10 साल बाद भी वादे नहीं कर पाए पूरे, ‘मोदी की गारंटी’ निकली झूठी

बीजेपी ने दो हजार चौदह चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी को पीएम का चेहरा बनाया था.... देखिए खास रिपोर्ट...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः देश में लोकसभा चुनाव का आगाज हो चुका है…. और लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदना भी उन्नीस अप्रैल को संपन्न हो चुका है… वहीं दूसरे चरण के मतदान के लिए सभी पार्टियां ताबड़तोड़ जनसभाएं और रैलियां कर रही है… और जनता के लुभाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है… और सभी दलों में आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है… सत्ता पक्ष और विपक्ष एक दूसरे को जमकर घेर रहे है… दूसरे चरण की वोटिंग के दिग्गजों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है… जिसको देखकर राजनीतिक गलियारे में सियासी हलचल तेज हो गई है… वहीं जनता ने इस बार मौजूदा सरकार के कामों को ध्यान में रखते हुए मतदान कर रही है… जिससे सत्ताधारी पार्टी की रात की नींद उड़ गई है… और प्रचार प्रसार और तेज कर दिया है…

बीजेपी के लिए महाराष्ट्र में नई चुनौती

इस बीच देश के दूसरे सबसे बड़े लोकतंत्र महाराष्ट्र से एक ऐसी खबर सामने आई है… जिसने बीजेपी के लिए नई चुनौती खड़ी कर दी है… बता दें जब बीजेपी ने दो हजार चौदह चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी को पीएम का चेहरा बनाया था…. उस समय नरेंद्र मोदी महाराष्ट्र के यवतमाल ज़िले के दाभडी गांव गए थे… जहां पर मोदी ने किसानों के साथ बैठकर चाय पी थी… और किसानों के साथ चाय पर चर्चा की थी…. और किसानों से सोलह से सत्रह वादे किए थे…. और दो हजार चौदह में बीजेपी की सरकार बन गई… और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बन गए…. उसके बाद पीएम मोदी ने दोबारा उस गांव की तरफ मुड़कर नहीं देखा… और जिस किसान परिवार के घर बैठकर पीएम मोदी ने चाय़ पी थी… और उस परिवार को भरोसा दिलाया था… कि सरकार बनते ही हम  सारे वादे कि पूरा करेंगे… और किसानों को किसी भी तरह से किसी भी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा…

पीएम मोदी का किसानों से वादा नहीं हुआ पूरा

आपको बता दें कि दो हजार चौदह में पीएम मोदी ने किसानों से वादा करते हुए कहा था….  कि मैं देश के किसानों को विश्वास दिलाता हूं कि हम देश के कृषि क्षेत्र को बदल सकते हैं…. देश का जीवन स्तर बदल सकता है…. देश के गांवों को बदल सकते हैं…. मुझे बस आपका समर्थन चाहिए…. हम देश के किसानों के जीवन में बहुत बड़ा बदलाव लाएंगे…. जिसके बाद साल दो हजार चौदह में एनडीए सरकार बनी… और नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने… वहीं अब इस बात को 10 साल हो गए हैं… औऱ नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार आम लोगों से सरकार बनाने के लिए चुनाव प्रचार में जुटे हैं…. लेकिन उन्होंने दस साल पहले जो वादे किए थे… उनकी क्या स्थिति है…. क्या उनकी सरकार के दौरान किसानों के जीवन में कुछ बदलाव आया है… ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है… बता दें कि चाय पर चर्चा कार्यक्रम में मोदी ने आत्महत्या करने वाले किसानों के परिजनों से बातचीत की थी…. और पिछले दस सालों में उनके जीवन में क्या बदलाव आया है…. वहीं बदलाव को लेकर किसान ने कहा कि दो हजार चौदह के बाद यह संतोषजनक नहीं है….. लेकिन बदलाव ज़रूर आया है…. जहां तक कृषि उपज की क़ीमत की बात है तो यह अंतरराष्ट्रीय बाज़ार के हिसाब से तय होती है…. बता दें कि दो हजार चौदह से पहले भी कपास की क़ीमतें कम थीं… यह 10 वर्षों में बढ़ी हैं….. वहीं पीएम किसान योजना के तहत हर साल छह हज़ार रुपये मिल रहे हैं…. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत केंद्र सरकार किसानों को सालाना छह हज़ार रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करती है…. यह योजना साल दो हजार उन्नीस में शुरू हुई थी….

