आरपीएससी परीक्षा रिश्वतकांड: डीजी का दावा- मिडिलमैन ने लिया कुमार विश्वास की पत्नी का नाम

जयपुर। राजस्थान में सीनियर ग्रेड टीचर पेपर लीक और रिश्वतकांड के मामले में एक के बाद एक नई-नई जानकारियां सामने आ रही हैं. राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्य बाबूलाल कटारा की गिरफ्तारी के बाद एक बार फिर इस मामले ने तूल पकड़ लिया है.
राजस्थान एंटी करप्शन ब्यूरो के कार्यवाहक हेमंत प्रियदर्शी ने बताया कि एक बिचौलिए ने शिकायतकर्ता को विश्वास में लेने के लिए कुमार विश्वास की पत्नी मंजू शर्मा का नाम लिया. बता दें कि मंजू शर्मा राजस्थान पब्लिक सर्विस कमीशन की सदस्य हैं. इस मामले में हुई एफआईआर में मंजू शर्मा का नाम है. उनके अलावा आरपीएससी की सदस्य संगीता शर्मा और संगीता आर्य का भी नाम दर्ज है. एक बिचौलिया ने शिकायतकर्ता को बताया है कि कांग्रेस सरकार में पूर्व राज्य मंत्री गोपाल केसावत संगीता आर्य और मंजू शर्मा को जानते हैं. इनके जरिए वह किसी भी परीक्षा में अभ्यर्थियों का चयन करा सकता है. गौरतलब है कि मंजू आर्य मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सलाहकार और पूर्व मुख्य सचिव निरंजन आर्य की पत्नी हैं.
प्रियदर्शी ने कहा कि आगे क्या होगा इस बारे में कोई भविष्वाणी नहीं की जा सकती, लेकिन हमारी जांच जारी है. फिलहाल हम बिचौलियों की कडिय़ां जोड़ रहे हैं कि उनका आपस में संपर्क कैसे हुआ? भविष्य में आरोपियों को रिमांड पर लिया जाएगा. एक तरफ आरपीएससी पर शक की सुई गहरा रही है तो वहीं यह सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या सदस्यों को क्लीन चिट देने में ्रष्टक्च जल्दबाजी कर रही है? ऐसे 6 सवाल हैं कि जो संदेह पैदा कर रहे हैं. बता दें कि 18.5 लाख रुपए लेने के मामले में शनिवार को 4 आरोपियों को कोर्ट में पेश किया था. इसमें राजस्थान के गैर-अधिसूचित घुमंतू और अर्ध-घुमंतू जनजाति कल्याण बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष गोपाल केसावत भी शामिल थे. जब एसीबी ने चारों आरोपियों की रिमांड नहीं मांगी तो कोर्ट ने उन्हें 15 दिन के लिए जेल भेज दिया. प्रियदर्शी ने अस्थायी तौर पर क्लीन चिट देते हुए कहा, ‘फिलहाल इस प्रकरण में किसी भी स्तर का व्यक्ति शामिल नहीं है. हालांकि, एक बातचीत में एक आरोपी ने दावा किया है कि केसावत का सदस्य मंजू शर्मा से संबंध था और वह ओएमआर शीट में नंबर बदलवाने में सक्षम था.

अनसुलझे हैं ये सवाल

1. एसीबी के रडार पर आए कांग्रेस नेता गोपाल केसावत की बाकी आरोपियों से मुलाका कैसे हुई?

2. आरपीएससी पास कराने के बदले 25 लाख रुपए मांगने वाले इस गिरोह का मास्टरमाइंड कौन है?

3. केसावत ने आरपीएससी सदस्य मंजू शर्मा का नाम क्यों लिया?

4. क्या मंजू और केसावत की कभी आरपीएससी कार्यालय में मुलाकात हुई थी?

5. क्या इस पूरी कार्रवाई में ्रष्टक्च को पैसे लेने के अलावा कोई सबूत नहीं मिला, जिसके आधार पर केसावत या अन्य को रिमांड पर लिया जाता?

6. जब आरपीएससी में नौकरी दिलाने के नाम पर केसावत का नाम लेकर पैसे लिए जा रहे थे तो एसीबी के पास पूछने के लिए सवाल क्यों नहीं हैं?

मिली थी शिकायत
शिकायतकर्ता ने आरोपी को बताया कि उसकी बहन ने भी पेपर दिया है. आरोपी ने जवाब दिया कि वह पेपर के दिन अनुपस्थित थी. तो सवाल है कि यह जानकारी आरोपियों तक कैसे पहुंची? पीडि़त ने बताया कि आरोपियों ने उसके कई दस्तावेज चेक किए थे, ये दस्तावेज उन तक कैसे पहुंचे? जयपुर एसीबी और सीकर की टीम ने शनिवार को कांग्रेस नेता गोपाल केसावत समेत चार दलालों को 18.5 लाख की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था. रिश्वत की रकम आरपीएससी भर्ती परीक्षा में नौकरी दिलाने के लिए मांगी गई थी. इस संबंध में सीकर एसीबी को पीडि़त की तरफ से शिकायत मिली थी.

40 लाख की हुई थी डिमांड

जयपुर एसीबी और सीकर की टीम ने शनिवार को कांग्रेस नेता गोपाल केसावत समेत चार दलालों को 18.5 लाख की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था. रिश्वत की रकम आरपीएससी भर्ती परीक्षा में नौकरी दिलाने के लिए मांगी गई थी. सीकर एसीबी को इस संबंध में एक अभ्यर्थी से शिकायत मिली थी. शिकायत मिलने के बाद एसीबी ने पूरे मामले की जांच की थी. जांच में पता चला कि रिश्वत आरपीएससी में ईओ (कार्यकारी अधिकारी) की भर्ती के नाम पर मांगी गई थी. कुल 40 लाख रुपये की मांग की गयी. एसीबी की जांच में सौदा 25 लाख में तय हुआ.

रंगेहाथों किया था अरेस्ट

मूलरूप से दिल्ली के रहने वाले बिचौलिए अनिल कुमार को 18.50 लाख की रिश्वत लेते पकड़ा गया था. उन्होंने एक और बिचौलिए रवींद्र को 7.50 लाख रुपये दिए. इसके बाद तीनों को पकड़ लिया गया. इस 18.5 लाख रुपए में से 7.5 लाख रुपए परिवादी को लौटा दिए गए और गोपाल केसावत को देने के लिए कहा गया. इसके बाद परिवादी ने गोपाल केसावत को रिश्वत के तौर पर 7.50 लाख रुपए दे दिए. केसावत को भी एसीबी ने शनिवार को रिश्वत की रकम लेते समय गिरफ्तार किया था.

 

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