कोरोना काल और लचर चिकित्सा सेवा

sanjay sharma

सवाल यह है कि अस्पतालों में अन्य गंभीर रोगों के मरीजों को इलाज क्यों नहीं मिल पा रहा है? सरकार के तमाम दावों के बावजूद अस्पतालों से ऐसे मरीजों को लौटाया क्यों जा रहा है? ऑपरेशन और अन्य जांचें पूरी तरह प्रभावित क्यों हो गई हैं? क्या लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी नहीं है? सरकारी अस्पताल बुनियादी सुविधाओं से क्यों जूझ रहे हैं?

कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में हाहाकार मचा दिया है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। यहां रोजाना हजारों नए केस आ रहे हैं। देश में 14 लाख 35 हजार से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं जबकि 32 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं उत्तर प्रदेश में तेजी से बढ़ते केस ने सरकारी चिकित्सा व्यवस्था को चरमरा दिया है। सबसे खराब स्थिति कोरोना से इतर अन्य रोगों के गंभीर मरीजों की है। इन मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है। वे अस्पतालों में धक्के खा रहे हैं। सवाल यह है कि अस्पतालों में अन्य गंभीर रोगों के मरीजों को इलाज क्यों नहीं मिल पा रहा है? सरकार के तमाम दावों के बावजूद अस्पतालों से ऐसे मरीजों को लौटाया क्यों जा रहा है? ऑपरेशन और अन्य जांचें पूरी तरह प्रभावित क्यों हो गई हैं? क्या लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी नहीं है? सरकारी अस्पताल बुनियादी सुविधाओं से क्यों जूझ रहे हैं? क्या चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों की कमी का खामियाजा प्रदेश के नागरिक भुगतने को मजबूर हैं?
उत्तर प्रदेश में कोरोना का संक्रमण हर अगले दिन के साथ बढ़ता जा रहा है। यूपी में करीब 67 हजार लोग कोरोना की चपेट में आ चुके हैं जबकि 1426 लोगों की मौत हो चुकी है। अस्पतालों में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। सभी संक्रमितों का इलाज करना और अस्पताल में आइसोलेट करना मुश्किल होता जा रहा है। यही वजह है कि सरकार ने बिना लक्षण या हल्के लक्षण वाले मरीजों को होम आइसोलेशन की मंजूरी दे दी है। इन सबके बीच कैंसर व अन्य गंभीर रोगों के मरीजों को इलाज मिलना मुश्किल होता जा रहा है। उनको जांच और इलाज के नाम पर टरकाया जा रहा है। यही नहीं अस्पतालों में दवाओं का स्टॉक भी पर्याप्त नहीं है। इसके कारण सामान्य रोगों की चपेट में आए मरीजों को भी दवाएं नहीं मिल पा रही हैं। दरअसल, कोरोना संक्रमण ने चिकित्सा व्यवस्था की पोल खोल दी है। यह दीगर है कि सरकार ने कोरोना से जंग लडऩे के लिए आनन-फानन में काफी कुछ इंतजाम किया है लेकिन संक्रमण के बढऩे के कारण ये नाकाफी साबित हो रहे हैं। सबसे बड़ी समस्या डॉक्टर व स्वास्थ्यकर्मियों की कमी है। अधिकांश चिकित्सकों को कोरोना मरीजों के इलाज में लगा दिया गया है, जिसके कारण अन्य मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। यदि सरकार लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देना चाहती है तो उसे न केवल चिकित्सा व्यवस्था को दुरुस्त करना होगा बल्कि डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की संख्या भी बढ़ानी होगी। साथ ही गंभीर मरीजों के इलाज की व्यवस्था भी करनी होगी।

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