किसान के खेत को कारपोरेट घरानों को देने की साजिश कर रही भाजपा सरकार: अखिलेश

सरकार की कुनीतियों के कारण कृषि क्षेत्र पर संकट
विदेशी कंपनियों का बंधक बन जाएगा किसान
ट्यूबवेल पर बढ़ा दिया गए बिजली के दाम

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा सरकार की कुनीतियों से कृषि क्षेत्र पर गम्भीर संकट के बादल छा गये हैं। आर्थिक सुधार के नाम पर भाजपा की केन्द्र सरकार जो तीन अध्यादेश लाई है उससे किसानों की दशा के दुर्दशा में बदलने में देर नहीं लगेगी। किसान अभी घाटे में रहकर भी अपने खेत में श्रम करने से नहीं चूकता है। भाजपा उसके खेत को ही छीन कर कारपोरेट घरानों को देने की साजिश कर रही है। वह इस क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा पूंजीनिवेश का भी रास्ता खोल रही है, देश का किसान तब विदेशी कम्पनियों का बन्धक बन जाएगा।
उन्होंने कहा कि भाजपा ने पहले किसानों की आय दोगुनी करने और फसल का दाम डयोढ़ा करने का जो वादा किया उसकी अब चर्चा भी नहीं होती है। उसकी जगह कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की वकालत की जाने लगी है। इसमें किसान का मालिकाना हक भी चला जाएगा। किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलना चाहिए पर सरकार इसे दिलाने में पूरी तरह विफल रही है। इसका फायदा बिचौलियों को ही मिलता है। किसान के हिस्से तो क्रय केन्द्रों पर दुव्र्यवहार ही आता है। भाजपा सरकार अपने किसी भी वादे को निभाना नहीं चाहती है। इसलिए उसने अपने अध्यादेश में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की है कि किसान को कम्पनियां एमएसपी से कम दाम नहीं देंगी? भाजपा सरकार ने खेती को आवश्यक वस्तु अधिनियम से हटाकर और दूसरे राज्यों में भी फसल बेचने की सुविधा देकर कोई बड़ा उपकार नहीं किया है। जब अपने प्रदेश में ही वे उपेक्षित हैं, साधन विहीन हैं तो वे बाहर कहां बाजार की खोज करने जा सकेंगे? इसके अलावा आज अधिकांश किसान छोटी जोत वाले हैं वे अपने माल का भंडारण नहीं कर सकते हैं। बिचौलियों को ही इसका फायदा होगा। वैसे भी प्रदेश में पर्याप्त भंडारण गृह नहीं है।
उन्होंने कहा कि भाजपा की किसान विरोधी नीतियों का ही नतीजा है कि सपा सरकार ने किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए चार लेन सडक़ों और मंडियों की स्थापना की दिशा में जो पहल की थी, उसे रोक दिया गया है। मंडियों में किसान अपना उत्पाद ले जाकर मोलभाव से ज्यादा लाभ ले सकते थे। भाजपा सरकार ने उस व्यवस्था को ही समाप्त करने की योजना बना ली है। भाजपा सरकार की किसानों के प्रति बदनीयती इसी से जाहिर होती है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने पिछले 8 वर्षों में 1.23 लाख करोड़ के कारपोरेट ऋण को बट्टे खाते में डाल दिया है। 50 बड़े कर्जदार भारी ऋण लेकर विदेश भाग गए जबकि किसानों को छोटे-छोटे कर्ज के लिए भी वसूली की नोटिस, तहसील में गिरफ्तारी आदि से अपमानित किया जाता है। कृषि फीडर बन जाने के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में 10 घंटे भी बिजली नहीं दी जाती है जबकि समाजवादी सरकार के समय किसानों को 18 घंटे विद्युत आपूर्ति मिलती थी। ट्यूबवेल पर बिजली बिल बढ़ा दिया गया है।

कार सवारों के पास से बीस लाख के पुराने नोट बरामद

खुफिया एजेंसियां अलर्ट
उत्तराखंड और रामपुर के हैं युवक, पूछताछ जारी

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
बरेली। दिल्ली-लखनऊ नेशनल हाईवे पर कस्बे में वाहन चेकिंग के दौरान पुलिस ने उत्तराखंड नंबर की कार की तलाशी ली। उसमें करीब बीस लाख की पुरानी करेंसी मिली जोकि नोटबंदी के दौरान बंद हो चुकी थी। इतनी बड़ी संख्या में पुराने नोट देख पुलिस ने कार सवार चार युवकों से इस बाबत पूछताछ शुरू कर दी।
खुफिया विभाग भी यह जानने में जुटा है कि इन नोटों को अब तक रखने का मकसद क्या था। आरोपी इन पुराने नोटों को लेकर कहां जा रहे थे, इस बाबत अभी स्पष्ट नहीं सका है। देर रात अधिकारियों को इसकी सूचना दी गई। बताया गया कि कार में सौ व पांच सौ के पुराने नोटों की कई गड्डियां हैं। कार में सवार तीन युवक उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर के बताए जा रहे हैं जबकि चौथा युवक रामपुर का है। नोट लेकर वे कहां जाना चाहते थे, यह अभी स्पष्ट नहीं हो सका। रात में ही स्थानीय अधिकारियों ने इसकी सूचना लखनऊ में आला अधिकारियों को भी पहुंचा दी। जिसके बाद लोकल इंटेलीजेंस यूनिट, आईबी, एटीएस की इकाइयां पूछताछ करने के लिए थाने पहुंची। एसएसपी शैलेश पांडेय ने कहा कि इनकम टैक्स, आईबी, एटीएस, एलआईयू अन्य खुफिया एजेंसियां पूछताछ कर रही हैं।

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