सडक़ हादसों पर नियंत्रण कब?

sanjay sharma

सवाल यह है कि प्रदेश में सडक़ हादसों पर अंकुश क्यों नहीं लग पा रहा है? सडक़ सुरक्षा जागरूकता अभियान बेअसर क्यों है? क्या तेज रफ्तार और टै्रफिक नियमों का उल्लंघन लोगों की जान ले रहा है? क्या खराब सडक़ें और इनकी बनावट हादसों के लिए जिम्मेदार नहीं हैं? क्या नशे और फोन पर बात करते हुए वाहन चलाने की बढ़ती प्रवृत्ति ने हालात को खराब कर दिया है?

राजधानी लखनऊ में काकोरी-हरदोई रोड पर दो बसों में सीधी टक्कर हुई। हादसे में छह लोगों ने दम तोड़ दिया जबकि आठ गंभीर रूप से घायल हो गए। वहीं श्रावस्ती में ट्रक ने पुलिस वाहन को टक्कर मार दी जिसमें तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए। एक ही दिन में हुई ये दो घटनाएं यह बताने के लिए काफी हैं कि प्रदेश में सडक़ हादसे बेकाबू होते जा रहे हैं। सवाल यह है कि प्रदेश में सडक़ हादसों पर अंकुश क्यों नहीं लग पा रहा है? सडक़ सुरक्षा जागरूकता अभियान बेअसर क्यों है? क्या तेज रफ्तार और टै्रफिक नियमों का उल्लंघन लोगों की जान ले रहा है? क्या खराब सडक़ें और इनकी बनावट हादसों के लिए जिम्मेदार नहीं हैं? क्या नशे और फोन पर बात करते हुए वाहन चलाने की बढ़ती प्रवृत्ति ने हालात को खराब कर दिया है? क्या बिना जागरूकता के सडक़ दुर्घटनाओं को कम किया जा सकता है? क्या टै्रफिक नियमों का पालन कराने में बरती जा रही लापरवाही हादसों की बड़ी वजह बन रही है?
प्रदेश में सडक़ हादसों का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह तेज रफ्तार, टै्रफिक नियमों का पालन न करना और खराब सडक़ें हैं। वाहन चलाते समय ड्राइवर गति सीमा का ध्यान नहीं रखते हैं। ओवर टेक करने की प्रवृत्ति के कारण हादसे होते हैं। वहीं शहरों में टै्रफिक नियमों की धज्जियां उड़ाई जाती हैं। मसलन, लखनऊ में रेड सिग्नल जंप करने में लोग परहेज नहीं करते हैं लेकिन चौराहे पर मौजूद सिपाही ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करते हैं। यही नहीं कई चौराहों पर यातायात को नियंत्रित करने के लिए ट्रैफिक पुलिस के सिपाही तक नहीं मौजूद होते हैं। इसके कारण लोग बेतरतीब वाहन चलाते हैं। इसके अलावा प्रदेश की अधिकांश सडक़ें खराब हैं। इनके निर्माण में भ्रष्टïाचार का घुन लग चुका है। यही वजह है कि नयी बनी सडक़ भी पहली बारिश में उखड़ जाती है। गड्ढायुक्त सडक़ें हादसों का बड़ा कारण बन रही हैं। यह स्थिति तब है जब सरकार ने सडक़ों को गड्ढामुक्त करने का आदेश दे रखा है। हेलमेट न लगाने, नशे और मोबाइल पर बात करने हुए वाहने चलाने के कारण भी हादसे बढ़े हैं। आंकड़ों के मुताबिक सडक़ हादसों में मरने वालों में दोपहिया वाहन चालकों की संख्या सबसे अधिक है। दलालों के जरिए बिना परीक्षण के ड्राइविंग लाइसेंस हासिल कर सडक़ों पर फर्राटा भरते चालक हादसों को न्योता दे रहे हैं। यदि सरकार हादसों पर नियंत्रण लगाना चाहती है तो उसे न केवल सडक़ों के निर्माण में होने वाले भ्रष्टïाचार को खत्म करना होगा बल्कि यातायात नियमों का कड़ाई से पालन कराना सुनिश्चित करना होगा। साथ ही जनता के बीच सतत जागरूकता अभियान भी चलाना होगा।

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