- मुख्यमंत्री के आदेशों का भी नहीं दिख रहा असर
- बिना शोधन नालों के जरिए गिराया जा रहा सीवर का पानी
- प्रदूषण के कारण आचमन लायक भी नहीं बचा नदी का जल
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। गोमती को निर्मल और अविरल करने के सरकार के तमाम दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं। मुख्यमंत्री के आदेश के बावजूद गोमती में तमाम नालों का पानी बिना शोधन के गिराया जा रहा है। इसके कारण नदी पूरी तरह प्रदूषित हो चुकी है और इसका पानी आचमन लायक भी नहीं बचा है।
सरकार ने गोमती को स्वच्छ करने का वादा किया था। इसके लिए नाले और कल-कारखानों का पानी बिना शोधन के नदी में गिराने पर पाबंदी लगाई गई थी। नदी की साफ-सफाई के नाम पर करोड़ों खर्च कर दिए गए लेकिन स्थितियों में कोई सुधार नहीं हुआ। कुकरैल नाले का पानी साफ करने के लिए लगाया गया जियो टेक्स्टाइल डी-वॉटरिंग ट्यूब बंद कर दिया गया। ऐसे में नाले का गंदा पानी सीधे गोमती में गिर रहा है। गौरतलब है कि 10 अक्टूबर को सीएम योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने जियो ट्यूब का उद्घाटन किया था। इसे गोमती में सीधे गिर रहे नालों का पानी साफ करने के लिए बतौर पायलट प्रॉजेक्ट पेश किया गया था। इसके बाद यहां जाली लगाई गई लेकिन वह भी अब दिखाई नहीं पड़ती है। लिहाजा पानी के साथ ठोस कचरा भी नदी में गिर रहा है। पिछले दिनों एनजीटी ने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट मॉनीटरिंग कमेटी को गोमती के संरक्षण की भी जिम्मेदारी सौंपी थी। कमेटी ने हैदर कैनाल, कुकरैल नाला, घसियारी मंडी नाला आदि का निरीक्षण किया। कमेटी ने पाया कि नालों के जरिये कूड़ा-कचरे के साथ सीवेज भी सीधे गोमती में पहुंच रहा है। पानी शोधन के बाद भी इस्तेमाल करने लायक नहीं बचा है। वहीं कारखानों का केमिकल भी नदी में गिर रहा है।
ऑक्सीजन की मात्रा भी कम
गोमती के पानी में मानक से 34 गुना अधिक वैक्टीरिया मिले हैं। वहीं पानी में ऑक्सीजन की मात्रा भी बेहद कम हो चुकी है। इससे जलीय जीवन को खतरा उत्पन्न हो गया है। हैरानी की बात यह है कि सबकुछ जानते-बूझते जिम्मेदार लापरवाह बने हुए हैं।