लखनऊ में राहत की बारिश मौसम हुआ खुशनुमा

  • राजधानी में रात से शुरू हुई बारिश अब भी जारी

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। राजधानी में कल रात से बारिश की फुहारें जारी हैं। दोपहर 3 बजे तक जारी रिमझिम बारिश से शहर का मौसम खुशनुमा बना रहा। वहीं दूसरी ओर बारिश के चलते शहर में कई जगह जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो गई, इससे लोगों को आवागमन में परेशानी का सामना करना पड़ा। बारिश से कई जगह तो सडक़ें ही उखड़ गई हैं। चारबाग, आलमबाग, लालकुआं, सरस्वतीपुरम, जानकीपुरम सहित पुराने लखनऊ की गलियों में बारिश का पानी इस कदर सडक़ों पर भर गया कि रास्ते बंद हो गए। घंटों बाद आवागमन शुरू हो सका। कहीं-कहीं तो अब भी पानी भरा है, लोगों को उसमें से गुजर कर जाना पड़ रहा है।
मौसम विभाग के अनुसार पूर्वी तराई और मध्य यूपी में जारी बारिश का सिलसिला अगले 24 घंटे तक जारी रह सकता है। इसी बीच मौसम विभाग ने पूर्वांचल और बुंदेलखंड के कई जिलों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया हैं। ललितपुर, बांदा, चित्रकूट, प्रयागराज, भदोही, चंदौली, वाराणसी, महाराजगंज, कुशीनगर और गोरखपुर में तेज बारिश के लिए जिला प्रशासन को अलर्ट कर दिया गया है। बता दें कि बिहार और नेपाल से सटे जिलों में पिछले 24 घंटे से बारिश जारी हैं। इसका असर राजधानी लखनऊ और उसके आसपास के जिलों तक देखने को मिल रहा हैं।

उमस भरी गर्मी से मिली निजात

राजधानी लखनऊ में रूक-रूक कर रिमझिम फुहारों का दौर जारी है। फिलहाल अभी तक एक इंच भी बारिश दर्ज नहीं हो सकी है। हालांकि खुशनुमा बारिश के चलते शहर का नजारा मनमोहक हो गया है। चारों तरफ मौसम बातें कर रहा हैं। इस सौंदर्य का लुत्फ लेने के लिए राजधानी की सडक़ों व छतों पर लोग प्रकृति का आनंद लेते नजर आए। मौसम विभाग की मानें तो बारिश का यह सिलसिला देर शाम तक रहेगा। इस वजह से तापमान में गिरावट आई है। बारिश के चलते उमस भरी गर्मी से भी लोगों की राहत मिली है।

पीएम आवास योजना में गरीब इस साल भी रहेंगे खाली हाथ

  • मासिक किश्त की अधिकता से लोग वापस ले रहे आवेदन

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। प्रधानमंत्री आवास योजना में गरीबों को इस बार भी आशियाना नहीं मिल पाएगा। मासिक किस्तों की राशि अधिक होने के कारण आवेदनकर्ता बैकफुट पर जा रहे हैं। वहीं एलडीए के अधिकारी कोरोना हवाला देते हुए आवंटन कमाने की बात कह रहे हैं। रोजाना कई आवेदन निरस्त किए जा रहे हैं। लेकिन एलडीए मामले को दबाए बैठा है। वही पूर्ण आवेदन ना आने के कारण पीएम पीएम आवास के आवेदन की तिथि 25 सितंबर से बढ़ाकर 31 अक्टूबर कर दी गई है।
दरअसल गरीबों के लिए पीएम आवास योजना के तहत शारदा नगर में 2256 और हरदोई रोड पर 2256 फ्लैट उपलब्ध कराए जा रहे हैं । इन फ्लैटों की अधिकतम कीमत 651000 है, जिसमें डेढ़ लाख रुपये केंद्र सरकार की तरफ से जबकि एक लाख रुपये राज्य सरकार सब्सिडी के रूप में दे रही है। फ्लैट अलॉट होने पर 45000 की राशि तथा बचे हुए तीन लाख एक हजार रुपये छह तिमाही में अदा करने होंगे, जिसकी मासिक बीस हजार के करीब आएगी। पीएम आवास योजना में अपने सपनो का घर देखने वाले उस गरीब परिवार से हैं जिनकी मासिक आय पन्द्रह हजार से कम है। मडिय़ांव के रहने वाले राजेश कुमार सिंह ने पीएम आवास योजना के लिए आवेदन किया लेकिन किश्त की अधिकता के कारण वह पंजीकरण का पैसा वापस लेने पहुंचे । उन्होंने बताया वह किराये के मकान पर रह रहे हैं। गार्ड की नौकरी करते हैं उनकी मासिक आय दस हजार से भी कम है। ऐसे में वह किश्त भर पाने में असक्षम हैं। पीएम आवास योजना के प्रभारी नजूल अधिकारी पंकज कुमार कहते है कि यह स्कीम केंद्र सरकार द्वारा तय की गई है, इसमें बदलाव केंद्र सरकार द्वारा ही किया जाएगा।

