नोएडा के बिल्डर कात्याल ने 425 फ्लैट खरीदारों को हर कदम पर दिया धोखा

  • फ्लैट खरीदारों को रजिस्ट्री करने के बाद भी अब तक नहीं दिया कब्जा
  • लोगों से फ्लैट की पूरी कीमत वसूलने के बाद भी रजिस्ट्री का अता-पता नहीं

चेतन गुप्ता, लखनऊ। लोगों को उनका आशियाना दिलाने और संपत्तियों की खरीद-फरोख्त में दलाली करने वाला एक एजेंट हनी कात्याल अचानक एक बड़ा बिल्डर बन गया। जिसने अपना खुद का पहला और एक बड़ा प्रोजेक्ट लांच किया और जरूरतमंद लोगों को उनके घर का सपना दिखाया। सैकड़ों लोग इसके बहकावे में आ गए और अपने जीवन की गाड़ी कमाई फ्लैट खरीदने में लगा दी। अब फ्लैट के खरीदार खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं और दर-दर शिकायत करने के बाद भी उनको कोई राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। जिम्मेदार सरकारी संस्थाओं के अधिकारियों-कर्मचारियों की बिल्डर से मिलीभगत व फ्लैट ऑनर्स के हितों की अनदेखी अपने आप में तमाम बड़े सवाल खड़े कर रही है। पूरा मामला यमुना एक्सप्रेस वे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (येडा) से जुड़े होने के चलते प्रदेश सरकार के कद्दावर मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी की चौखट तक पहुंचा है। मामले की गंभीरता को देखते हुए नंदी ने फ्लैट ऑनर्स को अगले सप्ताह अपने आवास पर बुलाया है।

एक सपना घर हो अपना इस सोच के साथ ग्रेटर नोएडा में फॉर्मूला वन रेस ट्रैक के करीब 425 लोग नोएडा के चर्चित बिल्डर हनी कात्याल के बहकावे में आ गए और उसके प्रोजेक्ट में फ्लैट बुक करा कर अपने जीवन की गाढ़ी कमाई फंसा दी। ग्रेटर नोएडा में फॉर्मूला वन रेस ट्रैक, प्रस्तावित फिल्म सिटी, जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास आपका अपना सपनों का घर वो भी महज 30 लाख से 60 लाख रुपए के बीच तो शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो इस झांसे में ना आए। इसी का फायदा उठाया मुरादाबाद के रहने वाले बिल्डर हनी कात्याल ने। कुछ समय पहले तक रियल इस्टेट के क्षेत्र में ब्रोकर की पहचान रखने वाले हनी ने देखते ही देखते पिछले कुछ सालों में अपनी पत्नी साक्षी कात्याल व परिवार के अन्य सदस्यों के साथ कागजों में करीब 37 कंपनियां खड़ी कर दी। उनमें से एक कंपनी है मैसर्स रॉयल होम टाउन प्लानर्स प्राइवेट लिमिटेड। जिसने यमुना एक्सप्रेस वे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (येडा) के जेपी ग्रीन्स स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में 2013 में हाउसिंग प्रोजेक्ट बीटल लैप फेस वन और टू लांच किया। जिसमें 1 बीएचके, 2 बीएचके, 3 बीएचके साथ में सर्वेंट रूम महज 30 लाख से 60 लाख रुपए में देने का ग्राहकों से वादा किया। प्रोजेक्ट की शुरुआत से लेकर अब तक बिल्डर ने ग्राहकों के साथ सिर्फ छलावा ही छलावा किया। कभी फ्लैट के एरिया को लेकर, तो कभी रेट को लेकर तो कभी मनमाने ढंग से मेंटीनेंस चार्ज थोप कर। वास्तविक कारपेट एरिया और सुपर एरिया की गणना में धांधली की।

कारपेट व सुपर एरिया में 90 प्रतिशत का अंतर है। फ्लैट के सुपर एरिया में भी नियम के विपरीत 8 प्रतिशत की वृद्धि कर दी। खरीदारों पर अतिरिक्त बोझ लाद दिया है पर सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं। खरीदारों का आरोप है कि बिल्डर ने उत्तर प्रदेश भू संपदा विनियामक प्राधिकरण (यूपी रेरा) व मूल विक्रय अनुबंध का भी उल्लंघन किया है। खरीदारों को बिल्डर ने पहला झटका तब दिया जब उसने प्रोजेक्ट का उत्तर प्रदेश भू संपदा नियामक प्राधिकरण में पंजीकरण कराया। बुकिंग के समय खरीदारों को 2018 में कब्जा देने का दावा करने वाले बिल्डर ने रेरा पंजीकरण में कब्जा देने की समय-सीमा मनमाने तरीके से बढ़ाकर जून 2019 कर दिया।

