कोरोना से निपटने को कोई नीति नहीं बना सकी भाजपा सरकार: अखिलेश

  • लगातार बढ़ रहा संक्रमण लखनऊ के सरकारी अस्पतालों में बेड काफी कम
  • निजी अस्पतालों व मेडिकल कॉलेजों पर बढ़ाया मरीजों की भर्ती का दबाव
  • रोगियों को नहीं मिल रहा चिकित्सा सुविधाओं का लाभ

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा है कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। लखनऊ की हालत बेहद चिंताजनक है। इस महामारी से निपटने के लिए राज्य सरकार कोई नीति नहीं बना सकी है। लखनऊ में सबसे अधिक सक्रिय केस हैं, लेकिन अस्पतालों में बेड सीमित संख्या में ही है। एसजीपीजीआई, केजीएमयू और राम मनोहर लोहिया अस्पताल के पास काफी बेड है, लेकिन कोरोना मरीजों के लिए चंद बेड ही आरक्षित किये गये हैं। लखनऊ में सबसे अधिक भार निजी मेडिकल कॉलेजों पर है। एसजीपीजीआई, केजीएमयू और राम मनोहर लोहिया अस्पताल की बेड क्षमता का पूरा उपयोग नहीं हो रहा है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कई बार अस्पतालों में बेड बढ़ाने का निर्देश दे चुके हैं, लेकिन अधिकारी अनसुना कर रहे हैं। अगर अधिकारी सरकार के निर्देश का पालन करते और पीजीआई, केजीएमयू व लोहिया चिकित्सा संस्थानों में क्षमतानुरूप कोविड बेड आरक्षित करते तो तस्वीर कुछ और होती। शहर में कोरोना मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। कोविड अस्पतालों में बेड की संख्या रोगियों की तुलना में काफी कम है। यही कारण है कि सरकार ने निजी अस्पतालों व मेडिकल कालेजों पर मरीजों की भर्ती का दबाव बढ़ा दिया है।
उन्होंने कहा कि कुछ इसी तरह का हाल लखनऊ के अन्य हॉस्पिटलों का भी है। इस वैश्विक महामारी में भी लखनऊ में स्थित सभी हॉस्पिटल अपने दायित्व का निर्वाहन नहीं कर रहे हैं। अस्पतालों द्वारा सरकार के निर्देशों की अवहेलना की जा रही है। जिस वजह से बड़ी संख्या में संक्रमित रोगियों को चिकित्सा सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। अगर देखा जाए तो दिल्ली, मुम्बई और चेन्नई सहित सभी महानगरों में स्थित निजी चिकित्सालय इस वैश्विक लड़ाई में सरकार के कंधे के कंधा मिला कर चल रहे हैं, इनका बड़ी संख्या में कोरोना मरीजों को लाभ मिल रहा है। संकट की स्थिति इसलिए भी है कि भाजपा सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं पर ध्यान नहीं दिया। समाजवादी सरकार में मेडिकल कॉलेज बने और एमबीबीएस की सीटों में बढ़ोत्तरी हुई लेकिन भाजपा ने उसके आगे कुछ नहीं किया। 108 और 102 एम्बुलेंस सेवा बर्बाद कर दी गई। अस्पतालों में नि:शुल्क चिकित्सा की व्यवस्था की गई थी। लिहाजा आज सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था भी चरमरा गई है।

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