कोरोना वार्ड में ही टीबी, किडनी, शुगर और कैंसर मरीजों की भी जांच

कोरोना संक्रमण का बढ़ता कहर देख अस्पताल जाने से कतरा रहे हैं किडनी पेशेंट
१११ 4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। कोविड-19 महामारी के कारण अन्य बीमारी से जूझ रहे मरीजों को ठीक से इलाज नहीं मिल पा रहा है। राजधानी में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढऩे से अस्पतालों में अव्यवस्थाएं पहले से ज्यादा बढ़ गई हैं, जिस कारण अन्य गंभीर बीमारियों के मरीज अस्पताल जाने में कतरा रहे हैं। दरअसल, कोरोना संक्रमित व अन्य बीमारी ( किडनी, शुगर, लीवर, टीबी, कैंसर ) के मरीजों को एक ही वार्ड में जांच के लिए भेज दिया जाता है। एक ही वार्ड में जांच होने से अन्य गंभीर बीमारी के मरीजों में कोरोना की चपेट में आने का लगातार भय बना हुआ है। इस कारण गैर-कोरोना संक्रमित मरीज अपनी बीमारी का इलाज नहीं करा रहे हैं।
केजीएमयू में कोरोना वार्ड में कोरोना संक्रमितों से लेकर हर तरह के मरीज कोविड-19 की जांच कराने आते हैं। ऐसे में दूसरी बीमारियों से जंग लड़ रहे मरीजों का कहना है कि वह पहले से बीमार हैं। यदि वे जांच के दौरान किसी संक्रमित के संपर्क में आ गए तो उन्हें भी संक्रमण का खतरा हो सकता है। किडनी, टीबी, शुगर, लीवर, कैंसर आदि से संबंधित बीमारियां शरीर के इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देती हैं, जिससे इन बीमारियों से ग्रसित मरीजों की जान को अधिक खतरा रहता है। कोविड-19 से मृत्यु का कारण इसी तरह की बीमारियों का होना है।

स्ट्रेचर के लिए भटकता रहा युवक

अम्बेडकर नगर से अरशद अपनी मां का इलाज कराने आए थे। उन्होंने बताया कि मां के पैरों में घाव हो गया था, जिस कारण केजीएमयू आना पड़ा। अरशद की मां के पैर सूजन के कारण फूल चुके थे, जिससे वह न तो चल पा रही थी और न ही दर्द के कारण होश में थी। अरशद का कहना है वह कई लोगों से पूछते रहे कि स्ट्रेचर कहां मिलेगा लेकिन अस्पताल प्रशासन का कोई कर्मचारी कुछ बताने को तैयार नहीं है। मजबूरी में मां को पकडक़र एक स्थान पर बिठाना चाहा तो वह होल्डिंग एरिया के बाहर गिर गईं। इसके बाद उन्हें और चोट लग गई।

इलाज कराने से पहले कोविड-19 की जांच जरूरी

पूर्णिमा का कहना है कि उसके पिता को पैरालिसिस हैं और उनकी दोनों किडनी में समस्या है। कोरोना काल में इलाज कराने से पहले कोविड-19 की जांच की जाती है। जब वह अपने पिता को जांच के लिए कोरोना वार्ड के पास ले जाती हैं तो भीड़ के साथ कोरोना संक्रमितों को देखकर घबरा जाती हैं। वह डरती हैं कि कोविड-19 की जांच कराने के साथ कहीं वायरस उनके पिता को अपने चपेट में न ले ले। वे कहती है कि नेफ्रोलॉजी डिपार्टमेंट में सभी बेड खाली हैं लेकिन डॉक्टर उनके पिता को भर्ती करने को राजी नहीं हैं। प्रकाश नाम के एक अन्य शख्स का कहना है कि केजीएमयू के कुछ डॉक्टर्स व नर्स बहुत अधिक अभद्र तरीके से पेश आते हैं। पूछने पर सही जवाब नहीं देते हैं और यदि देते भी हैं तो अभद्रता के साथ जवाब देकर वहां से दफा होने की बात कहते हैं। गोंडा से अपनी मां का इलाज कराने आयीं उषा का कहना है कि डॉक्टर्स पिछले एक हफ्ते से लगातार सिर्फ टेस्ट लिख रहे हैं जबकि मरीज की हालात पहले से और अधिक गंभीर होती जा रही है। कोविड-19 की जांच सिर्फ 10 दिन तक मान्य है। ऐसे में बार-बार मरीज को संक्रमितों के बीच ले जाना ठीक नहीं है।

जनता परेशान न हो इसके लिए कोरोना हेल्प डेस्क और कोरोना कंट्रोल रूम बना रखा है। होल्डिंग एरिया और आईडीएच कोरोना की जांच के लिए बने हैं जहां से कोई भी जांच करा सकता है। अन्य बीमारी से संबंधित मरीज फीवर ओपीडी या इमरजेंसी ओपीडी में संपर्क कर सकते हैं। परेशानी वाली कोई बात नहीं है।
डॉ. सुधीर, मीडिया प्रभारी, केजीएमयू

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