बेलगाम अपराध और लचर पुलिस प्रणाली

sanjay sharma

सवाल यह है कि ताबड़तोड़ एनकाउंटर के बाद भी अपराधियों के हौसले बुलंद क्यों हैं? क्या अपराधियों के मन से खाकी का खौफ समाप्त हो चुका है? क्या पुलिस तंत्र में व्याप्त भ्रष्टïाचार ने पूरी व्यवस्था को खोखला कर दिया है? स्थानीय खुफिया तंत्र क्या कर रहा है? क्यों पुलिस अपराधियों के सामने बौनी साबित होती जा रही है?

यूपी के गाजियाबाद में छेड़छाड़ का विरोध करने पर बदमाशों ने एक पत्रकार को दिनदहाड़े गोली मार दी। पत्रकार की इलाज के दौरान मौत हो गई। इसी तरह इटावा में एक किसान की हत्या कर दी गई जबकि बस्ती में एक बुजुर्ग को सोते समय मार दिया गया। ये घटनाएं यह बताने के लिए काफी हैं कि प्रदेश में कानून व्यवस्था का हाल कैसा है। सवाल यह है कि ताबड़तोड़ एनकाउंटर के बाद भी अपराधियों के हौसले बुलंद क्यों हैं? क्या अपराधियों के मन से खाकी का खौफ समाप्त हो चुका है? क्या पुलिस तंत्र में व्याप्त भ्रष्टïाचार ने पूरी व्यवस्था को खोखला कर दिया है? स्थानीय खुफिया तंत्र क्या कर रहा है? क्यों पुलिस अपराधियों के सामने बौनी साबित होती जा रही है? क्या पुलिस और अपराधियों की मिलीभगत के कारण प्रदेश में अपराध बेकाबू हो गए हैं? क्या बढ़ते अपराध प्रदेश के विकास को बाधित नहीं करेंगे? क्या जनता के जीवन की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की नहीं है? क्या पूरी पुलिस प्रणाली को बदलने की जरूरत है?
प्रदेश में अपराध का ग्राफ लगातार चढ़ता जा रहा है। आए दिन हत्या, लूटपाट, डकैती, बलात्कार की वारदातें हो रही हैं। हैरानी की बात यह है कि वारदात को अंजाम देने के बाद अपराधी आराम से फरार हो जाते हैं और पुलिस महीनों उनकी तलाश में मारी-मारी फिरती है। यह स्थिति तब है जब सरकार प्रदेश में अपराध को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने का दावा करती है। एनकाउंटर के बावजूद अपराधियों के हौसले कम नहीं हो रहे हैं। हकीकत यह है कि बढ़ते अपराधों के पीछे पुलिस प्रणाली में व्याप्त भ्रष्टïाचार जिम्मेदार है। अपराधी और पुलिस का गठजोड़ कई बार सामने आ चुका है। वहीं पुलिस थानों में आम आदमी की सुनवाई नहीं होती है। कई बार पुलिसकर्मी पीडि़त पर ही आरोपी से समझौता करने का दबाव बनाते हैं और ऐसा नहीं करने पर धमकी तक देते हैं। अपराधी पैसे के बल पर अपने खिलाफ सबूत मिटाने का भी खेल खेलते हैं। इस मिलीभगत का परिणाम यह होता है कि अपराधी जल्द सलाखों के पीछे नहीं पहुंच पाता है। कई हाईप्रोफाइल केस आज तक नहीं सुलझ सके हैं। इसमें दो राय नहीं कि असुरक्षित प्रदेश में कोई भी निवेशक निवेश नहीं करता है। यदि प्रदेश में अपराधों पर प्रभावी नियंत्रण नहीं लगाया गया तो यहां के विकास को ब्रेक लग जाएगा। यदि सरकार प्रदेश में अपराधों को नियंत्रित करना चाहती है तो उसे सबसे पहले पुलिस तंत्र में व्याप्त भ्रष्टïाचार को समाप्त करना होगा। अपराधियों की मदद करने वाले पुलिसकर्मियों को चिन्हित कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी होगी।

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