बैंड बाजा वालों की कोरोना जांच शुरू, रैपिड रिस्पांस टीमें तैनात

संक्रमण की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग ने जांच का बढ़ाया दायरा
लखनऊ में होंगे कोरोना के 50 फीसदी आरटीपीसीआर टेस्ट

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। राजधानी में कोरोना संक्रमण की रोकथाम को स्वास्थ्य विभाग ने जांच का दायरा बढ़ा दिया है। कोरोना की दूसरी लहर को रोकने के लिए एंटीजन रैपिड किट के बजाए सटीक परिणाम देने वाले आरटीपीसीआर टेस्ट बढ़ा दिए गए हैं। वहीं शादी समारोह के मौके को देखते हुए बैंड-बाजा वालों की सैंपलिंग और जांच की जा रही है। इसके लिए शहर की आठ अर्बन और नौ रूरल सीएचसी की 150 रैपिड रिस्पांस टीमों को तैनात किया गया है।
शहर के इंट्री प्वाइंट टोल प्लाजा से लेकर एयरपोर्ट, बस स्टॉप व सभी रेलवे स्टेशन पर बाहर से आने वाले व्यक्तियों पर टीम की नजर है। संदिग्ध लक्षण होने पर मौके पर उनका कोरोना टेस्ट किया जा रहा है। अक्टूबर में 40 फीसदी सैंपल ही आरटीपीसीआर जांच के लिए लैब भेजे जा रहे थे। वहीं 60 फीसदी का मौके पर एंटीजन रैपिड किट टेस्ट से जांच की जा रही थी। लेकिन दीवाली के बाद संक्रमण की रफ्तार बढऩे लगी। लिहाजा, मुख्यमंत्री ने आरटीपीसीआर टेस्ट बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। ऐसे में सैंपलों की संख्या के साथ-साथ आरटीपीसीआर टेस्ट भी बढ़ा दिए गए हैं। एसीएमओ डॉ. एमके सिंह ने कहा कि अब कुल सैंपल के 50 फीसदी मरीजों का आरटीपीसीआर टेस्ट काराया जा रहा है। इसके परिणाम अधिक विश्वसनीय हैं।

तीमारदारों का सहारा बना सिविल अस्पताल

लखनऊ। लोहिया, केजीएमयू व एसजीपीजीआई में अगर किसी गंभीर मरीज को भर्ती कराना है अथवा कोई ऑपरेशन कराना है तो कोरोना प्रोटोकॉल के तहत उससे पहले मरीज व उसके तीमारदार की रिपोर्ट का निगेटिव होना जरूरी है। ऐसे में समय और धन की बचत के लिए ज्यादातर तीमारदार अपनी व अपने मरीज की कोरोना जांच कराने सिविल अस्पताल पहुंच रहे हैं। अन्य जगहों पर जांच कराने में मरीजों को कई तरह की असुविधा हो रही है। ऐसे में सिविल अस्पताल ऐसे मरीजों और तीमारदारों की कोरोना जांच के लिए आश्रय स्थल बन गया है। सिविल अस्पताल मैं पैथोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ. अजय शंकर त्रिपाठी बताते हैं कि यहां रोजाना 100 से डेढ़ सौ कोरोना जांचें हो रही हैं, जिसमें करीब आधी जांचें सिर्फ ऐसे मरीजों और तीमारदारों की होती है, जिन्हें लोहिया संस्थान, एसजीपीजीआई, केजीएमयू या अन्य किसी बड़े अस्पताल में भर्ती कराना है। प्रोटोकॉल के तहत भर्ती या ऑपरेशन से पहले मरीज की आरटीपीसीआर रिपोर्ट निगेटिव होनी चाहिए। इसके बगैर न तो किसी मरीज को भर्ती किया जाता है और न ही किसी का ऑपरेशन किया जाता है। यहां सभी मरीजों और उनके तीमारदारों की आरटीपीसीआर जांच मुफ्त की जा रही है।

बढ़ाई गई टेस्टिंग

शहर में अक्टूबर की शुरुआत में चार से पांच हजार के बीच कोरोना की जांच की जा रही थी। वहीं नवंबर में त्योहार से पहले टारगेटेड सैंपलिंग अभियान चलाया गया। इसमें दुकानदारों की जांच की गई। ऐसे में छह से आठ हजार रोज सैंपल संग्रह किए गए। अब हर दिन 11 से 12 हजार के बीच कोरोना मरीजों की जांच की जा रही है। वहीं मंगलवार से हर सीएचसी अपने क्षेत्र में बैंड बाजा, कैटर्स, खाना परोसने वाले वर्कर, फ्लावर डोकोरेशन स्टाफ, मैरिज हाल के कर्मियों की भी जांच करनी शुरू कर चुकी है।

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