पोस्टर नहीं भाजपा के खिलाफ है जन आक्रोश : कमलनाथ

भोपाल में कांग्रेस ने बेरोजगारी और अत्याचार के खिलाफ बोला हल्ला

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस यात्राओं से वोटरों को साधने में जुटे है। भाजपा की जन आशीर्वाद यात्रा का जवाब देने के लिए कांग्रेस की सात संभाग में मंगलवार से जन आक्रोश यात्रा शुरू हो रही है। इससे पहले कांग्रेस ने भोपाल में बेरोजगार, अत्याचार और घोटाले के खिलाफ पोस्टर लगाए है। पीसीसी चीफ कमलनाथ ने यात्राओं की शुरुआत को लेकर कहा कि यह जन आक्रोश है।
भोपाल में अलग-अलग चौराहों पर पोस्टर और होल्र्डिंग लगाए गए है। इनमें कांग्रेस ने बेरोजगारी, 18 साल में महिलाओं के साथ दुराचार का मुद्दा उठाया है। साथ ही कांग्रेस ने लिखा कि 18 साल बेरोजगारी की मार, 18 साल बहू बेटियों से दुराचार। बस! बहुत हुआ। सीएम शिवराज से वोट नहीं माफी मांगने को कहा। वहीं, पीसीसी चीफ कमलनाथ ने सोशल मीडिया पर जन आक्रोश यात्रा को लेकर लिखा कि श्री गणेश चतुर्थी के पावन पर्व पर कांग्रेस पार्टी आज से अपनी जन आक्रोश यात्राओं का श्री गणेश कर रही है। इन यात्राओं का उद्देश्य शिवराज सरकार के 18 साल के कुशासन से दबी कुचली जनता के दुख-दर्द को अभिव्यक्त करना है। यह जन आक्रोश है। उन्होंने लिखा कि यह मध्य प्रदेश के किसानों की आमदनी घटा देने के खिलाफ। मध्य प्रदेश की बहन बेटियों को असुरक्षित बना देने के खिलाफ। मध्य प्रदेश के नौजवानों से रोजगार छीन लेने के खिलाफ। मध्य प्रदेश की जनता पर महंगाई लाद देने के खिलाफ। मध्य प्रदेश में चल रहे 50 प्रतिशत कमीशन राज के खिलाफ। और यह जन आक्रोश शिवराज सरकार को विदा करने के लिए तत्पर है ताकि मध्य प्रदेश की जनता में नया जोश आए और यहां एक जनप्रिय ठोस सरकार बने।

भाजपा पंचायती राज धीरे-धीरे खत्म कर रही

राजधानी भोपाल के रवींद्र भवन में सोमवार को राष्ट्रीय सरपंच संघ मध्य प्रदेश द्वारा सरपंच महासम्मेलन का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीसीसी चीफ और पूर्व सीएम कमलनाथ ने कहा कि पंचायती राज व्यवस्था को कांग्रेस ने लागू किया। इसे भाजपा ने धीरे धीरे खत्म करने का काम किया। पीसीसी चीफ कमलनाथ ने कहा कि पंचायती राज व्यवस्था कोई नई व्यवस्था नहीं है, बल्कि यह भगवान राम के समय से चली आ रही है। जिसको ख़त्म करने का काम इस 18 साल की भाजपा सरकार ने किया है। पंचायती राज व्यवस्था कांग्रेस के द्वारा ही लागू की गई थी जिसको इस सरकार के द्वारा धीरे-धीरे खत्म करने का काम किया गया है। हम उन सभी अधिकारों और सरपंचों के सम्मान को फिर से स्थापित करने का काम करेंगे। यह बातें मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राजधानी के रवीन्द्र भवन राष्ट्रीय सरपंच संघ मध्यप्रदेश द्वारा आयोजित सरपंच महासम्मेलन को संबोधित करते हुये कहीं। कमलनाथ ने कहा कि कांग्रेस सरकार आने पर हम फिर से मध्य प्रदेश में यह व्यवस्था पूरी तरह से लागू करेंगे। बात चाहे मनरेगा की हो, सरपंचों के वेतन की हो, मनरेगा में जो पावर थी उसे दोबारा लागू करेंगे और सरपंचों के वेतन को दोबारा शुरू किया जाएगा।

भाजपा का एजेंडा पूरा करने को 137 योजनाएं बंद की गईं: दिग्विजय सिंह

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले आरोप-प्रत्यारोप तेज होते जा रहे है। इसी कड़ी में पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने वित्त विभाग के अधिकारियों को सचेत रहने की सलाह देते हुए चेतावनी दी है। दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि भाजपा का एजेंडा पूरा करने के लिए आंकड़ों में बाजीगरी की जा रही है। उन्होंने अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि कांग्रेस की सरकार बनने पर जांच कराएंगे और गड़बड़ करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी। पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने वित्त विभाग पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि 137 योजनाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। वहीं अन्य महत्वपूर्ण योजनाओं में भी बजट को अघोषित तौर पर रोककर भाजपा के चुनावी एजेंडे में सरकार का पैसा डायवर्ट किया जा रहा है। दिग्विजय सिंह ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार के वित्त विभाग के अधिकारियों को प्रदेश के आर्थिक हालात को देखते हुए सचेत रहने की आवश्यकता है। भाजपा के चुनावी एजेंडा को पूरा करने के लिए वित्त विभाग के आला अधिकारी आंकड़ों की बाजीगरी कर प्रदेश की पहले से डगमगाई वित्तीय हालत को और हानि पहुंचा रहे हैं। उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण योजनाओं में भी बजट को अघोषित तौर पर रोककर भाजपा के चुनावी एजेंडे में सरकार का पैसा डायवर्ट किया जा रहा है। इस तरह वित्त विभाग के आला अधिकारी कई महत्वपूर्ण खर्चे को वर्तमान के लिए डालकर भविष्य के लिए बड़ी देनदारी खड़ी कर रहे है। सिंह ने कहा कि मुझे सूचना मिली है कि इसके लिए वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा निचले अधिकारियों पर मनमाफिक नोटशीट लिखने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। कई विभागों की कई निधियां जो वित्त विभाग के पास संधारित है, उसमें से अघोषित तौर पर वित्त विभाग द्वारा सरकार के चुनावी एजेंडे हेतु पैसा खर्च कर दिया गया है। जिसके कारण प्रदेश का वास्तविक ऋण वित्त विभाग द्वारा दिखाए गए आंकड़े से कहीं ज्यादा है।

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