टूट गया महायुति गठबंधन ! BJP ने शिंदे-अजित पवार को किया बाहर

मुंबई। लोकसभा चुनावों को लेकर पूरे देश में सियासी पारा काफी हाई है और देश में राजनीतिक हलचल काफी तेज है। सभी सियासी दल अपने-अपने तरीकों से आम जनता को लुभाने में लगे हुए हैं। तो वहीं पहले चरण का मतदान करीब होने पर राजनीतिक दलों द्वारा प्रचार-प्रसार में भी काफी तेजी आ गई है। हर पार्टी के दिग्गज नेता लगातार देश के अलग-अलग कोनों के चक्कर लगा रहे हैं। इस बीच 48 लोकसभा सीटों वाले महाराष्ट्र की राजनीति इस चुनाव में आ दिन काफी दिलचस्प होती जा रही है। क्योंकि महाराष्ट्र में सियासी घटनाक्रम काफी तेजी से बदल रहे हैं। यहां पता ही नहीं चल पा रहा है कि कब क्या हो जाए। जो आज सत्ता पक्ष के साथ खड़ा दिखाई पड़ता है। अगले दिन वो ही विपक्ष में शामिल होकर उसे सत्ता से सवाल करने लगता है। तो वहीं महाराष्ट्र में इस बार कई सीटों पर चुनावी मुकाबला भी काफी दिलचस्प मोड़ पर आ गया  है।

प्रदेश में कई सीटों पर रिश्तों में ही टकराव देखने को मिल रहा है। कहीं ननद-भाभी आमने-सामने हैं तो कहीं देवर-भाभी और ससुर-बहू चुनावी मुकाबले में एक-दूसरे के सामने खड़े हैं। दूसरी ओर सीट बंटवारे को लेकर भी सत्ता पक्ष में काफी उठा-पटक मची हुई है। क्योंकि चुनाव सिर पर हैं लेकिन अभी तक महायुति गठबंधन में सीट बंटवारे पर अंतिम मोहर नहीं लग पा रही है। इसकी वजह ये है कि महायुति में आपस में ही गठबंधन के दलों में ऑल इज़ नॉट वेल है। दरअसल, भाजपा, शिंदे और अजित पवार के बीच सीट बंटवारे को लेकर नाराजगी पनपने लगी है। इसी नाराजगी के चलते सीट बंटवारे में भी देरी हो रही है और कार्यकर्ताओं में भी नाराजगी बढ़ रही है। हालांकि, अभी कहने को सब एकजुट नजर आ रहे हैं। लेकिन अंदर ही अंदर इन दलों में एक-दूसरे को लेकर मनमुटाव बढ़ रहा है। यही वजह है कि ऐसी खबरें अब जोर पकड़ती जा रही हैं कि महायुति में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है।

इस बीच आज महायुति में सहयोगियों के बीच मनमुटाव की खबर को और भी बल मिल। दरअसल, भारतीय जनता पार्टी ने अपने स्टार प्रचारकों की लिस्ट से महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री अजित पवार को बाहर कर दिया है। महायुति में शामिल दोनों सहयोगी दलों के प्रमुखों व प्रदेश सरकार में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री जैसे दो बड़े चेहरों को अचानक स्टार प्रचारक की लिस्ट से बाहर करना महायुति में टूट का एक बड़ा संदेश देता है। और ये जाहिर होता है कि महायुति में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। दरअसल, महाराष्ट्र में भाजपा ने अपने स्टार प्रचारकों की सूचे से सीएम एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री अजित पवार को बाहर का रास्ता दिखा दिया है।

लोकसभा चुनावों की शुरुआती रैली में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पीएम मोदी की जनसभाओं में साथ नजर आए थे। लेकिन अब पार्टी की तरफ से आयोग को जो सूची सौंपी गई है। उसमें अब सीएम शिंदे और डिप्टी सीएम अजित पवार का नाम नहीं है। हालांकि, स्टार प्रचारकों की सूची में दोनों के नाम को हटाने के पीछे कोई वजह नहीं बताई है। इसलिए महायुति में सबकुछ सही नहीं रहने की चर्चाएं और भी तेज हो रही हैं। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह की तरफ से आयोग को भेजी गई सूची में कहा गया है कि यह सूची महाराष्ट्र के चौथे और पांचवें चरण के चुनावों के लिए है। इसमें सूची के साथ लिखे नोट में यह भी कहा गया है जब तब अगली सूची न मिले। इसे ही वैध माना जाए।