पीएम मोदी ने विकास कार्यों का उद्घाटन किया

वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अट्ठॉइस फरवरी दो हजार चौबीस को यवतमाल में विकास कार्यों का उद्घाटन किया…. इस मौके पर मोदी ने पीएम किसान के लाभार्थियों की जानकारी देते हुए कहा था,… कि पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत अब तक देशभर के ग्यारह करोड़ किसानों के खातों में तीन लाख करोड़ से ज़्यादा की रकम जमा हो चुकी है…. इसमें महाराष्ट्र के किसानों को तीस हज़ार करोड़ रुपये…. और यवतमाल के किसानों को नौ सौ करोड़ रुपये मिले हैं…. वहीं प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत, किसानों को अपर्याप्त वर्षा, ओलावृष्टि, बाढ़, तूफान, सूखा या फसल में कीट लग जाने जैसी प्राकृतिक आपदाओं से फसल को हुई क्षति पर ही बीमा का लाभ मिलता है…. लेकिन फसल बीमा योजना में फर्ज़ीवाड़ा हो रहा है…. फसल बीमा योजना के तहत किसी भी गांव के दो-तीन किसानों को ही फ़ायदा होता है…. बाकी किसानों को योजना का कोई फायदा नहीं मिलता है….

पीएम मोदी ने चाय पर चर्चा की थी

वहीं पीएम मोदी ने ‘चाय पर चर्चा’ के दौरान कहा था कि यह सरकार की ज़िम्मेदारी है कि वह किसानों के उत्पादन की न्यूनतम लागत वहन करे….. खेती में उपयोग होने वाली चीज़ें कम क़ीमत पर उपलब्ध होनी चाहिए…. और किसान को उसकी उपज का उचित मूल्य मिलना चाहिए….. इससे युवा कृषि क्षेत्र में आएंगे और यह किया जा सकता है….. लेकिन आज 10 साल बाद भी दाभडी के किसान अपनी कृषि उपज की सही कीमत का इंतज़ार कर रहे हैं…. वहीं किसानों को सरकार से केवल एक ही उम्मीद है….और वह उम्मीद है कि किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिले…. जिसको लेकर किसानो का कहना है कि हमें कुछ भी मुफ़्त में नहीं चाहिए…. और क़ीमत उत्पादन की लागत के मुताबिक होनी चाहिए….

किसान कर रहे आत्महत्या

बता दें कि महाराष्ट्र में अगर किसी किसान की आत्महत्या सरकारी मानदंडों के अनुसार ‘आत्महत्या’ की श्रेणी में आती है…. तो परिवार को एक लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी जाती है…. वहीं गांव की पीड़ित मीरा को वह मदद मिल गई थी….. लेकिन इस रकम के सहारे जीवन भर गुज़ारा नहीं चल सकता… जिसके चलते साल दो हजार छह से मीरा आंगनवाड़ी में सहायिका के तौर पर काम करने लगीं…. आपको बता दें कि दाभडी की आबादी करीब तीन हज़ार है…. गांव के लोग अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं…. कुछ लोग तालुका स्थानों में काम करने के लिए अरनी जाते हैं…. वहां दुकानों में मज़दूर का काम करते हैं…. दाभडी में खरीफ सीज़न के दौरान कपास और सोयाबीन जैसी फसलें उगाई जाती हैं…. रबी सीजन में गेहूं, चना की फसल पैदा होती है…. गांव से सटी नहर और कुएं का पानी खेती के लिए पानी का मुख्य स्रोत है….

