28 साल बाद बाबरी विध्वंस केस पर फैसला आडवाणी, जोशी, कल्याण समेत सभी आरोपी बरी

  • सीबीआई की विशेष अदालत ने सुनाया निर्णय
  • जज बोले, पूर्व नियोजित नहीं थी घटना, नहीं मिले साक्ष्य
  • ढांचे को सुरक्षित रखना चाहते थे अशोक सिंघल

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। देश की राजनीतिक दिशा को बदलने वाले बाबरी विध्वंस केस में 28 साल बाद सीबीआई की विशेष अदालत ने आज अपना फैसला सुना दिया। विशेष जज सुरेंद्र कुमार यादव ने फैसला सुनाते हुए लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, महंत नृत्य गोपाल दास, कल्याण सिंह समेत सभी 49 आरोपियों को बरी कर दिया। सुनवाई के दौरान 17 आरोपियों की मौत हो चुकी है। ऐसे में बाकी बचे सभी 32 आरोपी दोष मुक्त करार दिए गए हंै। वहीं फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि न्याय की जीत हुई है।
विशेष जज सुरेंद्र कुमार यादव ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि घटना वाले दिन विहिप और उसके तत्कालीन अध्यक्ष दिवंगत अशोक सिंघल ने उग्र भीड़ को रोकने की कोशिश की थी। जो भी आरोपी वहां मौजूद थे सभी ने कारसेवकों को रोकने का प्रयास किया। ऐसा कोई भी साक्ष्य नहीं मिला, जिससे यह साबित हो सके कि इसके पीछे साजिश रची गई थी। सीबीआई की तरफ से जो फोटो कॉपी साक्ष्य के तौर पर उपलब्ध कराई गई उसकी मूल प्रति पेश नहीं की गई। सीबीआई ने साध्वी ऋतंभरा व कई अन्य अभियुक्तों के भाषण के टेप को सील नहीं किया। जज ने कारसेवकों को भी दोष मुक्त कर दिया। जज ने कहा कि जो कारसेवक वहां मौजूद थे, वे सभी उन्मादी नहीं थे, बल्कि कुछ असामाजिक तत्वों ने भीड़ को उकसाया था।

ये हुए दोष मुक्त
जिन 32 आरोपियों को बरी किया गया है उसमें भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, महंत नृत्य गोपाल दास, डॉ. राम विलास वेदांती, चंपत राय, महंत धर्मदास, सतीश प्रधान, पवन कुमार पांडेय, लल्लू सिंह, प्रकाश शर्मा, विजय बहादुर सिंह, संतोष दूबे, गांधी यादव, रामजी गुप्ता, ब्रज भूषण शरण सिंह, कमलेश त्रिपाठी, रामचंद्र खत्री, जय भगवान गोयल, ओम प्रकाश पांडेय, अमर नाथ गोयल, जयभान सिंह पवैया, साक्षी महाराज, विनय कुमार राय, नवीन भाई शुक्ला, आरएन श्रीवास्तव, आचार्य धमेंद्र देव, सुधीर कुमार कक्कड़व धर्मेंद्र सिंह गुर्जर शामिल हैं।

2300 पेज का फैसला पेश किए गए 351 गवाह

छह दिसंबर, 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा गिराया गया था। इस मामले में कुल 49 प्राथमिकी दर्ज हुई थी। अयोध्या विध्वंस केस का निर्णय 2300 पेज का है। सीबीआईं व अभियुक्तों के वकीलों ने ही करीब साढ़े आठ सौ पेज की लिखित बहस दाखिल की है। इसके अलावा कोर्ट के सामने 351 गवाह सीबीआई ने परीक्षित किए व 600 से अधिक दस्तावेज पेश किए।

6 दिसंबर 1992 को जो कुछ भी हुआ वह पूर्व नियोजित घटना नहीं थी। घटना आकस्मिक थी। आरोपियों के खिलाफ कोई साक्ष्य भी नहीं मिले हंै।
सुरेंद्र कुमार यादव, विशेष जज सीबीआई कोर्ट

सीबीआई कोर्ट के फैसले का तहेदिल से स्वागत करता हूं। इस फैसले ने राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रति मेरे निजी विश्वास और भाजपा की प्रतिबद्धता को और मजबूत किया है।