महाराष्ट्र में सीएम शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी राज्य में महायुति का हिस्सा है। सीएम शिंदे शुरुआती रैलियों में पीएम के साथ नजर आए थे। ऐसा माना जा रहा है कि बीजेपी ने दोनों नेताओं के नामों को शरद पवार की अगुवाई वाली एनसीपी (एसपी) की आपत्ति के बाद ड्रॉप किया है। एनसीपी शरद पवार ने बीजेपी के खिलाफ चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा था कि बीजेपी ने अन्य दलों के नेताओं को अपने स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल किया है।

ऐसा करना जन प्रतिनिधत्व अधिनियम की धारा 77 को उल्लंघन है।  ऐसे में अपनी नई सूची में इन दोनों नेताओं का नाम बाहर होने के पीछे एक कारण ये भी हो सकता है। जाहिर है कि पहले बीजेपी के स्टार प्रचारकों की सूची में इन दोनों नेताओं का नाम प्रमुखता से शामिल था। बीजेपी ने स्टार प्रचारकों की पहली सूची 28 मार्च को जारी की थी।

कुछ दिन पहले ही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) की तरफ से बीजेपी के स्टार प्रचारकों की सूची पर सवाल खड़े किए जाने के बाद 10 अप्रैल को महाराष्ट्र चुनाव आयोग के सीईओ ने कलेक्टर को पत्र लिखकर कहा था कि स्टार प्रचारकों में सिर्फ पार्टी नेताओं में नाम होने चाहिए। इसमें आयोग ने कहा था कि पार्टी नेताओं को ही स्टार प्रचारक के तौर पर स्वीकार किया जाएगा। राज्य में अजित पवार और सीएम एकनाथ शिंदे की पार्टियां बीजेपी की अगुवाई वाली महायुति का हिस्सा हैं। राज्य में महायुति और कांग्रेस की अगुवाई वाली महाविकास आघाडी के बीच मुकाबला है।

सूची से अचानक इन नेताओं के नाम हटाने के अलावा भी कई और मौकों पर भी महायुति में सबकुछ ठीक न होने का अंदेशा लग चुका है। क्योंकि ये तो तय है कि अजित पवार और एकनाथ शिंदे के कार्यकर्ता व नेता भाजपा की दादागिरी से संतुष्ट नहीं हैं। और चुनाव में बीजेपी के बढ़ते वर्चस्व से भी इन दलों के साथ खुश नहीं हैं। तो वहीं महायुति में एकनाथ शिंदे और अजित पवार की नाराजगी की वजह सीट बंटवारे में भाजपा की मनमानी भी बताई जा रही है। यही वजह है कि शिंदे और अजित पवार के दलों के नेता भाजपा के साथ-साथ अपने दलों से भी असंतुष्ट दिख रहे हैं।

इस दौरान शिंदे की शिवसेना के नेता लगातार नाराजगी और बगावत जाहिर कर रहे हैं। जिसको लेकर भाजपा सीएम शिंदे पर भी दबाव बना रही है। अब एक बार फिर एकनाथ शिंदे के एक नेता ने भाजपा को एक सलाह दे डाली है और एकनाथ शिंदे को लेकर भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के सांसद गजानन कीर्तिकर ने बीजेपी को सलाह दी है कि विपक्ष के खिलाफ ईडी का प्रयोग अब बहुत हो गया है। इसे बंद किया जाना चाहिए। इसके खिलाफ जनता में चिढ़ बढ़ती जा रही है। दरअसल, शिंदे के सांसद ने अपने पुत्र और शिवसेना (उद्धव ठाकरे) गुट के उत्तर-पश्चिम मुंबई से उम्मीदवार अमोल कीर्तिकर के खिलाफ ईडी की कार्रवाई की निंदा भी की है। गजानन उत्तर पश्चिम मुंबई से शिवसेना के मौजूदा सांसद हैं।

