बेलगाम अपराध और पुलिस तंत्र

sanjay sharma

सवाल यह है कि ताबड़तोड़ एनकाउंटर के बावजूद बदमाशों के हौसले बुलंद क्यों हैं? क्या अपराधियों के मन में खाकी का कोई खौफ नहीं रह गया है? क्या भ्रष्टïाचार ने पूरे तंत्र को पंगु बना दिया है? महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों पर अंकुश क्यों नहीं लग पा रहा है? अपराधियों तक पहुंचने में पुलिस नाकाम क्यों हो रही है? क्या स्थानीय खुफिया तंत्र पूरी तरह लचर हो चुका है?

बागपत में भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष की हत्या और बुलंदशहर में छेड़छाड़ के दौरान हुए हादसे में एक छात्रा की मौत यह बताने के लिए काफी है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था की हालत कैसी है। ये वारदातें पुलिस तंत्र की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान हैं। सवाल यह है कि ताबड़तोड़ एनकाउंटर के बावजूद बदमाशों के हौसले बुलंद क्यों हैं? क्या अपराधियों के मन में खाकी का कोई खौफ नहीं रह गया है? क्या भ्रष्टïाचार ने पूरे तंत्र को पंगु बना दिया है? महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों पर अंकुश क्यों नहीं लग पा रहा है? अपराधियों तक पहुंचने में पुलिस नाकाम क्यों हो रही है? क्या स्थानीय खुफिया तंत्र पूरी तरह लचर हो चुका है? क्या पुलिस और अपराधियों के गठजोड़ ने हालात को बदतर कर दिया है? क्या अपराधों के बढ़ते ग्राफ का असर प्रदेश की अर्थव्यवस्था और संभावित निवेश पर नहीं पड़ेगा? क्या पूरे तंत्र को बदलने की जरूरत सरकार को महसूस नहीं हो रही है?
कोरोना काल में भी प्रदेश में अपराधों का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। आए दिन हत्या, बलात्कार, छेड़छाड़, डकैती और चोरी की घटनाएं हो रही हैं। महिलाएं देर शाम घर से बाहर निकलने से बचती हैं। यह स्थिति तब है जब प्रदेश सरकार अपराध पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने का दावा कर रही है। दरअसल, बढ़ते अपराधों के लिए पुलिस तंत्र पूरी तरह जिम्मेदार है। विभाग में भ्रष्टïाचार ने स्थितियों को पूरी तरह बेपटरी कर दिया है। अपराधी और पुलिस के गठजोड़ ने अपराधियों के हौसलों को बुलंद कर दिया है। हालत यह है कि कई बार थाने में पीडि़तों की रिपोर्ट तक नहीं लिखी जाती है। यही नहीं पुलिस पीडि़तों पर आरोपियों के साथ समझौते का दबाव बनाती है। थाना क्षेत्रों में अपराधों को कम दिखाने के लिए कई गंभीर अपराधों की एफआईआर तक लिखने में कोताही बरती जाती है। स्थानीय खुफिया तंत्र इस कदर लचर हो चुका है कि उसे अपराधियों के संगठित अपराधों की भनक तक नहीं लग पाती है। अपराधी अपराध कर आराम से फरार हो जाते हैं लेकिन पुलिस उनका सुराग तक लगाने में नाकाम साबित होती है। यही वजह है कि तमाम जघन्य वारदातों की फाइलें ठंडे बस्ते में डाली जा चुकी है। जाहिर है कि यदि सरकार अपराधों पर अंकुश लगाना चाहती है तो उसे सबसे पहले विभाग में व्याप्त भ्रष्टïाचार और पुलिस-अपराधी गठजोड़ को समाप्त करना होगा। इसके अलावा जवाबदेही तय करनी होगी। पुलिस तंत्र की कार्यप्रणाली में आमूल बदलाव करना होगा। यदि जल्द ही ऐसा नहीं किया गया तो यह प्रदेश की सरकार और जनता दोनों के लिए शुभ नहीं होगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button