राहुल गांधी के अमेठी आने से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की बढ़ी टेंशन !

4PM न्यूज़ नेटवर्क: आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए इन दिनों देश का सियासी पारा हाई चल रहा है। जिन सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा हो चुकी है वो जनता के बीच पहुँच रहे हैं और लगातार प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। लोगों को अपनी गारंटियां गिना रहे हैं। वहीं कुछ सीटें अभी ऐसी भी हैं जिन्हे लेकर संसय बना हुआ है। अटकलों का बाजार गर्म है। इन्ही सीटों में से हैं यूपी के अमेठी और रायबरेली की सीट जिन्हे लेकर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है। अब कांग्रेस ने भले ही इन दोनों सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा न की हो लेकिन इन सीटों पर उतारे जाने वाले कांग्रेस उम्मीदवारों का बेशब्री से इंतजार भाजपा को भी है। अटकलें ये भी हैं कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी भले ही वायनाड से चुनाव लड़ रहे हों लेकिन वो अमेठी से भी चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि इसपर कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तरफ से खुल कर कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। लेकिन अमेठी सीट पर राहुल गांधी के उतरने से सबसे ज्यादा तकलीफ भाजपा से अमेठी की मौजूदा सांसद स्मृति ईरानी को होने वाली है। उन्हें कहीं न कहीं खुद की हार का डर सताने लगा है। अभी उम्मीदवारों का ऐलान भी नहीं हुआ लेकिन उनका डर साफ़-साफ़ दिखाई देने लगा है।

ऐसा इस लिए भी है क्योंकि एक तरफ जहां भारत जोड़ो न्याय यात्रा के बाद बना हुआ राहुल गांधी का चेहरा और कांग्रेस का न्याय पत्र है वहीं दूसरी तरफ फिर से भाजपा द्वारा दिया गया जुमला। दरअसल पिछले चुनाव में सभी को याद होगा किस तरह से भाजपा सांसद स्मृति ईरानी बड़े-बड़े वादे किये थे। चीनी के रेट से लेकर रोजगार तक न जाने कितने वादे किये लेकिन आज अमेठी की असल हक़ीक़त क्या है ये बात किसी से भी छुपी नहीं है। न चलने के लिए बेहतर सड़क की व्ययवस्था है न ही महिला सुरक्षा। इन सब के बावजूद भी भाजपा इस बार के चुनाव के लिए 400 पार का नारा दे रही है। खैर ये बड़े-बड़े दावे कितने कारगर साबित होंगे भाजपा के लिए ये तो आने वाले समय में ही सामने आएगा। अब आलम ये है कि अमेठी की सांसद स्मृति ईरानी खुद की सीट बचाने के लिए तरह-तरह की जतन कर रही हैं। खुद के द्वारा किये गए पुराने वादों को भूल कर नए जुमलों का किस्सा सुनाने में जुट गई हैं। लेकिन इन सब के बावजूद हार के डर से वो लगातार जनसभाएं कर रही हैं और कांग्रेस नेता राहुल गांधी को भी जमकर घेर रही हैं। दरअसल अभी हाल ही में उन्होंने एक जनसभा को संबोधित किया इस दौरान उन्होंने राहुल गांधी पर निशाना साधने का भी प्रयास किया गया।

अब भाजपा की मंत्री महोदया जिस तरह के भाषण दे रही हैं कि 26 अप्रैल के बाद राहुल गांधी यहां आएंगे इससे एक बात तो साफ़ है कि भाजपा में राहुल गांधी के अमेठी आने से घबराहट का माहौल बना हुआ है। जिस तरह से इन दिनों राहुल गांधी की छवि है इससे एक बात तो साफ है कि अगर इस चुनाव राहुल गाँधी अमेठी से लड़ते हैं तो न सिर्फ भाजपा की हार हो सकती है बल्कि इंडिया गठबंधन को एक बड़ी जीत भी मिल सकती है। जिसे लेकर भाजपा के खेमे में खलबली मची हुई है। वहीं दूसरी तरफ राहुल गांधी लगातार जनता के बीच पहुंच रहे हैं, कांग्रेस के घोषणा पत्र के बारे में लोगों को बता रहे हैं साथ ही प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भाजपा को मुंहतोड़ जवाब भी दे रहे हैं। अभी हल ही में हुई सपा कांग्रेस की सामूहिक प्रेस कॉन्फ्रेंस से भी भाजपा की नींद उड़ गई है। एक तरफ जहां भाजपा के बड़े-बड़े दिग्गज 400 पार का नारा दे रहे हैं। वहीं राहुल-अखिलेश मिल कर भाजपा की पोल खोल रहे हैं।

दरअसल उस प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिये राहुल गांधी ने भाजपा को जमकर घेरा। इस दौरान राहुल ने अपनी सीटों का अनुमान लगाने से इनकार करते हुए कहा कि 15 दिन पूर्व देश में भाजपा को करीब 180 सीटें मिल रही थीं, लेकिन हालात तेजी से बदले हैं। अब भाजपा 150 सीटों तक सिमट जाएगी। राहुल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कहते हैं कि चुनावी बॉन्ड पारदर्शिता के लिए लाया गया है। यह सच है तो सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद क्यों किया। इस मामले में सफाई देने के लिए हाल ही में प्रधानमंत्री ने एक स्क्रि प्टेड इंटरव्यू दिया, जो फ्लाप शो रहा। कांग्रेस नेता ने कहा, प्रधानमंत्री चाहे जितनी सफाई दें, हर कोई जानता है कि वह भ्रष्टाचार के चैंपियन हैं। जिन लोगों ने भाजपा को हजारों करोड़ रुपये दिए, उनके नाम क्यों छिपाए गए। वास्तव में जिन कंपनियों को हजारों करोड़ रुपये का कांट्रेक्ट मिलता है, वही बाद में भाजपा को पैसा देती हैं। इसे सड़क पर उगाही करना कहते हैं। चुनावी बॉन्ड स्कीम दुनिया की सबसे बड़ी उगाही योजना है।

वहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी भाजपा पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि भाजपा ने पेपर लीक से 60 लाख नौजवानों का भविष्य अंधकार में डाल दिया। इससे नाराज लोग भाजपा को वोट नहीं देंगे। उन्होंने अपील की कि एक भी वोट बंट न पाए। मतदान करना है, सावधान रहना है और बूथ की चौकीदारी करनी है। सावधान रहकर मतदान करेंगे और बूथ की चौकीदारी करेंगे तो भाजपा का सफाया होगा। यह देश का चुनाव है, देश की जनता बदलाव चाहती है। भाजपा का नैतिकता का बुलबुला फूट चुका है। उन्होंने कहा,भाजपा भ्रष्टाचारियों का गोदाम बन चुकी है। डबल इंजन की सरकार में होर्डिंग पर अब बस एक नेता दिखाई देते हैं, चुनाव के बाद वह भी गायब हो जाएंगे। हमें उम्मीद है कि देश में आने वाले समय में आईएनडीआईए की नई सरकार बनेगी। एनडीए को पीडीए पिछड़ा, दलित व अल्पसंख्यक हरा देगा। साथ ही अखिलेश ने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश से चली बदलाव की हवा उत्तर प्रदेश और देश में बदलाव लाएगी। आईएनडीआईए गाजियाबाद से गाजीपुर तक भाजपा का सफाया करेगा। प्रेसवार्ता के बाद दोनों नेताओं ने गठबंधन का प्रचार गीत भी लॉन्च किया। बता दें कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपने कार्यकर्ताओं का भी मनोबल लगातार बढ़ा रहे हैं।

ऐसे में अब जिस तरह से कांग्रेस और सपा मिल कर इस चुनाव में एक साथ जोर आजमा रही है इससे भाजपा के खेमे में भूंचाल आया हुआ है। और अब यूपी में बढ़ती कांग्रेस की लोकप्रियता को देखते हुए भाजपा समेत अन्य NDA गठबंधन की पार्टियों की टेंशन बढ़ गई है। अमेठी और रायबरेली की सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती हैं और अब अनुमान लगाया जा रहा है कि इस सीट पर जल्द ही चौंकाने वाला फैसला आने वाला है। आपको बता दें कि राहुल गांधी ने 2019 में वायनाड से भी चुनाव लड़ा था, जहां से उन्हें जीत हासिल हुई. वहीं, रायबरेली से सोनिया गांधी को जीत मिली थी, लेकिन अब वह राज्यसभा सदस्य हैं. ऐसे में दोनों ही सीटें अब गांधी परिवार के हाथों में नहीं हैं. यही वजह है कि सवाल उठ रहा है कि इस बार इन दोनों सीटों से कांग्रेस किसे उम्मीदवार बनाने वाली है. अमेठी-रायबरेली सीट से उम्मीदवारों को लेकर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश से खुद ही इसका जवाब दिया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने कहा था कि उम्मीदवारों के संबंध में कांग्रेस चुनाव समिति तय करेगी.

हम लोग चाहते हैं राहुल और प्रियंका गांधी अमेठी-रायबरेली से चुनाव लड़ें. ऐसा ही कांग्रेस संगठन भी चाहता है. हमें उम्मीद है कि वे यहां से चुनाव लड़ेंगे। और अब प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राहुल गांधी ने भी ऐसा ही जवाब दिया है जिससे भाजपा की टेंशन बढ़ती जा रही है। क्योंकि भाजपा जिस तरह से बड़े-बड़े दावे करती आ रही है, ऐसे में अगर राहुल गांधी अमेठी से चुनाव लड़ते हैं तो इसका असर न सिर्फ अमेठी सीट पर पड़ेगा बल्कि पूरी यूपी की राजनीति का समीकरण बदल जाएगा। जिस तरह से इन दिनों सियासी माहौल चल रहा है ऐसे में एक बात तो तय है कि इस बार के चुनाव में ऐसा कुछ बदलाव होने वाला है जो कि पिछले 10 सालों में नहीं हुआ।

अब भले ही स्मृति ईरानी कहती फिर रही हों कि यह जानते हुए भी कि राहुल गांधी सनातन विरोधी हैं, राम भक्तों ने उन्हें ‘प्राण प्रतिष्ठा’ में आमंत्रित किया था. दुख की बात है कि जो व्यक्ति कभी अमेठी का प्रतिनिधित्व करता था, उसने अहंकारवश निमंत्रण अस्वीकार कर दिया. ‘जो भगवान को ठुकरा दे उस इंसान का क्या होगा’. लेकिन ये बात सभी को पता है कि राहुल गांधी के अमेठी आने से भाजपा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। ये बात किसी से छुपी तो है नहीं कि भाजपा अपने पुराने वादों को भूल कर सिर्फ जाति-धर्म और राम मंदिर के नाम पर वोट मांग रहे हैं। वहीं कांग्रेस सभी राजनीतिक समीकरण से दूर होकर देश हित में लाये गए अपने न्याय पत्र के जरिये लोगों के बीच पहुँच रहे हैं। अब देखना ये होगा कि किसे जनता अपना मत देती है और सरकार किसकी बनती है।

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