शिवसेना में विभाजन के बाद वे एकनाथ शिंदे के खेमे में चले गए, लेकिन उनके पुत्र अमोल कीर्तिकर उद्धव गुट में ही बने रहे। इसके बाद उद्धव ठाकरे ने अमोल कीर्तिकर को उत्तर-पश्चिम मुंबई से महा विकास आघाडी का उम्मीदवार बना दिया। वैसे तो गजानन कीर्तिकर खुद शिंदे की शिवसेना के टिकट पर उत्तर पश्चिम सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे। लेकिन बेटे को दूसरी तरफ से उम्मीदवारी मिलने के बाद उनका पत्ता लगभग कट चुका है। दो दिन पहले ही गजानन कीर्तिकर कह चुके हैं कि पार्टी और महायुति इस सीट से जिसे भी उम्मीदवार बनाएगी, वह उसके लिए प्रचार करेंगे। हालांकि, इस सीट पर शिंदे की शिवसेना ने अब तक किसी भी नाम का ऐलान नहीं किया है।

वहीं दूसरी ओर गजानन कीर्तिकर के बेटे और शिवसेना (यूबीटी) के उम्मीदवार अमोल कीर्तिकर का नाम कोविड काल में मुंबई में हुए खिचड़ी घोटाले में भी लिया जा रहा है। इसी संदर्भ में ईडी अमोल कीर्तिकर को समन जारी कर कई घंटे की पूछताछ भी कर चुकी है। लेकिन गजानन कीर्तिकर का कहना है कि ईडी को इस जांच से कुछ मिलना नहीं है। अपने बेटे का बचाव करते हुए गजानन कीर्तिकर ने कहा कि कोरोना काल में सब कुछ फटाफट चाहिए था। तब बहुत से नए वेंडर सामने आए।

उन्हीं में से एक संजय माशेलकर थे। वह हमारी शिवसेना में थे, उन्होंने एक कंपनी बनाई। अमोल कीर्तिकर और सूरज उसमें पार्टनर नहीं थे। परंतु सप्लाई चेन में उन्होंने जान की बाजी लगाकर काम किया। कंपनी को फायदा हुआ। फायदे में से अमोल कीर्तिकर और सूरज को चेक से उनका मेहनताना दिया गया। ये पैसा बैंक में जमा हुआ। उस पर इनकम टैक्स भी लगा। इसमें किसी तरह की कोई मनी लॉन्ड्रिंग नहीं हुई है।

गजानन कीर्तिकर के भाजपा को सलाह देने और अपने बेटे व उद्धव गुट के नेता का समर्थन करने पर भाजपा ने शिंदे गुट के सांसद पर ही सवाल खड़े खड़े कर दिए हैं। गजानन कीर्तिकर पर निशाना साधते हुए बीजेपी विधायक अमित साटम ने सोशल मीडिया पर कहा कि ऐसा लगता है कि गजानन कीर्तिकर का शरीर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ है, लेकिन आत्मा पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ है। उन्हें एक बार तय कर लेना चाहिए कि वह किसके साथ हैं। मोदी के चेहरे पर और बीजेपी कार्यकर्ताओं की दम पर दो बार सांसद बने। ईडी से डरने की जरूरत भ्रष्टाचारियों को है। जिसने कुछ किया नहीं, उसे डर क्यों? ठाकरे गुट के उम्मीदवार अमोल कीर्तिकर के अकाउंट में खिचड़ी ठेकेदार की तरफ से 95 लाख रुपये आए ही क्यों? इसका जवाब देना चाहिए। भ्रष्टाचारियों की खैर नहीं, कार्रवाई तो होगी ही।

फिलहाल जितना-जितना लोकसभा चुनाव की तारीख करीब आती जा रही है, उतनी ही महायुति गठबंधन में आपस में तल्खियां भी बढ़ती जा रही हैं। यही कारण है कि महायुति में अब तक सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बन पाई है। उल्टा हर बीतते दिन के साथ गठबंधन के सहयोगी दलों के बीच लगातार मनमुटाव सामने आ रहा है। ऐसे में देखना ये है कि क्या चुनाव तक ये गठबंधन सही से चल पाता है या महाराष्ट्र की सियासत में आने वाले दिनों में फिर से कुछ बड़ा घटनाक्रम देखने को मिल सकता है।

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