लाल कृष्ण आडवाणी वरिष्ठï भाजपा नेता

अदालत ने ऐतिहासिक फैसला दिया है। इससे साबित हो गया कि 6 दिसंबर को अयोध्या में विवादित ढांचा गिराए जाने को लेकर कोई साजिश नहीं हुई थी। पूरा देश प्रसन्न है। अब हर कोई रामजन्मभूमि मंदिर के निर्माण को लेकर उत्साहित है।
मुरली मनोहर जोशी
वरिष्ठï भाजपा नेता

अदालत के फैसले का मैं स्वागत करता हूं। इस निर्णय से यह साबित हुआ है कि देर से ही सही मगर न्याय की जीत हुई है।
राजनाथ सिंह, रक्षामंत्री

28 साल बाद बाबरी मस्जिद को लेकर जो फैसला आया है उसका हम स्वागत करते हैं। अदालत ने कहा है कि ये कोई साजिश नहीं थी, ये ही निर्णय अपेक्षित था।
संजय राउत, नेता शिवसेना

सीबीआई कोर्ट का आज का फैसला भारत की अदालत की तारीख का काला दिन है। क्या जादू से मस्जिद को गायब कर दिया था, क्या जादू से मूर्तियां रखी गयीं थीं, क्या जादू से ताले खोले गए। क्या यह सच नहीं है कि उमा भारती ने कहा था कि एक धक्का और दो, बाबरी मस्जिद तोड़ दो।
असदुद्दीन ओवैसी एआईएमआईएम प्रमुख

फैसले को देंगे चुनौती: जिलानी

लखनऊ। अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में मुस्लिम पक्ष की ओर से मुकदमे की पैरवी करने वाले जफरयाब जिलानी ने कहा कि वे बाबरी विध्वंस केस में सीबीआई अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे। उन्होंने कहा कि इस केस के मुसलमान इस केस के विक्टिम हैं इसलिए हम इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे।

गैंगरेप पीडि़ता की मौत पर हाथरस में बवाल, लाठीचार्ज

  • पुलिस ने छोड़े आंसू गैस के गोले, आरोपियों को फांसी देने की मां

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। हाथरस में दुष्कर्म पीडि़ता की मौत और उसके शव के अंतिम संस्कार के बाद आज बवाल हो गया। आरोपियों को फांसी की सजा देने की मांग को लेकर वाल्मीकि समाज के लोग हाथरस के रामलीला मैदान के पास पुलिस से भिड़ गए। उन्होंने पुलिस पर पथराव किया और बाइक में आग लगा दी। पुलिस ने भीड़ पर आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया।
दुष्कर्म पीडि़ता की मौत पर गुस्साए वाल्मीकि समाज के लोंगों ने जुलूस निकाल कर प्रदर्शन किया। कांग्रेस जिलाध्यक्ष चंद्रगुप्त विक्रमादित्य अपने कार्यकर्ताओं के साथ आ गए। प्रदर्शनकारी नारेबाजी करते हुए बाजारों को बंद करा रहे थे। सासनी गेट चौराहे पर पुलिस से झपड़ हुई तो प्रदर्शनकारियों ने पथराव कर दिया। एक बाइक में भी आग लगा दी। इससे पूरे बाजारों में भगदड़ मच गई। कई जगह जाम लगा दिया गया। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया।

पीएम मोदी ने की सीएम योगी से बात, एसआईटी करेगी जांच

  • दोषियों के खिलाफ फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलेगा मुकदमा

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। हाथरस में दलित युवती से गैंगरेप और मौत मामले की जांच के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एसआईटी का गठन किया है। साथ ही दोषियों के खिलाफ फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा चलाने और जल्द से जल्द सजा दिलाने का भरोसा दिया है। वहीं पीएम नरेंद्र मोदी ने सीएम योगी से फोन पर घटना की जानकारी ली और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का निर्देश दिया है।
योगी सरकार ने मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित कर दी। गृह सचिव भगवान स्वरूप की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय एसआईटी में डीआईजी चंद्र प्रकाश और आगरा पीएसी की सेनानायक पूनम सदस्य हैं। सात दिन में जांच रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।

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