किसी खास के इशारे पर नियम ताक पर, बिना सुनवाई के तोड़ दिया निर्माण

  • आवास विकास ने लिखा पहले सुन लें पीडि़त का पक्ष मगर एलडीए के अफसरों ने ताक पर रख दिया आदेश
  • करोड़ों की जमीन पर है भू माफियाओं की नजर
  • कोरोना काल में एलडीएकी मनमानी कार्रवाई पर उठे सवाल

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। शहर में लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) नियम ताक पर रखकर भूखंडों पर जबरन ध्वस्तीकरण की कार्रवाई कर रहा है। कोरोना काल में एलडीए की इस मनमानी पर न्यू गोल्डेन सिटी सहकारी आवास सोसायटी ने सवाल उठाए हैं। सोसायटी के सदस्यों का कहना है कि पूरा विश्व कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है। भारत में भी स्थिति चिंताजनक है। बावजूद इसके एलडीए किसी खास के इशारे पर भू-माफियाओं से मिलकर ऐसे समय में सोसायटी के लोगों को परेशान कर रहा है। बिना सुनवाई के उनकी चारदीवार को एलडीए द्वारा तोड़ा गया।
न्यू गोल्डेन सिटी सहकारी आवास सोसायटी ने लखनऊ विकास प्राधिकरण एलडीए की ओर से उनके भूखण्डों पर बनी बाउण्ड्रीवाल पर की जा रही ध्वस्तीकरण की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की है। सोसायटी के सदस्यों गोपाल श्रीवास्तव, सुमन शुक्ला, अर्चना मिश्रा समेत दस अन्य लोगों ने इस संबंध में अपर आवास आयुक्त को शिकायत की है। शिकायती पत्र में कहा गया कि कोरोना महामारी के प्रकोप के चलते देशभर में लॉकडाउन है। इस लॉकडाउन में लखनऊ विकास प्राधिकरण ने हमें परेशान किया। लोगों का कहना है कि एलडीए ने भू-विन्यास स्वीकृति न होने की बात कह हमारी जमीनों पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की। बाउण्ड्रीवाल तोड़ दी जबकि जब हम लोगों ने मकान लिया तो यहां पर एलडीए था ही नहीं। आवास विकास के तहत सोसायटी से भूखंड खरीदे, जिसका ब्यौरा नगर निगम में दर्ज है। हाउस टैक्स भी जमा कर रहे हैं। भूखंड आवास विकास से प्रूव्ड है। बावजूद एलडीए प्रताडि़त कर रहा है। एलडीए ने इस संबंध में ले आउट पास न होने के चलते फरवरी में नोटिस दी। इसके जवाब में 26 फरवरी को न्यायालय में रिपोर्ट दाखिल की गई। लॉकडाउन के चलते सब ठप हो गया। मामले में कोई कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पाई। इधर एलडीए व कुछ भू-माफियाओं के सहयोग से न्यू गोल्डेन सिटी को बिना किसी जानकारी के निर्माण कार्य जबरन गिरा दिया गया। समिति की जमीन पर चलाई जा रही बाउण्ड्रीवाल पर ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया नियम विरुद्घ है। समिति के सदस्यों ने इस संबंध में आवास विकास आयुक्त को पत्र लिखा है कि उपरोक्त प्रकरण को संज्ञान में लेते हुए सोसायटी के सदस्यों के भूखंडों पर हुए नुकसान की भरपाई दिलाई जाए। दोषी कर्मचारियों व भूमाफियाओं पर कार्रवाई की जाए। इस मामले में अपर आवास आयुक्त वीके मिश्र ने एलडीए से कहा है कि सोसायटी के पदाधिकारियों को अवसर प्रदान किया जाए। पहले पीडि़तों का पक्ष सुना जाए। इसके बाद ही कोई कार्रवाई की जाए क्योंकि भौतिक सत्यापन के लिए एक कमेटी गठित है।

सरकारी वादे के ढाई साल बाद भी नहीं बनी मेधावी के घर तक सडक़

डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के आश्वासन के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई

  • एम्स व नीट के एमबीबीएस में बरेली मंडल व वेटनरी काउंसिल ऑफ इंडिया में यूपी टॉपर रहे हैं कमल राज
  • टरका रहे उच्चाधिकारी, लोक निर्माण विभाग बोला, टॉपर्स लिस्ट में दर्ज नहीं नाम

