सत्र का समापन, सियासी घमासान जारी

  • अब सडक़ पर उठेगा मणिपुर का मुद््दा
  • राहुल ने मोदी पर किए तीखे वार
  • पीएम बोले- विपक्ष मुद्दे से भाग रहा है
  • भाजपा व कांग्रेस आमने-सामने

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। मानसून सत्र खत्म हो चुका है। अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा भी समाप्त हो चुकी है पर मणिपुर पर सियासत अभी खत्म नहीं हुई है। मणिपुर हिंसा पर मोदी सरकार और विपक्ष आमने-सामने है। इस बीच जहां कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री को घेरते हुए बोला है कि पीएम मणिपुर को जलते रहने देना चाहते हैं वहीं पीएम मोदी ने विपक्ष पर राजनीति करने का आरोप लगाया है। ऐसा नहीं कि ये दोनों बड़े नेता ही इस पर बोल रहे है । विपक्ष के सभी बड़े नेता मणिपुर मामले पर बीजेपी पर हमला करने का कोई भी मौका नहीं छोडऩा चाहते हैं। भाजपा भी पलटवार करने में नहीं चूक रही है।
उधर असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि भारतीय सेना मणिपुर में कुछ भी हल नहीं कर पाएगी, और 100 दिनों से अधिक समय से जारी हिंसा का समाधान दिल से आना चाहिए, गोलियों से नहीं। मुख्यमंत्री सरमा ने पूछा कि क्या कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, जिन्होंने सुझाव दिया था कि सेना संघर्षग्रस्त पूर्वोत्तर राज्य में दो दिनों में संघर्ष रोक सकती । क्या सेना को नागरिकों पर गोली चलाने की सलाह दे रहे हैं? गुवाहाटी में हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा,भारतीय वायु सेना ने आइजोल में ऐसा किया, उन्होंने बम बरसाए जब हिंसा कम हो रही थी, आज, राहुल गांधी कह रहे हैं कि भारतीय सेना को मणिपुर में हिंसा रोकनी चाहिए, इसका क्या मतलब है? उन्हें नागरिकों पर गोलियां चलानी चाहिए? क्या यह उनका नुस्खा है? वह ऐसा कैसे कह सकते हैं? सेना कुछ भी हल करने में सक्षम नहीं होगी, ऐसे में वे केवल अस्थायी रूप से शांत हो पाएंगे

पीएम चाहते हैं मणिपुर जलता रहे : राहुल गांधी

राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा कि जब राज्य पिछले चार महीनों से जल रहा है, तो प्रधानमंत्री को संसद में हंसना और चुटकुले सुनाना शोभा नहीं देता। दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री चाहते हैं कि मणिपुर जले और जलने दें। अगर सरकार हिंसा को रोकना चाहती है, तो सरकार के हाथ में ऐसे उपकरण हैं, जो इसे तुरंत रोक सकते हैं। राहुल ने कहा कि जब मैंने प्रधानमंत्री को हंसते हुए और मजाक उड़ाते हुए देखा मैं समझ नहीं पा रहा था कि हिन्दुस्तान का प्रधानमंत्री इस प्रकार से कैसे बोल सकता है। पता नहीं लग रहा है कि हमारे देश में क्या हो रहा है। वो नहीं जा सकते हैं वहां उसके भी कारण हैं। छोडि़ए मैं बता नहीं सकता। लेकिन अगर जा नहीं सकते हैं तो मणिपुर के बारे में बोले तो।

