सडक़ दुर्घटनाओं पर लगाम कब?

sanjay sharma

सवाल यह है कि सडक़ हादसों पर लगाम लगाने में सरकार नाकाम क्यों हो रही है? क्या भ्रष्टïाचार की भेंट चढ़ चुकी सडक़ें इसके लिए जिम्मेदार हैं? सडक़ सुरक्षा अभियान बेअसर क्यों साबित हो रहा है? क्या अप्रशिक्षित चालक सडक़ हादसों के ग्राफ को बढ़ा रहे हैं? क्या यातायात के नियमों का उल्लंघन लोगों की जान ले रहा है?

प्रदेश में सडक़ हादसों में मरने वालों का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। पिछले दिनों लखनऊ में एक बाइक सवार और बाराबंकी में एक सिपाही समेत दो लोगों की मौत सडक़ दुर्घटनाओं में हो गई। हादसों में आए दिन लोगों की जानें जा रही हैं। इसके बावजूद स्थितियों को नियंत्रित करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। सवाल यह है कि सडक़ हादसों पर लगाम लगाने में सरकार नाकाम क्यों हो रही है? क्या भ्रष्टïाचार की भेंट चढ़ चुकी सडक़ें इसके लिए जिम्मेदार हैं? सडक़ सुरक्षा अभियान बेअसर क्यों साबित हो रहा है? क्या अप्रशिक्षित चालक सडक़ हादसों के ग्राफ को बढ़ा रहे हैं? क्या यातायात के नियमों का उल्लंघन लोगों की जान ले रहा है? क्या लोगों के जीवन की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की नहीं है?
सडक़ हादसों के मामले में यूपी अन्य राज्यों से काफी आगे हैं। इसकी कई वजहें हैं। मानक को दरकिनार कर बनायी गई सडक़ें और इन पर पड़े गड्ढे हादसों को न्यौता देते रहते हैं। राजधानी की तमाम सडक़ों की हालत खस्ता है। भ्रष्टïाचार का आलम यह है कि नई बनी सडक़ पहली ही बारिश में उखड़ जाती है और उसमें बड़े-बड़े गड्ढे बन जाते हैं। यह स्थिति तब है जब प्रदेश सरकार ने गड्ढा मुक्त सडक़ों का वादा किया था। यातायात व्यवस्था पूरी तरह लचर है। प्रदेश के तमाम शहरों में यातायात को नियंत्रित करने की कोई ठोस व्यवस्था नहीं है। कई चौराहों पर पुलिसकर्मी नदारद रहते हैं। इसके अलावा कई चौराहों पर सिग्नल सिस्टम बेकार पड़ा हुआ है। लिहाजा लोग बेतरतीब वाहन चलाते हैं। इसके कारण दुर्घटनाएं घटती हैं। अप्रशिक्षित वाहन चालक सडक़ों पर फर्राटा भरते हैं। नशे और मोबाइल पर बात करते हुए तमाम लोग सडक़ पर वाहन चलाते दिख जाते हैं लेकिन इनको रोकने-टोकने वाला कोई नहीं है। हां, पुलिस कभी-कभी चेकिंग के नाम पर कुछ लोगों का चालान काटकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री जरूर कर लेती है। हैरानी की बात यह है कि बिना वाहन चलाने की जांच किए ही दलाल ड्राइविंग लाइसेंस का जुगाड़ कर देते हैं और पूरा सिस्टम इस लापरवाही पर अपनी आंखें बंद किए हुए हैं। ये अप्रशिक्षित वाहन चालक लोगों की जान ले रहे हैं। प्रदेश में सडक़ हादसों में सबसे अधिक मौतें दो पहिया वाहन चालकों की होती हैं। बावजूद इसके आज भी लोग हेल्मेट लगाना पसंद नहीं करते हैं। जाहिर है यदि सरकार हादसों पर नियंत्रण लगाना चाहती है तो उसे न केवल सडक़ों की गुणवत्ता बल्कि यातायात व्यवस्था को बेहतर करना होगा। इसके साथ ही यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी होगी।

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