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। प्रदेश के मेधावी छात्रों के घरों तक सडक़ बनाने का सरकारी वादा जमीन पर उतरता नहीं दिख रहा है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है। एम्स व नीट के एमबीबीएस परीक्षा में बरेली मंडल और वेटनरी काउंसिल ऑफ इंडिया में यूपी टॉप करने वाले कमल राज के घर तक ढाई साल बाद भी सडक़ नहीं बन सकी है जबकि खुद उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने सडक़ बनवाने का आश्वासन दिया था।
बरेली के ग्राम मुडिया अहमदनगर निवासी कमल राज ने बताया कि वर्ष 2018 में मेधावी छात्र सम्मान समारोह में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने घोषणा की थी कि प्रदेश के किसी इलाके में यदि कोई प्रतिभा है तो उसके बारे में उन्हें जानकारी भेजें ताकि उनके यहां भी सडक़ों का निर्माण कराया जा सके। मैंने वर्ष 2016 में वेटनरी काउंसिल आफ इंडिया में ऑल इंडिया 21वीं रैंक व यूपी में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। इसके अलावा नीट व एम्स की एमबीबीएस परीक्षा में बरेली मंडल में टॉप किया था। वर्तमान में मैं एम्स मेडिकल कालेज ऋषिकेश में फोर्थ ईयर का छात्र हूं। मैंने उपमुख्यमंत्री के घोषणा के बाद लोक निर्माण विभाग बरेली में सडक़ न बनने की शिकायत दर्ज कराई थी। इस पर विभाग ने कहा कि मार्ग का नाम प्राप्त कराई गई टापर्स छात्रों के नामों की सूची में अंकित नहीं है। इस मामले में मैंने मुख्य विकास अधिकारी बरेली को भी प्रार्थना पत्र दिया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद कमल राज ने उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को भी पत्र लिखा। पत्र में लिखा गया कि बतौर मेधावी छात्र मैंने अपने गांव में पक्की सडक़ बनवाने के लिए लोक निर्माण विभाग, विकास विभाग, उच्च शिक्षा विभाग, जिला विद्यालय निरीक्षक व बरेली के कई उच्च अधिकारियों से सम्पर्क किया लेकिन किसी ने भी इस पर सुनवाई नहीं की। पत्र में लिखा गया कि गांव में कई सरकारी शिक्षण संस्थान हंै। इनमें दो से तीन हजार छात्र शिक्षा ग्रहण करतेहैं लेकिन सडक़ ठीक नहीं होने के कारण छात्रों को परेशानी उठानी पड़ती है। कमल राज के पिता सूरजपाल ने बताया कि वे वर्ष 2018 में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से लखनऊ में मुलाकात की थी। उस समय उन्होंने आश्वासन दिया था कि मेधावी सम्मान योजना के तहत आपके यहां की सडक़ बन जाएगी लेकिन ढाई साल बीतने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

समाचार एजेंसी पीटीआई को प्रसार भारती की धमकी पर पत्रकारों में चिंता

  • आईडब्ल्यूपीसी और प्रेस एसोसिएशन ने जताई चिंता

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। इंडियन विमन्स प्रेस कोर (आईडब्ल्यूपीसी) और प्रेस एसोसिएशन ने प्रसार भारती द्वारा पीटीआई को दी गई धमकी पर चिन्ता जाहिर की है। पत्रकारों के दोनों महत्वपूर्ण संगठनों ने एक संयुक्त वक्तव्य में पीटीआई और प्रेस की स्वतंत्रता के साथ खड़े होने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है।
प्रसार भारती ने देश की सबसे बड़ी समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया को खुलेआम पत्र लिखकर डिश द्रोही बता दिया है और उसकी सेवाएं बंद करने की धमकी दे डाली है। प्रसार भारती के इस कदम की जमकर निंदा हो रही है। पत्रकार जगत में यह चर्चा है कि अभी तक सिर्फ पत्रकारों को ही देशद्रोही का तमगा दिया जाता था। अब सारी हदें पार करके पूरी की पूरी समाचार एजेंसी पर सवालिया निशान लगाते हुए उसे देशद्रोही करार दे दिया गया है। पीटीआई का कसूर इतना था कि उसने चीन के राजूदत सुन वेईडांग के हवाले से कहा था कि आपसी सम्मान और समर्थन निश्चित तौर पर दोनों देशों के हित में है। इसमें चीनी सेना की कोई गलती नहीं है। मौजूदा हालातों के लिए भारतीय सेना जिम्मेदार है। इसके बाद चीनी राजदूत सुन वेईडांग ने एक ट्वीट करके यह बताया था कि उन्होंने भारतीय समाचार एजेंसी पीटीआई को एक इंटरव्यू दिया है और इसमें उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि मौजूदा हालातों के लिए भारत जिम्मेदार है और चीन की कोई गलती नहीं है। हम आपसी बातचीत के जरिए मामले को हल करना चाहते हैं। शांति चाहते हैं। समाचार संस्थाओं का काम है कि वह किसी खबर से सम्बंधित सभी पक्षों की बात जनता तक पहुंचाएं।
बता दें कि पीटीआई को प्रसार भारती उसकी सेवाएं लेकर रेवेन्यू देता है। लेकिन प्रसार भारती के इस रवैये से पत्रकार जगत में उसकी निंदा हो रही है। इस पूरे मामले पर न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट पब्लिश करते हुए कहा है कि यह पहला मामला नहीं है जब सरकार ने इस तरह का बर्ताव किया है। इससे पूर्व भी केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने पीटीआई को गुजरात के अहमदाबाद एयरपोर्ट की बाढ़ में डूबने वाली तस्वीर जारी करने पर आड़े हाथों लिया था और कहा था कि पीटीआई ने गलत तस्वीर जारी की है। इसके बाद पीटीआई को खंडन जारी करना पड़ा था। अब प्रसार भारती के पत्र में यह स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि वह अपने और पीटीआई के संबंधों की समीक्षा कर रहा है और जल्द ही इस पर निर्णय लेगा। ऐसे में प्रसार भारती के इस कदम को मीडिया जगत में दमनकारी माना जा रहा है।

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