किसानों से किया वादा नहीं किया पूरा

वहीं अबल लोकसभा चुनाव के दौरान पीएम मोदी के द्वारा महाराष्ट्र के किसानों से दो हजार चौदह में किए गए एक भी वादे धरातल पर नहीं दिखाई दे रहे है….वही पीएम बनने के बाद से मोदी महाराष्ट्र के यवतलाम में दोबारा कभी झांकने तक नहीं गए है… और न ही मोदी के द्वारा किया गया किसानों से वादा पूरा हुआ है…. जिसको लेकर किसानों में नाराजगी व्याप्त है… जिसका असर इस लोकसभा चुनाव में देखने को मिलेगा… बता दें कि नरेंद्र मोदी सत्ता में आने से पहले किसानों से लेकर आम जनता और युवाओं से तमाम वादे किए थे… लेकिन कोई भी वादा आज तक पूरा नहीं हुआ है…. वहीं सत्ता में आते ही पीएम नरेंद्र मोदी जनता से किए सभी वादे भूल चुके हैं… और अपनी जेब भरने में जुटे हुए है…

पीएम मोदी करना चाहते थे देश का कायाकल्प

बता दें साल दो हजार चौदह में पहली बार सरकान बनाने के बाद पीएम मोदी ने जनता से कहना शुरू कर दिया था कि इतनी सारी समस्याओं और भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए मुझे एक बार और मौका दीजिए…. इस बार सत्ता में आते ही हम पूरे देश का कायाकल्प कर देंगे… और देश को बदल कर रख देंगे… पूरे देश में विकास की गंगा बहेगी… और किसी भी जनता को किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होगी… लेकिन दोबारा सत्ता में आने के बाद फिर पीएम मोदी अपने सभी वादों को भूल गए… और फिर तीसरी बार का चुनाव आ गया…. और फिर वहीं पुरानी बातें और वादे जनता से किए जाने लगे… लेकिन बीजेपी का वादा इस बार सिर्फ पांच साल के लिए नहीं किया जा रहा है…. ना ही जनता से पांच साल का समय मांगा गया है… इस बार पीएम मोदी ने अपने बातों में तोड़ा बदलाव किया है…. और इस बार जनता से दो हजार सैंतालील तक का समय मांगा है… और अपने घोषणा पत्र बीजेपी ने यह कहा है कि दो हजार सैंतालीस तक भारत को विकसित भारत बना देंगे… और फिर देश में विकास की गंगा बहेगी…

बीजेपी के वादे निकले झूठे

बता दें कि बीजेपी की बातों को दस सालों से सुन रही जनता को पता चल चुका है कि बीजेपी केवल जनता का ध्यान भटकानें के लिए और जनता से वोट लेने के लिए केवल जुमलेबाजी कर रही है… पिछले दस सालों में बीजेपी के द्वारा किए गए सभी वादे जुमले साबिक हुए है…. बीजेपी ने विपक्ष को निसाने पर लेते हुए खुद चुनावी चंदे के माध्यम से खुद का जेब भरने का काम किया है…. जनता बीजेपी की सभी सच्चाई और वादों को समझ चुकी है… जिसको लेकर जनता ने मन बना लिया है… कि इस चुनाव मे क्या करना है…. वहीं पहले चरण के मतदान को देखकर बीजेपी के होश खराब हो गए है… पहले चरण के मतदान के बाद से बीजेपी और एक्टिव हो गई है… कहीं न कहीं बीजेपी को अपने हार का डर सताने लगा है…

महंगाई, बेरोजगारी का दंश झेल रही है जनता

बता दें कि आज से दस साल पहले महाराष्ट्र के किसानों से किए गए वादे पीएम मोदी के द्वारा पूरे नहीं किए गए है…. वहीं देश के किसान सड़कों पर है…. और जनता महंगाई, बेरोजगारी का दंश झेल रही है… और किसी तरह से अपना गुजारा कर रही है… लेकिन सत्ता मे काबिज हुक्मरानों को जनता की समस्या से कोई लेना देना नहीं है… वहीं बीजेपी के इन जुमलों के लिए जनता क्या फैसला करती है… और इस बार जीत का ताज किसको पहनाती है… यह तो आने वाला वक्त तय करेगा….

 

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