आत्मनिर्भर भारत : चाइनीज नहीं, अब भाई की कलाई पर सजेगी देसी राखियां

भारत-चीन तनाव को देखते हुए लोगों ने चाइनीज राखियों का किया बहिष्कार
बाजार में गायब हुईं चाइनीज राखी तो ओल्ड फैशन का बढ़ा क्रेज
१११ 4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। भारत-चीन के बढ़ते तनाव को देखते हुए लखनऊराइटï्ïस ने चाइनीज राखियों का बहिष्कार कर दिया है। ऐसे में इस बार भाइयों की कलाई पर चाइनीज नहीं बल्कि देसी राखियां चमकेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान से प्रेरणा लेते हुए इस बार बहनें भाइयों के लिए घर में खुद राखियां बना रही है। बाजारों में इन राखियों की डिमांड भी बढ़ गई है। तीन अगस्त को रक्षाबंधन है और इस त्यौहार पर बाजारों से चाइनीज राखियां गायब है। इसकी दो वजहें हैं। पहली भारत-चीन तनाव और दूसरी चीनी वायरस।
कोरोना वायरस जैसी महामारी के कारण भी राजधानी की दुकानों पर चाइनीज राखियों का लोगों ने बहिष्कार कर रखा है। वहीं इस बार कोरोना प्रकोप के चलते भाई की कलाई पर बांधी जाने वाली राखी का बाजार ठंडा रहेगा। इसका मुख्य कारण है कि लॉकडाउन की शनिवार-रविवार की दो दिन बंदी। रक्षाबंधन पर्व सोमवार को है। बता दें कि बाजार में कोरोना, वायरस, आई, ब्रदर, ब्रो, भाई-बहन, महाराजा, प्यारा भाई, गणेशजी, ऊं, राम नाम की राखियां और फोटो वाली राखियों की खूब बिक्री हो रही हैं।

यहां भी बुक कर सकते हैं राखी

चौक के ठाकुरगंज में मेडहाउस की ऑनर व ऑनलाइन राखी का व्यापार करने वाली शगुन वर्मा का कहना है कि कोरोना संक्रमण के कारण लोग बाहर निकलना पसंद नहीं कर रहे हैं। इसे ध्यान में रखते हुए स्वदेशी राखी बनाईं। राखी की कई वैरायटियां हमारे पास उपलब्ध है। लोग ऑनलाइन बुक करा सकते हैं। अभी रोजाना एक दिन में 25 से 30 राखियों का ऑर्डर आ रहा है। कई दुकानों से भी ऑर्डर मिले हैं। लोग हमारे द्वारा बनाई गई राखियों को पसंद कर रहे हैं, इस कारण दुकानों में इनकी डिमांड बढ़ गई है। खासकर शहर के चौक, इंदिरानगर, राजाजीपुरम व दुबग्गा इलाके में राखियों की ज्यादा मांग है।

स्वदेशी राखियों का क्रेज

लॉकडाउन के चलते बाजारों में मंदी छाई हुई है और राखी का ज्यादा व्यापार नहीं हो रहा है। घरों में बहनें आत्मनिर्भर अभियान से प्रेरणा लेते हुए स्वदेशी राखियां बना रही है। इनमें ओल्ड फैशन, न्यू फैशन से लेकर कोरोना की राखियों का क्रेज देखने को मिल रहा है। ओल्ड फैशन की चक्र वाली इन राखियों की खास बात यह है कि यह फैशनेवल भी हैं और ओल्ड फैशन भी। यह राखियां गोल व अन्य डिजाइन की भी बाजारों में बिक रही हैं। इन राखियों में स्टोन के साथ मोती से जड़ी हुई राखियां भी शामिल हैं। राखियों की शेप गोल और लम्बी भी है जो छोटी कलाई से लेकर बड़ी कलाई पर भी बांधी जा सकती है।

बाजार में छाईं कई वैरायटी

बाजार में नाम और भाई-बहन के फोटो वाली राखियां क्रेज में हैं। जिसकी साधारण कीमत 100 से लेकर 150 के बीच भी है। इसके अलावा कॉम्बो 299 से लेकर 899 के बीच ऑफर भी ऑनलाइन चल रहे हैं। कॉम्बों में कीरिंग आदि का ऑफर भी दिए जा रहे हैं। इन राखियों के लिए कोरियर सर्विसिज ( 3 दिन ) और स्वीगी डिलीवरी ( 2 घंटेे) में की जा रही है। वहीं घरों में बनने वाली स्वदेशी राखियों की कीमत कम है। ये 20 रुपए से लेकर 200 रुपए तक की हैं। इसके अलावा अमेजन, फ्लिपकार्ट सहित कई वेबसाइट पर ई-राखी का प्रचलन बढ़ा है। यहां से भी राखी गिफ्ट के साथ बुक की जा सकती है।

क्या कहते हैं व्यापारी

यहियागंज के व्यापारी सुरेंद्र गुप्ता का कहना है कि वह 18 साल से राखी का व्यापार कर रहे हैं। कोरोना वायरस के कारण पहली बार 50 फीसदी से भी कम व्यापार का काम चल रहा है। जो भी राखियां बिक रही हैं वह कलाकृतियां राखी हैं जो कि कलकत्ता की हैं। बाजार में महिलाओं के लिए कड़े वाली राखियां भी आईं हैं। इन राखियों की कीमत 100 से 250 के बीच है। रकाबगंज किराना मार्केट के व्यापारी रितेश गुप्ता का कहना है कि कोरोना के कारण 10 फीसदी ही व्यापार हो पा रहा है। इस बार चाइनीज राखी का व्यापार भी बंद कर रखा है। आईटी चौराहे पर दुकानदार रवि कुमार का कहना है इस बार राखियां ज्यादा तो नहीं बिक रहीं। पहले एक दिन में दो से ढाई हजार की बिक्री हो जाती थी लेकिन अब 400 से 500 ही हो रही है। अलीगंज में दुकानदार वरूण का कहना है कि इस बार कोरोना ने व्यापार चौपट कर दिया है। अब बिक्री न के बराबर है।

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