प्रदेश के छह जिलों में विकसित होंगे इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल पार्क

यूपी सरकार ने कंसल्टेंट चयन के लिए ई-टेंडर आमंत्रित किए

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। योगी सरकार प्रदेश के छह जिलों में इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल पार्क विकसित करेगी। इसके लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है। जल्द ही प्रस्ताव पर अमल किया जा सकता है। सूक्ष्म, लघु और मध्यम दर्जे के उद्योगों (एमएसएमई) को बढ़ावा देने और इस क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा निवेश आकर्षित करने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार राज्य के छह जिलों में इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल पार्क विकसित करना चाहती है। जिन छह जिलों में इंडस्ट्रियल पार्क विकसित करने का इरादा है, उनमें आगरा, कानपुर, मुरादाबाद, वाराणसी, आजमगढ़ और गोरखपुर शामिल हैं। इन जिलों समेत प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में इंडस्ट्रियल पार्क विकसित करने के लिए यूपी सरकार ने कंसल्टेंट चयन के लिए ई-टेंडर आमंत्रित किए हैं।
एमएसएमई की संख्या के लिहाज से देश में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 14.2 प्रतिशत है। वर्ष 2018-19 में एमएसएमई सेक्टर के माध्यम से प्रदेश ने 1.14 लाख करोड़ रुपये का निर्यात किया था। एमएसएमई सेक्टर के नियोजित विकास और मूल्य संवर्धन के उद्देश्य से राज्य सरकार की एमएसएमई नीति, 2017 में प्रदेश में एमएसएमई पार्क की स्थापना का प्रावधान किया गया है। नीति के अनुसार पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर और गाजियाबाद जिलों को छोडक़र प्रदेश में कहीं भी न्यूनतम 20 एकड़ क्षेत्रफल पर एमएसएमई पार्क विकसित किए जा सकते हैं। राज्य सरकार की मंशा है कि पहले चरण में छह जिलों में इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल पार्क विकसित किए जाएं।

पार्क में इस तरह की मिलेंगी सुविधाएं

प्रस्तावित इंडस्ट्रियल पार्क में एमएसएमई इकाइयों के लिए सभी सुविधाएं एक ही परिसर में जुटाने का प्रयास होगा। इंडस्ट्रियल पार्क के मैन्युफैक्चरिंग जोन में फ्लैटनुमा कारखाने और फैक्ट्री शेड होंगे। सामान्य सुविधाओं के तहत बिजनेस व शॉपिंग सेंटर, इन्क्यूबेशन सेंटर, होटल व रेस्टोरेंट, हॉस्टल, ऑफिस ब्लॉक, स्वास्थ्य व संचार सुविधाएं, पुलिस व फायर स्टेशन, आदि होंगे। बिजली, पानी, सडक़ की सुविधा के अलावा पार्क में कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट, टेस्टिंग व सर्टिफिकेशन लैब भी होंगे। लॉजिस्टिक्स के तहत वेयरहाउस, कंटेनर व ट्रक टर्मिनल, रेलवे साइडिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, फ्यूल स्टेशन आदि सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी। इसके अलावा हरियाली से भरा ग्रीन जोन भी होगा।

यूपी में बिजली दरें बढ़ाने की तैयारी, विद्युत नियामक आयोग ने प्रस्ताव स्वीकारा

120 दिनों के अंदर बिजली की नई दरें घोषित हो सकती है

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बिजली की दरें बढऩी तय है। विद्युत नियामक आयोग ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए बिजली कंपनियों की ओर से दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। एआरआर स्वीकारने से 120 दिनों में आयोग को बिजली की नई दरें घोषित करनी होती हैं। हालांकि कंपनियों ने अभी कोई प्रस्ताव आयोग को नहीं सौंपा है।
बता दें कि दरों में निर्णय करने से पहले आयोग एआरआर के आंकड़ों पर 10 और 13 अगस्त को वीसी के जरिए जनसुनवाई करेगा। बिजली कंपनियों ने वर्ष 2020-21 के लिए बीते दिनों विद्युत नियामक आयोग के समक्ष 70,792 करोड़ रुपये का एआरआर दाखिल किया था, जिसमें 4500 करोड़ रुपए का घाटा दिखाया गया था। बिजली कंपनियों ने विद्युत दरें बढ़ाने का कोई प्रस्ताव तो आयोग के समक्ष दाखिल नहीं किया है।

टैरिफ बढ़ोतरी का कोई भी प्रस्ताव नहीं

विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह और सदस्य कौशल किशोर शर्मा व विनोद श्रीवास्तव ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए 70792 करोड़ रुपए का एआरआर स्वीकार करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि बिजली कंपनियों ने इसमें दर्शाये गए 4500 करोड़ रुपए के घाटे की भरपाई के लिए टैरिफ बढ़ोतरी का कोई भी प्रस्ताव दाखिल नहीं किया है। आयोग ने बिजली कंपनियों को एआरआर के आंकड़े तीन दिन में प्रकाशित कराने का निर्देश दिया है ताकि विद्युत उपभोक्ता उस पर आपत्तियां व सुझाव दाखिल कर सकें।

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