मणिपुर पर विस्तृत चर्चा विपक्षी दलों को चुभती : प्रधानमंत्री

उन्होंने कहा कि मणिपुर पर विस्तृत चर्चा होना जरूरी है, लेकिन असल में क्या हुआ, आप सब देख सकते हैं। विपक्ष ने ऐसा नहीं होने दिया! अगर इतने संवेदनशील विषय पर चर्चा होती तो मणिपुर के लोगों को राहत महसूस होती। उस मुद्दे के समाधान के लिए कुछ समाधान निकल आते, लेकिन विपक्षी लोग इस पर चर्चा नहीं करना चाहते थे। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें पता था कि मणिपुर की सच्चाई उन्हें सबसे ज्यादा चुभने वाली है। उन्होंने कहा कि उन्हें लोगों के दुख-दर्द से कोई मतलब नहीं है, उन्हें तो बस राजनीति से मतलब है। यही कारण था कि उन्होंने चर्चा से बचने का फैसला किया और अविश्वास प्रस्ताव लाकर राजनीतिक बहस को प्राथमिकता दी। पीएम मोदी ने तृणमूल कांग्रेस पर पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव के दौरान भाजपा उम्मीदवारों को धमकाने और बूथ कैप्चरिंग का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वे यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ भी कर सकते हैं कि कोई भी भाजपा उम्मीदवार नामांकन दाखिल न कर सके।

रॉबर्ट वाड्रा ने भी घेरा

वहीं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी द्वारा लोकसभा में गौतम अडानी के साथ अपनी तस्वीर दिखाने पर रॉबर्ट वाड्रा ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि मणिपुर जल रहा है और इस मंत्री (स्मृति ईरानी) को मेरे बारे में किसी तरह की नकारात्मक बात उठानी है, जो संसद में भी नहीं है। इससे पहले रॉबर्ट वाड्रा ने एक फेसबुक पोस्ट डाला और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की आलोचना की थी। गोवा में स्मृति ईरानी और उनकी बेटी के रेस्तरां से जुड़े विवादों से जुड़ी खबरों की तस्वीरें साझा करते हुए जानकारी दने को कहा।

अधीर रंजन ने दी मोदी सरकार को चेतावनी, नहीं दबा सकते आवाज

  • बोले- लोकसभा से निलंबन वापसी नहीं हुई तो सुप्रीम कोर्ट जाऊंगा

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। लोकसभा से निलंबित होने के बाद कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी सरकार पर हमलावर हैं। इस बीच अधीर रंजन ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अगर निलंबन वापस नहीं हुआ तो जरूरत पडऩे पर वो सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते हैं।
हाल ही में समाप्त हुए संसद के मानसून सत्र के दौरान अधीर रंजन को गलत आचरण के चलते लोकसभा से निलंबित कर दिया गया था। हमने संसद में मणिपुर पर प्रधानमंत्री के बयान की मांग की थी। हम चाहते थे कि संसद चले। जब हमारी बात नहीं सुनी गई, तो हमें अविश्वास प्रस्ताव लाने का अंतिम उपाय करना पड़ा।

दिल्ली सेवा बिल बना कानून, अधिसूचना जारी

  • राष्ट्रपति ने किया हस्ताक्षर

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। दिल्ली में सेवा क्षेत्र को उपराज्यपाल के अधीन करने वाले अध्यादेश को कानूनी जामा पहनाने के लिए मानसून सत्र में लाया गया दिल्ली सेवा विधेयक अब कानून बन चुका है। मानसून सत्र में लोकसभा और राज्यसभा से विपक्ष के विरोध के बावजूद पास हुए दिल्ली सेवा बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा गया था। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अब यह बिल कानून बन गया है।
कानून बनते ही भारत सरकार ने इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी है। ज्ञात हो कि  राष्ट्रीय राजधानी में नौकरशाहों पर केंद्र सरकार को अधिकार देने वाला विधेयक उच्च सदन में में भी पारित हो गया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 1 अगस्त को लोकसभा में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 पेश किया। यह विधेयक राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण पर विवादास्पद अध्यादेश को बदलने के लिए है। इसके बाद इसे 7 अगस्त को राज्यसभा में पारित कर दिया गया। राष्ट्रीय राजधानी में नौकरशाहों पर केंद्र सरकार को अधिकार देने वाला विधेयक उच्च सदन में में भी पारित हो गया। विधेयक के पक्ष में 131 वोट आए थे जबकि 102 वोटों इसके खिलाफ थे।

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