ग्रामीण क्षेत्रों में मकानों का मालिकाना हक मिलने का रास्ता साफ

स्वामित्व योजना के तहत मिलेगी घरौनी
कैबिनेट बैठक में 15 प्रस्तावों को दी गई मंजूरी

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। यूपी में गांवों के आबादी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की संपत्तियों का सीमांकन कर ग्रामीणों को उनके मकानों के मालिकाना हक के दस्तावेज मुहैया कराने का रास्ता साफ हो गया है। स्वामित्व योजना के तहत ग्रामीण आबादी के सर्वेक्षण कार्य और गांव वासियों को घरौनी उपलब्ध कराने की प्रक्रिया को अमली जामा पहनाने के लिए लखनऊ में हुई कैबिनेट बैठक में उत्तर प्रदेश आबादी सर्वेक्षण एवं अभिलेख संक्रिया विनियमावली, 2020 समेत कुल 15 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।
स्वामित्व योजना के तहत ग्रामीणों को उनके मकानों के स्वामित्व प्रमाणपत्र के तौर पर ग्रामीण आवासीय अभिलेख (घरौनी) दिये जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 अक्टूबर को प्रदेश के 37 जिलों के 370 गांवों के लोगों को उनके मकानों के प्रॉपर्टी कार्ड का डिजिटल वितरण करेंगे। पहले यह कार्यक्रम दो अक्टूबर को प्रस्तावित था। स्वामित्व योजना का फायदा यह होगा कि गांवों में संपत्तियों पर कब्जे को लेकर झगड़े-फसाद में कमी आएगी। गांव के लोग अपने मकान की घरौनी को बंधक रखकर बैंक से अपनी जरूरतों के लिए कर्ज ले सकेंगे। आबादी सर्वेक्षण के लिए राज्य सरकार की ओर से अधिसूचना जारी किये जाने के बाद डीएम इसके लिए ग्रामवार सूचना का कार्यक्रम तय करेंगे। सर्वेक्षण से पहले ग्राम पंचायतों की बैठक करके ग्रामीणों को आबादी सर्वेक्षण की प्रक्रिया और उसके फायदों की जानकारी दी जाएगी। यदि सूची को लेकर किसी को कोई आपत्ति है तो उसे सूची के प्रकाशन से 15 दिनों के अंदर अपनी आपत्ति दर्ज करानी होगी। आपत्ति की सुनवाई संबंधित एसडीएम (सहायक अभिलेख अधिकारी) करेंगे।

गांव के हर मकान का होगा यूनिक आईडी नंबर

स्वामित्व योजना के तहत ग्रामीणों को दी जाने वाली घरौनी में हर मकान का यूनिक आईडी नंबर दर्ज होगा। 13 अंकों के इस आईडी नंबर में पहले छह अंक गांव के कोड को दर्शाएंगे। अगले पांच अंक आबादी के प्लांट नंबर को दर्शाएंगे और आखिरी के दो अंक उसके संभावित विभाजन को दर्शाएंगे।

पोषाहार उत्पादन व वितरण के लिए टेंडर न करने का फैसला

अब सभी 75 जिलों में पोषाहार का उत्पादन और वितरण स्वयं सहायता समूह की महिलाएं करेंगी। स्थानीय स्तर पर रोजगार को बढ़ावा देने के लिए योगी सरकार ने पोषाहार उत्पादन व वितरण के लिए टेंडर न करने का फैसला किया है। आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए हर साल पोषाहार की करीब चार हजार करोड़ रुपये की खरीद होती है। अब यह काम उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से स्वयं समहायता समूहों की महिलाओं को दिया जाएगा। प्रदेश सरकार ने पहले केवल 18 जिलों में स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को पुष्टाहार उत्पादन व वितरण का काम दिया था। बाकी जिलों के लिए टेंडर आमंत्रित किए गए थे। टेेंडर में बहुत कम कंपनियों ने हिस्सा लिया। इस कारण पोषाहार की दरें काफी अधिक आईं। सरकार ने पोषाहार की दरों को देखते हुए अब यह काम सभी जिलों में प्रदेश की स्थानीय स्तर की महिलाओं के समूहों को सौंप दिया है। सरकार के नए फैसले से स्थानीय स्तर पर महिलाएं उद्यमी बनेंगी और उन्हें स्थायी रोजगार मिल सकेगा।

कोवैक्सीन के तीसरे फेज के ट्रायल की तैयारी शुरू

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। इंडियन काउंसिंल ऑफ मेडिकल रिसर्च और भारत बायोटेक द्वारा तैयार कोरोना वैक्सीन के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ट्रायल की तैयारी शुरू हो गई है। इसके लिए तीन शिक्षकों की कमेटी बनाई गई है।
कमेटी की अगुआई सोशल एंड प्रिवेंटिव मेडिसिन के विभागाध्यक्ष प्रो. डीके श्रीवास्तव को सौंपी गई है। आईसीएमआर और भारत बायोटेक ने कोरोना वायरस से बचाव के लिए वैक्सीन का निर्माण किया है। इसे कोवैक्सीन का नाम दिया गया है। इस वैक्सीन के दो फेज का ट्रॉयल हो चुका है। तीसरे फेज के लिए प्रदेश में बीआरडी मेडिकल कॉलेज और लखनऊ के पीजीआई का चयन हुआ है। वैक्सीन के ट्रॉयल को लेकर कवायद तेज हो गई है। ट्रायल में देशभर में करीब 25 हजार लोगों को कोवैक्सीन की डोज दी जाएगी।

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