भारत जोड़ो यात्रा से राहुल को मिली मजबूती

  • इस यात्रा से देश में सरकार के विरोध का स्वर बनाने में कामयाब हुई कांग्रेस

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
कुरुक्षेत्र। राहुल गांधी की भारत जोड़ो पदयात्रा लगभग तीन-चौथाई से भी ज्यादा सफर तय कर चुकी है। तीन जनवरी से यह यात्रा अपने शेष सफर को पूरा करने के लिए फिर शुरू हो चुकी है और जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में जाकर समाप्त होगी। राहुल गांधी और भारत जोड़ो यात्रा को मिलने वाला भारी जनसमर्थन कन्याकुमारी से लेकर दिल्ली और दिल्ली के बाद उत्तर प्रदेश में भी बदस्तूर जारी है।
राहुल गांधी की भारत जोड़ो पदयात्रा ने जनता में जो हलचल पैदा की है, उसे अगर कांग्रेस अपने अगले कार्यक्रमों के जरिए सरकार के विरोध की राजनीति का स्वर बनाने में कामयाब हुई, तो 2024 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ही विपक्षी एकता और विपक्षी राजनीति की धुरी बनेगी।
साथ ही अगर इस यात्रा में राहुल गांधी अपने छोटे भाई (चाचा संजय गांधी के बेटे) वरुण गांधी को भी किसी मोड़ पर साथ जोड़ सके, तो नेहरू इंदिरा का परिवार और विरासत भी एकजुट हो सकेगी। सियासी हल्कों और सोशल मीडिया में यह चर्चा जबर्दस्त तरीके से हो रही है।

मध्य प्रदेश के विक्रम चल रहे हैं नंगे पांव

पानीपत। राहुल गांधी की अगुवाई वाली भारत जोड़ो यात्रा में नंगे पैर यात्रा करने वाला एक शख्स आकर्षण का कारण बन गया है। पेशे से अधिवक्ता विक्रम प्रताप सिंह। मध्य प्रदेश से भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुए और नंगे पांव चल रहे हैं। ये बात विक्रम को अन्य लोगों से अलग बनाती है। मध्य प्रदेश के उमरिया जिले के रहने वाले विक्रम सिंह पिछले 2.5 महीनों में 1200 किलोमीटर से अधिक चल चुके हैं। विक्रम प्रताप सिंह ने अपने संकल्प के बारे बात करते बताया, कि मैंने पिछले साल 28 अक्टूबर से राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा शुरू करने के बाद से जूते-चप्पल छोड़े हैं। मैं देश में इस यात्रा का संदेश फैलाना चाहता हूं। शुरू से ही इस यात्रा में शामिल होना चाहता था। मैंने उनके संदेश को फैलाने का एक संकल्प लिया है।

वरुण तैयार, राहुल की हां का इंतजार

इन चर्चाओं के मुताबिक वरुण को इस यात्रा से जोडऩे और राहुल का रुख उनके प्रति नरम करने की कोशिशें पर्दे के पीछे पार्टी और परिवार के कुछ शुभचिंतक कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक वरुण लगभग तैयार हैं लेकिन उन्हें अपने बड़े भाई राहुल गांधी के सकारात्मक संकेत का इंतजार है। जबकि वरुण को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में राहुल कह चुके हैं कि यात्रा में जो भी आना चाहे उसका स्वागत है, जहां तक वरुण का सवाल है वह भाजपा में हैं और उन्हें यात्रा में आने से वहां समस्या हो सकती है। वरुण गांधी के सवाल पर कांग्रेस के एक बेहद वरिष्ठ नेता का कहना है कि देर सिर्फ दोनों भाईयों के बीच इस मुद्दे पर संवाद की है, जिस दिन यह हो गया उसी दिन सारी बर्फ पिघल जाएगी। देखना यह है कि पहल कौन करता है। क्या राहुल बड़े भाई का फर्ज निभाते हुए छोटे भाई वरुण को गले लगाने के लिए आगे बढ़ते हैं या फिर वरुण खुद बड़े भाई का साथ देने के लिए कोई कदम उठाते हैं। वैसे अगर राहुल पहल करते हैं तो इससे उनकी बदलती छवि में एक बड़ा सितारा और टंक जाएगा और उन्हें परिवार व उसकी विरासत को जोडऩे का श्रेय मिलेगा। दिल्ली तक की यात्रा पूरी करने के बाद कांग्रेस ने आगे इस यात्रा में शामिल होने के लिए सभी विपक्षी दलों को पत्र लिखकर आमंत्रित किया है। यहां तक कि कांग्रेस प्रवक्ताओं ने संवाददाता सम्मेलन में अनौपचारिक तौर पर भाजपा से भी यात्रा में शामिल करने की अपील कर दी। कांग्रेस की एक राजनीतिक कोशिश है कि इस यात्रा के जरिए केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों को एक मंच पर भी लाया जा सकता है। हालांकि जहां नेशनल कांफेंंस के अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने यात्रा में शामिल होकर उसे अपना समर्थन दे दिया है, जबकि पीडीपी अध्यक्ष और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी यात्रा का समर्थन करते हुए उसमें शामिल होने की बात कही है।

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