रोशनी खो चुके अनाथ बच्चों को दिया नया जीवन, फ्री शिक्षा भी दे रहा दयाल ग्रुप

अपंग बच्चों को गोद लेकर उनका जीवन संवारने की कोशिश में जुटे होटल व्यवसायी
2014 में बेटे कुंवर के निधन के बाद उसकी याद में खोल दिया स्कूल, जहां अपंग बच्चे फ्री शिक्षा का लेते हैं लाभ

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। बेसहारा और गरीब बच्चों की मदद करने वाले तो आपको कई लोग मिल जाएंगे लेकिन कोई इंसान अपना पूरा जीवन अपंग व अंधे बच्चों का भविष्य संवारने में लगा दे, यह बहुत बड़ी बात है। राजधानी लखनऊ के गोमतीनगर विस्तार के रहने वाले दयाल ग्रुप के चेयरमैन राजेश सिंह वो नाम है, जिन्होंने ऐसी ही मिसाल पेश की है। राजेश सिंह ने अपंग व अंधे बच्चों को संवारने के साथ उनकी फ्री शिक्षा का भी बीड़ा उठाया है, यह शहर के लिए सुखद अनुभूति है।
अभी देश में कोरोना संकट है। लॉकडाउन के कारण जहां सभी आर्थिक तंगी से जूझने के बाद जीवन को वापस पटरी पर लाने के लिए व्यस्त हैं। वहीं गोमतीनगर के जाने माने होटल व्यवसायी अंधे बच्चों को गोद लेकर उनकी जिंदगी में रोशनी भरने के अलावा उनकी सेवा में जुटे हुए हैं। बच्चों के खाने और कपड़े से लेकर उनकी पढ़ाई का पूरा जिम्मा उठा लिया है। इसकी शुरुआत उन्होंने तब की थी, जब 2014 ट्रेन में सफर के दौरान उनके 20 वर्षीय बेटे कुंवर का निधन हार्टअटैक से हो गया था। तब से लेकर आज तक वह उन बच्चों में अपने कुंवर को देखते हैं। विशेषकर शारीरिक रूप से अपंग बच्चों के लिए वह हमेशा कुछ अलग करने का प्रयास करते हैं। उनके इन प्रयासों से कई बच्चे आज पढ़-लिखकर अलग-अलग प्रतिभा के धनी हो गए। गोमतीनगर विस्तार के दयाल पैराडाइज चौराहे के पास राजेश सिंह रहते हैं। वह दयाल ग्रुप ऑफ कंपनीज के चेयरमैन होने के साथ ही कुंवर्स ग्रुप ऑफ स्कूल के मालिक हैं। यह स्कूल उनके द्वारा बनाये गए चैरिटेबल ट्रस्ट के द्वारा संचालित किया जाता है। इसमें सौ से अधिक बच्चे पढ़ते हैं। सभी बच्चे अनाथ हैं, जिनका कोई नहीं। शारीरिक रूप से अपंग बच्चों की पढ़ाई भी यहां होती है। इसके लिए उन्होंने कई शिक्षक भी लगाए हुए हैं। जो ऐसे बच्चों को मुफ्त व अच्छी शिक्षा ग्रहण कराते हैं।
इनकी मदद से लिया है गोद
राजेश सिंह ने हाल ही में दस अपंग बच्चों को ऑल इंडिया एसोशिएशन ऑफ ब्लाइंड्स की मदद से गोद लिया है। सभी बच्चे अंधे है। सभी बच्चों के खाने और कपड़ों के साथ ही उनके पढ़ाई की जिम्मेदारी का जिम्मा उठा लिया है। अधिकांश बच्चे बारह से चौदह साल के हैं।
लॉकडाउन में भी लोगों की मदद
राजेश सिंह बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान उन्होंने हजारों बेसहारा लोगों की मदद की। वह रोजाना राजधानी पहुंचने वाले प्रवासी मजदूरों को खाना और पानी उपलब्ध कराते थे। इसके साथ ही उन्होंने झुग्गी-झोपडिय़ों में रहने वाले लोगों की भी मदद की है।
देवा रोड पर है कुंवर ग्रुप ऑफ स्कूल
राजेश सिंह के द्वारा 2015 में कुंवर ग्रुप ऑफ स्कूल देवा रोड पर बनाया गया। स्कूल पूरी तरह आधुनिक सुविधाओं से लैस है। खास बात यह है कि इस स्कूल में आधुनिक संसाधनों से शिक्षा के साथ ही भारतीय संस्कृति के अनुसार सांस्कृतिक दीक्षा भी दी जाती है। स्कूल में गौशाला भी मौजूद है, जहां पर उन्होंने बच्चो को ताजा दूध उपलब्ध कराने के लिए गाय भी पाली हुई हैं।

