मां-बाप की गलतियों से चिपकू बन जाते हैं बच्चे

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
कुछ पैरेंट्स अपनी गलतियों की वजह से अपने बच्चे के व्यवहार को चिपकू बना देते हैं। ये बच्चे हर छोटी बात पर अप्रूवल के लिए अपने पैरेंट्स के पास आते हैं और अपने फैसले खुद नहीं ले पाते हैं। मां-बाप की इन गलतियों की वजह से बच्चे चिपकू बन जाते हैें, जिससे पैरेंट्स एक पल भी चैन की सांस नहीं ले पाते हैं। मां-बाप की परवरिश पर ही बच्चे का फ्यूचर निर्भर करता है। आपका बच्चा सफल बनेगा या उसे अपनी पहचान बनाने में मशक्कत करनी पड़ेगी, ये सब बच्चे की परवरिश पर निर्भर करता है। कई बार तो मां-बाप बच्चे का पालन-पोषण ऐसे कर देते हैं कि बच्चे चिपकू बन जाते हैं। हमारे कहने का मतलब है कि बच्चे हर वक्त अपने मां-बाप से चिपके रहते हैं और दूसरों से घुलने-मिलने में उन्हें काफी समय लग जाता है।

पैरेंटिंग टिप्स आएंगे काम

अपने बच्चे को चिपकू बनने से बचाने के लिए आप उसे उसकी उम्र के हिसाब से कुछ फैसले लेने की आजादी दें और उस पर कुछ जिम्मेदारियां भी डालें। बच्चे के आत्मविश्वास को बढ़ाने पर फोकस करें और हर बात के लिए उसे आपके पास आने की आदत को बढ़ावा ना दें।

बाउंड्री ना बनाना

जब पैरेंट्स अपने बच्चे के लिए कमजोर बाउंड्री बनाते हैं, तो बच्चे को अपनी खुद की पहचान बनाने में दिक्कत महसूस हो सकती है। इसमें बच्चा अपने रिश्तों पर निर्भर रह सकता है जहां उसे हर छोटी चीज के लिए दूसरों की रजामंदी की जरूरत पड़ती है। ये बच्चे हर बात के लिए अपने पैरेंट्स का अप्रूवल मांगते हैं और इनमें खुद अपने फैसले लेन की क्षमता कम होती है। जिससे ये खुद को सुरक्षित नहीं समझते है।

पैरेंट्स के अप्रूवल की जरूरत

अगर आपके बच्चे को आपकी तारीफ या अप्रूवल की जरूरत पड़ती है, तो वो आपके ऊपर बहुत ज्यादा निर्भर होता जा रहा है। बच्चे को खुद अपनी क्षमता और काबलियित पर भरोसा करना सिखाएं। उसे आत्मविश्वास दिलाएं कि वो जो कर रहा है, वो सही है। आप अपने बच्चे को ऐसा करने की आदत ना डालें कि वो हर मौके पर आपके अप्रूवल का इंतजार करे। उसे ये एहसास करवाएं कि अगर वो जीत हासिल नहीं भी कर पाता है, तो भी आप उससे बहुत प्यार करेंगे।

बहुत देर तक इंतजार करना

कई बार पैरेंट्स बच्चे के चिपकू व्यवहार को पहचान नहीं पाते हैं और इस चक्कर में बहुत देर हो जाती है। कभी-कभी बच्चे का चिपकू होना ठीक है लेकिन अगर आप उसे ऐसा करने से नहीं रोकते हैं तो ये बच्चे की पर्सनैलिटी का एक हिस्सा बन जाएगा। बेहतर होगा कि आप समय रहते बच्चे के इस तरह के बिहेवियर को पहचानें और उसे ठीक करने की कोशिश करें।

ओवरप्रोटेक्टिव बनना

अगर आप अपने बच्चे के लिए ओवरप्रोटेक्टिव हैं, तो वो हर छोटी बात के लिए आपके पास आएगा। वो खुद अपनी परेशानी का हल ढूंढने के बजाय आपके पास दौड़ा चला आएगा। आपका उसके लिए हर वक्त मौजूद रहना अच्छी बात है लेकिन आपको अपने बच्चे को खुद अपनी प्रॉब्लम्स को सॉल्व करने के लिए तैयार करना चाहिए। कम से कम उसे अपनी छोटी-छोटी परेशानियों को तो हल करना आना ही चाहिए। ये पैरेंटिंग स्टाइल ठीक रहता है।

 

 

 

 

 

 

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