क्या करोड़ों लेकर तय किया गया था बदायूं शहर का सपा का प्रत्याशी

स्थानीय लोगों में भारी नाराजगी, शिकायत पहुंची राष्ट्रीय नेतृत्व तक

स्थानीय नेतृत्व ने गुमराह कर दिया राष्ट्रीय नेतृत्व को
मुंबई के एक दाग़दार व्यापारी को दे दिया गया टिकट

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। एक ओर जहां चुनाव में एक-एक सीट को लेकर घमासान जारी है वहीं बदायूं शहर की समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को लेकर घमासान मच गया है। यहां से अचानक मुंबई के एक दागदार बिल्डर को प्रत्याशी बना दिया गया जिससे हर कोई हैरत में है। आम चर्चा है कि स्थानीय स्तर पर इससे पांच करोड़ लेकर नेतृत्व को गुमराह किया गया और ऐसे प्रत्याशी को टिकट दे दिया गया जिसे कुछ दिन पहले तक कोई जानता भी नहीं था। बदायूं में सपा के टिकटों का यह वितरण किसी के गले नहीं उतर रहा है क्योंकि कई जीती हुई सीटों पर भी गलत बंटवारे से मुसीबत पैदा हो गयी है। इस करोड़ों की डील की चर्चा अब राष्ट्रीय नेतृत्व तक भी पहुंच गयी है।
उल्लेखनीय है कि बदायूं समाजवादी पार्टी का गढ़ रहा है। यहां के पूर्व सांसद धर्मेन्द्र यादव हैं जो सपा मुखिया अखिलेश यादव के करीबी हैं। यहां विवाद सपा के पूर्व स्थानीय विधायक आविद रजा की बगावत से शुरू हुआ। आविद रजा, आजम खां के बहुत करीबी है। उनका धर्मेन्द्र से छत्तीस का आंकड़ा है।
इस चुनाव में धर्मेन्द्र यादव शुरुआत में काजी रिजवान की पैरवी कर रहे थे। उनको सपा मुखिया अखिलेश यादव से मिलवा लाये थे। दोनों के फोटो भी खिंच गये थे। अखिलेश ने उनको सिंबल भी दे दिया था पर इसी बीच मुंबई के अरबपति व्यवसायी रईस अहमद को राजनीति में आने का शौक चर्राया। उसने टिकट पाने के लिये पैसों की थैली खोल दी। बताया जाता है कि एक बड़े नेता को उसने पांच करोड़ रुपये दिये और फिर राष्ट्रीय नेतृत्व को गुमराह किया गया कि रिजवान की जगह रईस अच्छा चुनाव लड़ लेंगे और टिकट रईस को दिलवा दिया गया। रईस को टिकट मिलते ही उनके काले धंधे की बातें बदायूं में चर्चा का विषय बन गयी। बदायूं में मचा घमासान साबित कर रहा है कि यह सीट जानबूझकर स्थानीय लोगों ने भाजपा को दे दी जिससे नगर विकास राज्य मंत्री महेश गुप्ता यह चुनाव जीत जाएं।

नाराजगी देख अखिलेश ने संभाला मोर्चा

बदायूं शहर में गलत टिकट बंटने के बाद जब नाराजगी चरम पर पहुंच गयी तो खुद अखिलेश यादव ने मोर्चा संभाला। उन्होंने काजी रिजवान को बुलाकर समझाया कि सारी बातें भूलकर अब पार्टी को जिताओ। बताया जाता है कि अखिलेश इस पूरे मामले से बहुत नाराज हैं।

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