भाजपा सरकार में जनता बेहाल, आंकड़ों में हेराफेरी कर रही टीम इलेवन: अखिलेश

गरीबों की नहीं हो रही सुनवाई, इलाज के लिए भटक रहे मरीज
अस्पतालों में अव्यवस्था का आलम, प्रदेश की कानून व्यवस्था ध्वस्त
चिकित्सा के क्षेत्र में कुछ नहीं किया सरकार ने, नहीं मिल रहा रोजगार

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि जब से यूपी में भाजपा सरकार बनी है, राज्य की प्रगति अवरूद्ध हो गई है। समाज के हर वर्ग में असंतोष है। जनता परेशान और बेहाल है। मुख्यमंत्री सुबह से शाम तक मीटिंग या दौरे पर रहते हैं तो उनकी टीम-इलेवन का काम आंकड़ों में हेराफेरी से प्रशासन की अक्षमताओं पर पर्दा डालना रह गया है। इतनी संवेदनहीन सरकार आज तक प्रदेश की जनता ने नहीं देखी।
उन्होंने कहा कि सपा सरकार में लोकभवन का निर्माण इसलिए हुआ था कि बिना भेदभाव वहां जनता की शिकायतों की सुनवाई हो सके लेकिन भाजपा सरकार में तो कोई सुनवाई नहीं होती फलत: अमेठी की दु:खी महिलाओं ने उसके गेट पर आत्महत्या के लिए आग लगा ली। भाजपा राज में गरीब की कहीं सुनवाई नहीं होती है। सरकार इस गफलत में है कि सब कुछ नियंत्रण में है, झूठी प्रशंसा में वह बहक रही है। प्रदेश में कोई जनपद ऐसा नहीं जहां रोज ही हत्या, लूट, बलात्कार और ठगी-छिनौती की घटनाएं न होती हो। अस्पतालों में इतनी दुव्र्यवस्था है कि वे स्वयं बीमारी के घर बन गए हैं। सरकार द्वारा कोरोना संकट के नियंत्रण में होने के जितने दावे किए जाते हैं उससे ज्यादा इसके संक्रमितों की संख्या सामने आती हैं। मरीज मारे-मारे फिर रहे है।
उन्होंने कहा कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए राज्य में अस्पतालों की पर्याप्त संख्या नहीं हैं। समाजवादी सरकार के समय ही अस्पताल बने थे। भाजपा ने कोई इंतजाम नहीं किए। उसने न नए अस्पताल बनवाएं और नहीं चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार किया। जीवन रक्षक दवाएं अनुपलब्ध हैं, उनकी काला बाजारी हो रही है। लोग बेमौत मर रहे हैं। सपा सरकार में रोगियों के लाभार्थ 108 और 102 एम्बुलेंस सेवाएं शुरू की गई थी वे निष्क्रिय बना दी गई है। सबसे दु:खद प्रसंग यह है कि विस्थापित श्रमिक बिना रोजगार के गांव-गांव भटक रहे हैं। वे हताशा में डूब गए हैं। सरकार हवाई दावों में रोजगार बांटने के झूठे आंकड़े पेश कर रही है, जमीन पर बुरा हाल है। कोरोना वायरस का संक्रमण महामारी का रूप ले रहा है। हर दिन हजारों मरीज मिल रहे हैं। भाजपा सरकार इस संकट से निबटने में अक्षम और असहाय दिखने लगी है। मुख्यमंत्री बैठकें तो बहुत करते दिखतें हैं पर नतीजा सिफर ही रहता है। जुबानी जमा खर्च की भाजपा सरकार है। इसने न कुछ किया, न कुछ करना है, न ही कुछ करेंगे। स्थिति का सही आंकलन न होने से संकट बढ़ रहा है और सरकार मूकदर्शक बनी हुई है।
उन्होंने कहा कि लखनऊ के अस्पतालों की व्यवस्थाओं के बारे में तमाम शिकायतें हैं। मरीजों को लौटाया जा रहा है। अस्पतालों में साफ सफाई नहीं है। लखनऊ में ही लोहिया अस्पताल के बाहर पड़े कोरोना मरीजों को कोई पूछने वाला नहीं है। आज प्रदेश में जो जनता कराह रही है और इलाज के लिए भटक रही है उसका मूल कारण यह है कि भाजपा सरकार ने चिकित्सा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कुछ किया ही नहीं। सरकार का ध्यान इस पर होना चाहिए कि इलाज के अभाव में किसी की मौत न हो। भूख से कोई मरे नहीं। कानून व्यवस्था चुस्त दुरूस्त हो।

अनशन पर बैठे अधिवक्ता की बार सदस्यता निलंबित

इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने ऋतेश श्रीवास्तव के खिलाफ की कार्रवाई, नोटिस जार

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश की बिगड़ती कानून-व्यवस्था, अपराधियों को पकडक़र गोली मारने जैसे मुद्दों पर बेमियादी अनशन कर रहे इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व गवर्निंग काउंसिल सदस्य ऋतेश श्रीवास्तव के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की गई है। एसोसिएशन ने उनकी गतिविधियों को अधिवक्ता विरोधी पाया है और उनकी बार की सदस्यता निलंबित कर दी है। साथ ही नोटिस जारी कर उनसे 15 दिन के भीतर जवाब मांगा है।
ऋतेश के खिलाफ हाईकोर्ट बार की नवनिर्वाचित कार्यकारणी के सभी सदस्यों ने एक मत से प्रस्ताव पास कर शिकायत दर्ज कराते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी। लिहाजा इस पर संज्ञान लेते हुए बार के अध्यक्ष राकेश पांडेय और महासचिव जेबी सिंह ने यह कार्रवाई की है। नवनिर्वाचित कार्यकारिणी का आरोप है कि पिछले कई वर्षों से ऋतेश श्रीवास्तव की गतिविधियां ऐसी रही हैं, जिससे अधिवक्ताओं के सम्मान को ठेस पहुंची है। उन्होंने 2014 में चीफ जस्टिस कोर्ट में तालाबंदी की थी, जिसकी वजह से सात जजों की पीठ ने अधिवक्ताओं के अधिकारों में कटौती कर दी थी। वह सोशल मीडिया पर लगातार वरिष्ठ वकीलों और जजों के खिलाफ टिप्पणियां करते हुए लेख लिखते रहते हैं। लॉकडाउन के दौरान भी उन्होंने धरना प्रदर्शन करके महामारी कानून का उल्लंघन किया। इसकी वजह से उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज हुई है। गौरतलब है कि ऋतेश कानपुर के पांच लाख के इनामी विकास दुबे का एंकाउंटर होने के बाद तीन दिनों से बेमियादी अनशन पर बैठे हैं।

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