यूपी में एमएसएमई इकाइयों को 15 जुलाई तक दिया जाएगा लोन: सहगल

जब तक इकाइयों को ऋ ण उपलब्ध नहीं होगा तब तक योजना का उद्ïदेश्य पूरा नहीं होगा

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। सूक्ष्म, लघु एवं उद्यम विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. नवनीत सहगल ने बैंकों से कहा है कि आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम से प्रदेश के अधिक से अधिक एमएसमई इकाइयों को लाभ पहुंचाया जाए। पात्र इकाइयों को 15 जुलाई तक ऋ ण स्वीकृति दे दी जाए। ताकि 20 जुलाई को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से ऋ ण वितरण का कार्यक्रम संपन्न कराया जा सके। अपर मुख्य सचिव ने गोमती नगर स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा के जोन कार्यालय में आयोजित राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की बैठक की अध्यक्षता की।
उन्होंने कहा कि जब भारत सरकार इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्क्रीम के तहत लोन के सापेक्ष 100 फीसदी गारंटी उपलब्ध करा रही है। तब बैंकों को ऋ ण वितरण में संकोच नहीं होना चाहिए। इस योजना में निजी बैंक भी बढ़-चढक़र हिस्सा लें। जब तक इकाइयों को समय से ऋ ण उपलब्ध नहीं होगा, तब तक योजना का उद्ïदेश्य पूरा नहीं होगा। बैठक में बैंकर्स द्वारा अवगत कराया कि अब तक 3.32 लाख इकाइयों को ऋ ण मंजूर पत्र जारी किया जा चुका है। इनमें से 1.35 लाख इकाइयों को 3442 करोड़ रुपए का लोन दिया जा चुका है। कई इकाइयां ऋ ण मंजूर होने के बाद भी लोन नहीं ले रही है। सभी बैंकर्स ने आश्वस्त किया कि निर्धारित तिथि तक सभी पात्र इकाइयों को लोन स्वीकृत कर दिया जाएगा। राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के संयोजक बृजेश कुमार सिंह सहित बड़ी संख्या में निजी एवं सरकारी बैंकों के बैंकर्स मौजूद थे।

अभियान चलाकर स्ट्रीट वेंडर्स को दिया जाए ऋ ण
अपर मुख्य सचिव ने बैंकर्स को भारत सरकार द्वारा स्ट्रीट वेंडर्स के लिए घोषित योजना की जानकारी विस्तार से दी। सहगल ने कहा कि भारत सरकार ने इसके लिए ई-पोर्टल विकसित किया है। प्रदेश सरकार द्वारा भी प्रदेश के समस्त स्ट्रीट वेंडर्स को चिन्हित किया जा चुका है। ऐसी स्थिति में अभियान चलाकर समस्त पात्र वेंडर्स को ऋ ण दिया जाना चाहिए।

बैंकों की कागजी कार्यवाही से कर्ज देने में हो रहा विलंब
उन्होंने कहा कि पिछले साल एमएसएमई ने लक्ष्य से ज्यादा उपलब्धि हासिल की है। एमएसएमई राज्य की इकोनामी बढ़ाने के साथ ही लोगों को अधिक से अधिक रोजगार मुहैया कराती है। इंडस्ट्री से मिले फीडबैक के अनुसार बैंकों द्वारा लोन देने में ज्यादा कागजी कार्यवाही की जा रही है, जिससे ऋ ण मंजूर होने में विलंब हो रहा है। कागजी कार्यवाही को सीमित किया जाए। तीस फीसदी इकाइयां पूरी क्षमता से उत्पादन नहीं कर पा रही हैं। इनको समय से मदद देना बैंकर्स की प्राथमिकता होनी चाहिए।

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