गुजरात में दिखेगा नीतीश कुमार का असर!

4पीएम की परिचर्चा में उठे कई सवाल

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। बिहार के सीएम नीतीश कुमार दिल्ली आकर विपक्ष के नेताओं को मैनेज करने में जुटे हैं। नीतीश ने अखिलेश के लिये कहा कि यह यूपी संभालेंगे। ऐसे में इस बयान का राजनीतिक अर्थ क्या है? इस मुद्ïदे पर वरिष्ठï पत्रकार सुशील दुबे, शीतल पी सिंह, सुनील शुक्ला, सैयद कासिम, उत्कर्ष सिन्हा और 4पीएम के संपादक संजय शर्मा ने एक लंबी परिचर्चा की।
सुशील दुबे ने कहा कि जेपी नड्डा ने कहा था कि 25 के बाद विपक्ष नहीं रहेगा। ये बहुत बड़ी बात है। जब गुजरात का शख्स प्रधानमंत्री बन सकता है तो कुछ भी संभव है। यूपी में एक-दो सीट पाने वाली पार्टी पदयात्रा पर है। अखिलेश संघर्ष कर रहे हैं।
सैयद कासिम ने कहा, विधान सभा चुनाव में कुर्मियों ने उस तरह वोट नहीं किया, जिस तरह 2014 में किया था। 14 और 19 में कुर्मियों ने भाजपा और अपना दल को वोट दिया। अनुप्रिया पटेल को इसका फायदा भी हुआ। इस बार हर पार्टी से कुर्मी विधायक जीता है। कांग्रेस से भी जीतकर आया तो इतिहास तो बना इस बार। अब कुर्मी क्या चाहता है 24 में पता चलेगा। उत्कर्ष सिन्हा ने कहा कांग्रेस यूपी में लड़ेगी कैसे? अध्यक्ष तक नहीं है इनके पास। प्रियंका गांधी लड़ती नहीं। कांग्रेस के वजूद पर चर्चा करना ठीक नहीं रहेगा। मायावती का स्टैंड यूपी चुनाव में देख लिया सभी ने। नीतीश नई लाइन पर चलना चाहते हैं, वे जानते हैं कन्फ्यूजन नहीं है। नीतीश का महागठबंधन में आना एक प्लान है। एक सर्वे में 55 फीसदी मोदी के पक्ष में है। महंगाई-बेरोजगारी का सवाल तो है। नीतीश के आने से गुजरात में इसका असर जरूर दिखेगा। सुनील शुक्ला ने कहा कि यूपी में गैर राजनीतिक दल में केंद्रबिंदु अखिलेश यादव है। सपा का हर जिले में संगठन है, मजबूत संगठन है। सक्रिय संगठन है। जो पार्टी 41 से 115 पर पहुंच जाए तो फायदे में है। कांग्रेस यूपी में कहीं नहीं, उनके पास लीडरशिप नहीं है। बहनजी की स्थिति सबके सामने है। जयंत और अखिलेश ही नई लीडरशिप है। अखिलेश तथ्यातमक रूप से भाजपा के लिए सही है। हां, वर्तमान में अखिलेश ने मुद्ïदे पर हमेशा लोगों को निराश ही किया। कभी सड़क पर नहीं निकले। वहीं शीतल पी सिंह ने भी परिचर्चा में अपनी बात रखी।

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