कांग्रेस के एक और नेता ने की बगावत

नई दिल्ली। कांग्रेस के एक और राजकुमार ने बगावत कर दी है। हिमाचल प्रदेश में सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार में मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने मंत्रिपद से इस्तीफा दे दिया है। अपना इस्तीफा देते हुए उन्होंने प्रदेश सरकार पर अपने पिता वीरभद्र सिंह की उपेक्षा किए जाने का आरोप लगाया है। उन्होंने प्रदेश सरकार पर अपनी और युवाओं की उपेक्षा का भी आरोप लगाया है। प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के समय ही मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और वीरभद्र सिंह परिवार के बीच की दूरी साफ दिख गई थी।
वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह स्वयं मुख्यमंत्री बनना चाहती थीं, लेकिन प्रियंका गांधी की दखल के बाद उस समय ये आफत टल गई थी, लेकिन माना जा रहा है कि विक्रमादित्य सिंह ने जिस तरह खुलेआम सामने आकर मोर्चाबंदी की है, यदि कांग्रेस नेतृत्व ने इसे सही से नहीं संभाला तो प्रदेश सरकार मुश्किल में पड़ सकती है। अब हिमाचल प्रदेश कांग्रेस में बड़ी दरार साफ दिख रही है और इसे संभालना स्वयं प्रियंका गांधी के लिए बड़ी चुनौती साबित होने वाली हैं। अटकलें लगाई जा रही हैं कि प्रतिभा सिंह कभी भी बगावत कर सकती हैं। इसमें उन्हें भाजपा से साथ मिल सकता है।
अपने युवा तुर्कों को न संभाल पाना कांग्रेस के लिए बड़ा सिरदर्द साबित हुआ है। उसकी इसी कमी से इसके पूर्व में मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिर चुकी है, तो उसी की पार्टी के युवा हेमंत बिस्वा सरमा, ममता बनर्जी आज उसके लिए सबसे बड़े सिरदर्द साबित हुए हैं। अब यही स्थिति हिमाचल प्रदेश में भी होती दिखाई पड़ रही है।
हालांकि, जिस तरह विक्रमादित्य सिंह ने तुरंत पार्टी आलाकमान पर किसी तरह का आरोप नहीं लगाया है, और केंद्रीय नेतृत्व द्वारा स्वयं को पूरा साथ दिये जाने की बात कही है, माना जा रहा है कि यदि कांग्रेस नेतृत्व ने उनकी आकांक्षाओं को पूरा किया तो वे बगावत करने से बच सकते हैं।
हिमाचल प्रदेश में बड़ी जिम्मेदारी संभाल चुके एक कांग्रेस नेता ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस का का मतलब वीरभद्र सिंह हुआ करते थे। अब उनकी भूमिका में उनका परिवार आ गया है। विधानसभा चुनाव में भी प्रतिभा सिंह ने अपनी पूरी ताकत लगाई थी और लोगों से वीरभद्र सिंह के भावनात्मक मुद्दे पर वोट मांगा। उसी समय यह माना जा रहा था कि कांग्रेस नेतृत्व उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में आगे बढ़ाएगा।
कांग्रेस नेता के मुताबिक, लेकिन संभवत: परिवारवाद के भाजपा के आरोपों से बचने के लिए पार्टी ने प्रतिभा सिंह को मुख्यमंत्री नहीं बनाया। उनके बेटे को मंत्री बनाकर उन्हें पूरा सम्मान देने की कोशिश की गई, लेकिन फिलहाल आज का घटनाक्रम बता रहा है कि वीरभद्र सिंह का परिवार उससे संतुष्ट नहीं हुआ है। लेकिन यदि नेतृत्व उनकी भावनाओं को संतुष्ट करने में सफल रहता है, तो यह प्रदेश अभी भी कांग्रेस के साथ बना रहेगा।

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