प्रोजेक्ट अधूरा, खरीदारों पर रजिस्ट्री का दबाव
करीब नौ साल में फ्लैट के लाखों रुपए वसूलने के बावजूद बिल्डर ने अब तक प्रोजेक्ट पूरा नहीं किया है। प्रोजेक्ट पूरा किए बगैर खरीदारों पर रजिस्ट्री का बिल्डर दबाव बनाए है। यमुना विकास प्राधिकरण के अधिकारियों से मिलीभगत कर बिल्डर ने कंपलीशन सर्टिफिकेट जारी करा लिया। जबकि महज 60 फीसदी काम हुआ है। तब भी बिल्डर ने खरीदारों को आधी-अधूरी सुविधाओं संग फ्लैट का कब्जा व रजिस्ट्री का दबाव बनाना शुरू कर दिया। जबकि प्रोजेक्ट तक जाने के लिए पक्का रास्ता तक नहीं है। मेंटेनेंस के नाम पर दो साल के एडवांस का भी दबाव खरीदारों पर बनाया जा रहा है। जबकि न सड़क है, न बिजली, न पानी है और ना ही कोई सीवेज सिस्टम। बावजूद इसके यमुना प्राधिकरण ने कंपलीशन सर्टिफिकेट जारी कर दिया है जो कि आपमें बड़ा सवाल है।

बिल्डर से खरीदारों ने बुक फ्लैट की रकम मांगी
46 फ्लैट खरीदारों ने राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार संरक्षण आयोग और यूपी रेरा में परिवाद दर्ज कराकर फ्लैट के मौजूदा बाजार दर से ब्याज समेत रकम वापसी की मांग की है। उत्तर प्रदेश भू संपदा विनियामक आयोग में भी शिकायत कर कब्जे और वित्तीय क्षतिपूर्ति की मांग की है। बिल्डर से परेशान खरीदारों ने बीटल लैप फ्लैट बायर एसोसिएशन का गठन कर अपने हक की लड़ाई तेज की है। करीब 46 खरीदारों ने राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार संरक्षण आयोग में बिल्डर के खिलाफ परिवाद दर्ज करा दिया है। उनका आरोप है कि खरीदारों की लामबंदी के चलते बिल्डर ने प्राधिकरण से सशर्त अधिभोग प्रमाण पत्र हासिल कर लिया। इसके जरिये बिल्डर ने खरीदारों पर आधी अधूरी सुविधाओं के साथ फ्लैट की रजिस्ट्री कराकर कब्जा लेने का दबाव बनाया है, लेकिन अधिकतर खरीदारों ने बिल्डर के इस दबाव को नकार दिया है। जब तक बिल्डर विक्रय अनुबंध के अनुसार तय सुविधाओं के साथ कब्जा नहीं सौंपता है तब तक फ्लैट खरीदारों की लडा़ई जारी रहेगी। बीटल लैप फ्लैट बायर एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट केके जायसवाल ने कहा कि राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार संरक्षण आयोग और यूपी रेरा में परिवाद दर्ज करा दिया गया है। यमुना प्राधिकरण को भी पत्र भेजकर बिल्डर के खिलाफ कदम उठाने की मांग की गई है।

2013 में हमारे जैसे सैकड़ों लोगों ने फ्लैट बुक कराए थे। बिल्डर ने विक्रय अनुबंध का उल्लंघन किया है व मनमाने नियम, शर्तें थोप रहा है। प्रोजेक्ट तीन साल लेट है। फ्लैट रहने लायक नहीं है। बिल्डर रजिस्ट्री के लिए दबाव डाल रहे हैं। खरीदार क्रेडाई, रेरा, यमुना प्राधिकरण के चक्कर लगा रहे हैं। विभागीय मंत्री नंदी से गुहार लगाई है।
– रामेश्वर दयाल गुप्ता, महासचिव, एसोसिएशन

