परियोजना तत्कालीन अविभाजित आंध्र प्रदेश राज्य द्वारा तैयार की गई डॉ. बी आर अंबेडकर प्राणहिता-चेवेल्ला सुजला श्रवणथी लिफ्ट सिंचाई योजना (पीसीएसएस परियोजना) की एक शाखा है। सीएजी रिपोर्ट के कार्यकारी सारांश में कहा गया है कि तेलंगाना सरकार ने पूरी परियोजना के लिए प्रशासनिक मंजूरी नहीं दी है। इसके बजाय अलग-अलग मंजूरी जारी की है।
रिपोर्ट के मुताबिक परियोजना (मार्च 2022) पर किए गए 86,788.06 करोड़ रुपये के कुल व्यय में से, 55,807.86 करोड़ रुपये (64.3 प्रतिशत) का व्यय ्यढ्ढक्कष्टरु (कालेश्वरम सिंचाई परियोजना निगम लिमिटेड) द्वारा उठाए गए ऑफ-बजट उधार (ओबीबी) से पूरा किया गया था।
इसके साथ ही परियोजना का लाभ-लागत अनुपात (बीसीआर) बढ़ा दिया गया था। 81,911.01 करोड़ रुपये की कम बताई गई परियोजना लागत के साथ भी, बीसीआर 0.75 बैठता है। रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि नवीनतम संभावित परियोजना लागत (1,47,427.41 करोड़ रुपये) को ध्यान में रखते हुए, बीसीआर 0.52 बैठता है।

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