सरकार के दावे फुस्स, सडक़ों के गड्ढों ने लोगों को किया हलकान

नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन के कार्यालय की ओर जाने वाली सडक़ भी बदहाल
हादसों को न्यौता दे रहे गड्ढे कई लोग गिरकर हो चुके हैं चोटिल
कोरोना संकट और बारिश का बहाना बना रहे नगर निगम के अधिकारी

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। प्रदेश को गड्ढामुक्त करने का सरकार का दावा फुस्स हो गया है। राजधानी की तमाम सडक़ों पर गड्ढे ही गड्ढे पड़े हैं। आलम यह है कि रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के घर और नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन के कार्यालय की ओर जाने वाली सडक़ भी पूरी तरह बदहाल है। यहां की सडक़ पर चार से पांच फिट के गड्ढे बन गए हैं। सडक़ों पर पड़े ये गड्ढे हादसों को न्यौता दे रहे हैं। इन गड्ढों के चलते कई लोग जख्मी भी हो चुके हैं। वहीं नगर निगम के अधिकारी कोरोना संकट और बारिश का बहाना बनाकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं।
प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सडक़ें खस्ताहाल है। यहां के अधिकांश सडक़ों पर गड्ढों की भरमार है। वीवीआईपी इलाके तक की हालत खराब है। हैरानी की बात यह है कि नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन के कार्यालय की ओर जाने वाली सडक़ खस्ता हाल है। नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन का कार्यालय इंदिरानगर के नीलगिरि चौराहे के पास है। कार्यालय के सामने की सडक़ पर पांच फिट से अधिक चौड़े और एक फिट से अधिक गहरे गड्ढे हैं। इन गड्ढों के कारण कई लोग गंभीर रुप से चोटिल हो चुके है। नगर विकास मंत्री के कार्यालय के सामने हाईकोर्ट के जज का भी घर है। घर के ठीक सामने की सडक़ पूरी तरह उखड़ चुकी है। दरअसल, सडक़ों को गड्ढा मुक्त करने के लिए पूरे प्रदेश में अभियान चलाया गया था। इसी अभियान के तहत यहां भी कार्य शुरू किया गया लेकिन काम कागजों पर पूरा कर दिया गया। जब नगर विकास मंत्री के कार्यालय जाने वाली सडक़ का यह हाल है तो राजधानी की अन्य सडक़ों के बारे में आसानी से अनुमान लगाया जा सकता है। सीएमसी अस्पताल से लेकर साईं मंदिर तक की सडक़ पूरी तरह खस्ताहाल है। कहीं-कही सिर्फ बोल्डर डालकर छोड़ दिया गया है। जानकीपुरम और पत्रकारपुरम की सडक़ें भी खस्ताहाल है। इन खस्ताहाल सडक़ों के कारण जनता को खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

रक्षामंत्री के घर के सामने की सडक़ भी बदहाल
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के घर की सडक़ होली से पहले सीवर लाइन बिछाने के लिए खोद डाली गई थी। बजट के अभाव का हवाला देकर संबंधित अधिकारियों ने इसकी मरम्मत से किनारा कर लिया। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लखनऊ के सांसद भी हैं। इस प्रकार की कार्य प्रणाली ने नगर निगम पर सवालिया निशान लगा दिया है।

एस्टीमेट बनाकर भेजा गया था, अभी स्वीकृत नहीं हुआ है। 14वें वित्त आयोग में दी गई राशि वेतन में चली गई। पुनर्निर्माण की राशि मिलने तक पैच लगाया जाएगा। मानसून में सडक़ों का पुनर्निर्माण सम्भव नहीं है।
सुधीर कुमार कनौजिया एक्सईएन, जोन सात

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