मेरा उद्देश्य असहाय लोगों की मदद करना है। यह मैंने किसी व्यवसाय के उद्देश्य से नहीं किया है बल्कि इसे करने से मुझे आत्मसंतुष्टिï मिलती है। मेरा मानना है कि जब आंख से देख पाने वाले लोगों को इस महामारी में इतनी पीड़ा उठानी पड़ रही है तो जिनकी आंख नहीं उन्हें कैसा महसूस होता होगा। मैंने तो छोटे से प्रयास से उन बच्चों के भविष्य में रोशनी भरने की कोशिश की है।
राजेश सिंह, चेयरमैन दयाल ग्रुप ऑफ कंपनीज

कोरोना संक्रमण से निपटने को सरकार ने बनाया नया प्लान, कराएगी सेरोलॉजिकल सर्वे

आगरा और मेरठ से होगी शुरुआत, रैंडम खून के नमूने लेकर एंटीबॉडी की कराई जाएगी जांच
पांच अगस्त से शुरू हो सकता है अभियान, कम संक्रमण वाले जिलों पर फोकस

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। प्रदेश में कोरोना वायरस की रफ्तार तेजी से बढ़ रही है। संक्रमण से निपटने के लिए प्रदेश सरकार ने नया प्लान बनाया है। इसके तहत कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए एंटीबॉडी का पता लगाने की कवायद की जाएगी। लिहाजा उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण स्तर का पता लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग सेरोलॉजिकल सर्वे कराया जाएगा। इसके तहत रैंडम तरीके से खून के नमूने लेकर एंटीबॉडी की जांच की जाएगी। अभियान के पांच अगस्त से शुरू होने की संभावना है।
इस सर्वे में लोगों के रैंडम खून के नमूने लेकर एंटीबॉडी की जांच होगी और पता किया जायेगा कि कैसे नमूनों में प्रतिरोधक क्षमता कैसी है? इसके लिए यूपी का स्वास्थ्य विभाग एक लाख किट खरीद रहा है, जिससे ये परीक्षण जगह-जगह किया जाएगा। शुरूआती सर्वे में आगरा, मेरठ सहित ऐसे जिलों का शामिल किया जा रहा है, जहां संक्रमण अब कम हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि ऐसी जगहों पर प्रतिरोधक क्षमता के बारे में ज्यादा सटीक आंकड़े आने की गुंजाइश है। सरकार का मानना है कि संक्रमण को आगे बढऩे से रोकने या जोखिम के स्तर के बारे में वास्तविक डेटा का पता लगाने का एकमात्र तरीका लोगों में एंटीबॉडी की उपस्थिति का परीक्षण है।
क्या है सेरोलॉजिकल सर्वे
सेरोलॉजिकल सर्वे विश्व स्तर पर इस्तेमाल किया जाने वाला वह तरीका है जो एक निश्चित संक्रमण के खिलाफ एंटीबॉडी के लेवल को मापता है। इस तकनीक का उपयोग इसलिए भी किया जाता है कि बड़े पैमाने पर टीकाकरण की जांच की जा सके और लोगों की प्रतिरोधक क्षमता का स्तर देखा जा सके। पूरे देश में दिल्ली, महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में सीरोलॉजिकल सर्वे पहले से हो रहे हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button