यूपी: सरकारी व निजी अस्पतालों में आज से ओपीडी व अन्य सेवाएं शुरू

लखनऊ (4पीएम न्यूज़ नेटवर्क)। उत्तर प्रदेश के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में ओपीडी, डायग्नोस्टिक तथा अन्य सेवाएं शुरू हो गई है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. डीएस नेगी की ओर से कुछ शर्तों के साथ इस आदेश को तत्काल लागू कर दिया गया है। डॉ. नेगी की ओर से जारी आदेश में केंद्र सरकार की अनलॉक-4 गाइडलाइन के मद्देनजर कुछ सावधानियां बरतने के निर्देश दिए गए हैं। अस्पताल, सीएचसी, पीएचसी एवं निजी क्लीनिकों में आने वाले रोगियों, तीमारदारों और सभी चिकित्साकर्मियों के लिए मास्क पहनना अनिवार्य होगा। डॉ. नेगी के अनुसार सोशल डिस्टेंसिंग के अलावा सेनेटाइजर का प्रयोग करना होगा।

जीवन को पाना है तो मृत्यु से प्यार करना सीखो

दस बाई दस का कमरा होगा यह। जहां रहते हुए मुझे 24 घंटे से ज्यादा हो चुके हैं। इरा मेडिकल कॉलेज का यह कमरा सालों बाद मेरे एकांकी जीवन का गवाह बना। या यूं कहूं पहली बार। अकेले रहने का अनुभव छात्र राजनीति में डाला था और एक बार निजी जिंदगी में तनाव और डिप्रेशन के कारण कई दिनों तक घर से नहीं निकला था पर इस बार कारण मजबूरी के थे। कोरोना ने मेरी तरह करोड़ों लोगों की जिंदगी को ऐसे ही एकांकी कर दिया है। लॉकडाउन लगने के पहले दिन से लेकर पैतालिस दिनों तक लगातार रोज कई घंटे अपनी गाड़ी में खाना भरकर लोगों को बांटता रहा। करीबी लोग कहते रहे… बाहर बहुत खतरा है मगर मुझे ईश्वर की सत्ता पर कुछ ज्यादा ही यकीन है, तो मैं कहता यह बंदे भी ईश्वर के ही बंदे हैं। लॉकडाउन खुला और मेरी लापरवाही ने मुझे अस्पताल के इस कमरे में पहुंचा दिया।
घर पर था तो तीन चार दिन से बुखार, खांसी और शरीर में बहुत दर्द था। दो दिन खुद को अपने ऊपर के कमरे में अलग किया। चौथे दिन सिविल अस्पताल में जांच करायी और पॉजिटिव होने के बाद काफी पड़ताल के बाद इरा जाने का फैसला किया। मेरी समस्या यह है कि मैं हर पल मजे में रहता हूं। शायद ही किसी ने मुझे अवसाद के पलों में देखा हो। घर पर रिपोर्ट का पता चलते ही चिल्लाया वाह मैडम अब तुमसे दस दिनों की छुट्टïी मिली। बेटे सिद्घार्थ के चेहरे की रंगत उड़ी दिखी तो मेरी बेटी वन्या मायूस। कई सालों से घर पर रह रही परिवार की तरह मोनी पीछे पड़ गयी प्लीज अंकल मत जाओ। मैं यहां पर बढिय़ा खाना खिला दूंगी पर मुझे शुगर की समस्या थी और वन्या छोटी है और कमरे में आ जाती है तो मैंने अस्पताल जाने का फैसला बनाए रखा। वो पल मुश्किल था जब बबिता मुझे लिफ्ट तक छोडऩे आयी और आंखों में बहुत आंसू दिखे। यह डर शायद हर परिवार के लोगों को होता होगा कि जाने वाले की वापसी होगी या नहीं। मैंने आंसू देखकर ठहाका लगाया और कहा मेरे बीमा का पैसा इतनी आसानी से नहीं मिलने वाला। मोनी ने हम दोनों के फोटो खींचे।
संग्राम पिछले आठ सालों से मेरी गाड़ी चला रहा है कह रहा मैं छोडऩे चलूंगा मैंने मना किया। अटैची में पूरा पिकनिक का सामान, जिसमें ओशो की भी चार किताबें। रात लगभग दस बजे इरा पहुंचा। खुद अटैची लेकर गेट तक गया। गाड़ी साइड में खड़ी की। गार्ड से कहा एडमिट होना है। उसने पूछा किसको। मैंने कहा मुझे… ऐसा लगा जैसे चार सौ चालीस वोल्ट का करंट लगा हो। पीछे हटकर बोला- गजब है आप खुद गाड़ी चलाते हुए आ गए। यह सारा रोमांच तब उडऩ छू हो जाता है जब आप पहले चरण में हकीकत का सामना करते हैं। एक बेसमेंट में ले जाया गया। पहले बांये हाथ की कोहनी के पास की नस फिर दांये हाथ से खून निकालने की नाकाम कोशिश के बाद मेरी हथेली की नस के पीछे से खून निकाला गया। चेस्ट का एक्सरे हुआ। भयंकर तरह की पीपीई किट पहने लोगों के बीच मेरी तरह एक और बुजुर्ग हॉफते हुए आए। देखकर लग रहा था कि कैसे बचेगा इनका जीवन। डॉक्टरों की टीम उन्हें बचाने में जुट गयी। रात ग्यारह बजे अपने इस प्राइवेट रूम में पहुंचा। एक बजे तक घर से ही फोन आते रहे। बहुत कड़ा गद्ïदा, पतला तकिया पर कमरे में टीवी और एसी था। नर्स रात के लिए विटामिन सी और डी की गोली दे गयी। रात तीन बजे तक नींद नहीं आयी और मैं ओशो की मृत्यु एक उत्सव है को समझता रहा। बाकी कल की कहानी कल।

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