सुप्रीम कोर्ट की शरद पवार और अजित पवार दोनों गुटों को नसीहत, कही ये बात

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के घड़ी चिह्न को लेकर सुनवाई की। इस दौरान अदालत ने कहा कि अब समय आ गया है कि दोनों गुटों (शरद-अजित पवार) के नेताओं को अदालत में न होकर कहीं और होना चाहिए। साथ ही आदेश दिया की दोनों खेमों के नेता विधानसभा और आम चुनावों के लिए प्रचार सामग्री में प्रतीकों, पार्टी के नाम और डिस्क्लेमर के उपयोग पर उसके दिशा-निर्देशों का पालन करें।

दरअसल, अदालत ने 19 मार्च को निर्देश दिया था कि एनसीपी अपने सभी विज्ञापनों में यह डिस्क्लेमर जरूर दे कि घड़ी चिह्न का उपयोग एक विचाराधीन मामला है। इसी को लेकर दोनों गुटों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। दोनों ने एक-दूसरे पर आरोप लगाया था कि अदालत के आदेश का अनुपालन नहीं किया गया है। इस मामले की न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की खंडपीठ सुनवाई कर रही है। दोनों पक्षों द्वारा दायर आवेदनों का निपटारा करते हुए खंडपीठ ने कहा कि अब समय आ गया है कि दोनों गुटों के नेताओं को अदालत में न होकर कहीं और होना चाहिए।

अदालत ने शरद पवार गुट को निर्देश दिया कि वह पार्टी कार्यकर्ताओं को चुनाव प्रचार में ‘राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार’ नाम और प्रतीक चिह्न ‘तुर्हा’ का उपयोग करने पर जागरूक करें। इसके अलावा, वरिष्ठ नेता के नेतृत्व वाले धड़े को निर्देश दिया कि वह अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं, नेताओं, पदाधिकारियों और सांसदों से चुनाव विज्ञापनों में ‘घड़ी’ के चिह्न का इस्तेमाल नहीं करने के लिए कहे, जो एनसीपी के अजित पवार नीत खेमे को आवंटित किया गया है। इसी तरह, पीठ ने अजित पवार गुट से अखबारों में बड़े और प्रमुख विज्ञापन जारी करने को कहा, जिसमें कहा गया हो कि उसे ‘घड़ी’ के चिह्न का आवंटन न्यायालय के 19 मार्च के आदेश के अनुरूप विचाराधीन है।

इसके अलावा, पीठ ने अपने आदेश में संशोधन करने से इनकार कर दिया जैसा कि अजित पवार के नेतृत्व वाले ब्लॉक ने अनुरोध किया था। न्यायालय ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार नीत पार्टी के धड़े से अंग्रेजी, हिंदी और मराठी में अखबारों में यह सार्वजनिक नोटिस जारी करने को कहा है कि ‘घड़ी’ चुनाव चिह्न आवंटन का मुद्दा अदालत में विचाराधीन है और इस चिह्न का उपयोग फैसले के आधार पर होगा। शीर्ष अदालत ने कहा था, ‘यह डिस्क्लेमर एनसीपी राजनीतिक दल द्वारा जारी किए जाने वाले हर पर्चे, विज्ञापन, ऑडियो या वीडियो में शामिल होना चाहिए।’

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