एक दशक से विकास की राह देख रहा इस्माइलगंज, हाथ पर हाथ धरे बैठे जिम्मेदार

विवादित जमीन का आज तक नहीं हुआ है निपटारा
बुनियादी और स्थानीय सुविधाओं से जूझ रहे हैं लोग

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। राजधानी के इस्माइलगंज वार्ड दो के बीच पडऩे वाली शारदा नहर प्रखंड-पांच की जमीन विवादित होने के चलते विकास कार्य दस साल से रुका हुआ है। विकास कार्य न होने से लोग बुनियादी और स्थानीय सुविधाओं से जूझ रहे हैं। बावजूद क्षेत्रवासियों की कोई सुनने वाला नहीं है।
क्षेत्र में रहने वाले नगर निगम के कर्मचारी और संघ के अध्यक्ष शशि कुमार मिश्रा ने भी कई बार इसकी शिकायत की, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। उनका कहना है कि नगर निगम के जोन सात के इस्माइलगंज प्रथम व द्वितीय वार्ड में इंदिरानगर के पास इंदिरा नहर कई वर्षों से खाली पड़ी है। जमीन नहर विभाग की होने के चलते विवादित है। विवादित होने की वजह से 10 वर्षों से इस पर एक भी विकास कार्य नहीं हुआ। इस क्षेत्र में लगभग दो सौ से अधिक घर बने हुए हैं, जिनकी आबादी तीन हजार से अधिक है। इस क्षेत्र में इंदिरानगर की शंकरपुरी कालोनी, अवधविहार, हरिहरनगर कालोनी आती हैं। क्षेत्र के विकसित होने के बाद भी यहां पर नाली, सडक़ें और सीवर बनाने का काम दस सालों के बाद भी नहीं हो सका। क्षेत्र में जल निकासी की भी कोई सुविधा नहीं है। क्षेत्रीय निवासियों का कहना है कच्ची नहर पिछले 10 वर्षों से बंद पड़ी है। क्षेत्र में न तो सफाई की जाती है और न ही पक्की सडक़ें हैं। खाली पड़े प्लॉटों पर भैसों का तबेला बना हुआ है। अधिकतर कालोनियों में गंदगी फैली रहती है। इसके अलावा सडक़ों के किनारे और खाली पड़े प्लॉटों में भी मलबा पड़ा हुआ है। पक्की सडक़ें न होने के कारण लोगों को आने जाने में भी समस्या होती है। इस गन्दगी से लोगों में कोरोना महामारी समेत कई संक्रामक रोगों के फैलने का खतरा है। मानसून आने और जल निकासी की सुविधा न होने के कारण मलेरिया, डेंगू आदि की समस्या भी पैदा हो सकती है। विवादित जमीन को लेकर जोन के अभियंता से बात की गई तो उन्होंने जमीन के विवादित होने के चलते विकास कार्य न होने की बात कही। वही क्षेत्र में बने नहर प्रखंड पांच के कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें 2500 वर्ग मीटर जमीन दी जाए तो वह जगह खाली कर देंगे।

मवेशियों का रहता है जमावड़ा

क्षेत्रीय लोगों का आरोप है कि क्षेत्र में अवैध डेरियां चल रही हैं। डेरी चालकों के पास न तो कोई लाइसेंस है और न ही किसी प्रकार की अनुमति। लोगों का कहना है कि प्लॉटों में भी लोगों ने अवैध कब्जे कर रखे हैं और उनमें अधिक मात्रा में मवेशी पाले हुए हैं। आवारा व पालतू मवेशी सडक़ पर गंदगी फैलाते हैं। इससे लोगों को आने-जाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। कई बार मारपीट की भी नौबत आ चुकी है। गंदगी को लेकर नगर निगम के उच्चाधिकारियों से कई बार शिकायत की गई। मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई। अधिकारी कहते हैं कि यह नहर से सटा मामला है। इसमें कुछ हिस्सा विवादित है। जब तक यह मामला नहीं सुलझेगा तब तक इस इलाके का विकास करना मुश्किल है।

लोगों ने सुनियोजित तरीके से मकान न बनाकर कहीं भी मकान बना लिए हैं। इससे समस्याएं सामने आ रही हैं। बिल्डरों ने प्लाटिंग करके मकान बना दिए न सडक़ों का ध्यान दिया न सीवर लाइन का। ऐसे में समस्याएं उत्पन्न हुईं।
इंद्रमणि त्रिपाठी, नगर आयुक्त नगर निगम लखनऊ

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