जेपी ग्रीन्स का प्रोजेक्ट है। जमीन को लेकर कुछ दिक्कते आ रही थी, जिसकी वजह से प्रोजेक्ट छह महीने से लेकर एक साल तक लेट हुआ। सारी सुविधाएं उपलब्ध करा दी गई है। एक परिवार शिफ्ट भी हो गया है। अब कोई रजिस्ट्री कराने के बाद भी शिफ्ट नहीं हो रहा तो उसके लिए कुछ नहीं किया जा सकता। सारे आरोप बेबुनियाद है। एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ बैठकर सारी समस्याओं का समाधान कर दिया गया है।
– गुरप्रीत, मार्केटिंग डिपार्टमेंंट, रॉयल होम टाउन प्लानर्स प्रा. लि.

अभी जेल में ही रहेगा गालीबाज श्रीकांत त्यागी

नोएडा। यूपी के नोएडा सेक्टर 93-बी स्थित ग्रैंड ओमेक्स सोसायटी में महिला से अभद्रता करने के मामले में गिरफ्तार आरोपी श्रीकांत त्यागी को अभी जेल में ही रहना होगा। क्योंकि गालीबाज त्यागी की न्यायिक हिरासत 14 दिनों के लिए और बढ़ा दी गई है। सोमवार को श्रीकांत त्यागी की पेशी सूरजपुर कोर्ट में हुई थी। पेशी के दौरान ही 14 दिन की न्यायिक हिरासत बढ़ा दी गई। बता दें कि इससे पहले 9 अगस्त को स्थानीय अदालत ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। श्रीकांत त्यागी की बीते दिनों जमानत अर्जी भी खारिज हो गई थी। कोर्ट के आदेश के मुताबिक श्रीकांत त्यागी मामले में पुलिस को 90 दिनों के अंदर चार्जशीट दाखिल करनी है। चार्जशीट दाखिल होने के बाद ट्रायल यानी सुनवाई शुरू होगी। फिलहाल 26 तारीख को श्रीकांत की बेल पर सुनवाई होनी है।

एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स का गठन

लखनऊ। शासन ने सोमवार देर रात 15 आईपीएस अधिकारियों के तबादले कर दिए। प्रतिनियुक्ति से वापस आए डीआईजी अब्दुल हमीद को एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स का डीआईजी बनाया गया है। इस फोर्स का गठन पहली बार किया गया है। 11वीं वाहिनी पीएसी सीतापुर में तैनात सेनानायक अखिलेश कुमार चौरसिया को स्थापना में पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनाती दी गई है। 2016 बैच के आईपीएस और अभी तक बरेली में अपर पुलिस अधीक्षक नगर के पद पर तैनात रविंद्र कुमार को पुलिस कमिश्नरेट कानपुर में डीसीपी के पद पर तैनाती दी गई है। इसके अतिरिक्त 12 प्रशिक्षु आईपीएस अधिकारियों के भी तबादले किए गए हैं। इन्हें बतौर अपर पुलिस अधीक्षक व अपर पुलिस उपायुक्त के पद पर तैनाती दी गई है। अभी तक यह सीओ व एसीपी के पदों पर तैनात थे। लखनऊ में तैनात अनिल कुमार यादव का स्थानांतरण नोएडा कर दिया गया है। गाजियाबाद में सहायक पुलिस अधीक्षक अभिजीत आर शंकर को अपर पुलिस उपायुक्त के पद पर लखनऊ में तैनाती दी गई है। अपर पुलिस उपायुक्त पूर्वी सैयद अली अब्बास को लखनऊ में ही तैनाती दे दी गई है। 2018 बैच के साद मियां को बरेली से नोएडा, मनीष कुमार शांडिल्य को अलीगढ़ से वाराणसी कमिश्नरेट, अंकिता शर्मा को नोएडा से कानपुर नगर पुलिस कमिश्नरेट, राहुल भाटी को गोरखपुर से बरेली, अभिषेक भारती को प्रयागराज से गाजीपुर, संदीप कुमार मीणा को मथुरा से मुरादाबाद, संतोष कुमार मीणा को वाराणसी से प्रयागराज, अनिरुद्ध कुमार को अभिसूचना मुख्यालय लखनऊ से फतेहपुर और लखन सिंह यादव को वाराणसी से पुलिस कमिश्नरेट कानपुर में तैनाती दी गई है।

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