अब हल्के लक्षण वाले कोरोना मरीज बिना जांच जा सकेंगे घर

  • मरीजों को डिस्चार्ज होने से पहले नहीं करानी पड़ेगी कोरोना जांच
  • मरीजों को सात दिन होम आइसोलेशन में रहना अनिवार्य
  • इम्यून कॉम्प्रोमाइज्ड वाले मरीज जब तक निगेटिव नहीं आते तब तक उन्हें अस्पताल में ही रहना होगा

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। कोविड अस्पतालों में भर्ती हल्के लक्षण वाले कोरोना संक्रमित मरीज अब बिना जांच के घर जा सकते हैं जबकि पहले ऐसा नहीं था। डिस्चार्ज के एक दिन पहले टेस्ट होता था, मगर अब बिना जांच घर जा सकेंगे। हालांकि घर गए मरीजों में बीते सात दिन में अगर खांसी, बुखार होता है तो उन्हें जांच करानी होगी। इसके लिए उन्हें अस्पताल आना होगा। नहीं आना चाहते तो पास के नजदीकी अस्पताल में स्वास्थ्य की जांच करानी होगी।
इसके अलावा गंभीर मरीज यानी कैंसर, एचआईवी से ग्रसित मरीजों को डिस्चार्ज होने से पहले जांच कराना जरूरी है, वो भी घर जा सकते हैं। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने गाइडलाइन जारी कर इस बात की जानकारी दी है। विभाग के अनुसार पहले इन मरीजों को डिस्चार्ज होने से पहले कोरोना की जांच करानी होती थी। इसके बाद मरीज की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद वह अपने घर लौट सकते थे लेकिन अब मरीज को डिस्चार्ज होने के बाद अपने घर में आइसोलेट रहना होगा। वहीं इम्यून कॉम्प्रोमाइसन वाले मरीज जब तक निगेटिव नहीं आते तब तक उन्हें अस्पताल में ही रहना होगा। इम्यून कॉम्प्रोमाइज्ड वह मरीज हैं जो गंभीर बीमारी यानी एचआईवी और कैंसर जैसी बीमारियों से पीडि़त हैं। इन रोगियों को कोरोना संक्रमण का अधिक खतरा होता है। संक्रमण की चपेट में आने से इन रोगियों के बचने के चांस बहुत ही कम रह जाते हैं इसलिए ऐसे मरीजों की रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद ही डिस्चार्ज किया जाएगा। हल्के व कम तीव्रता वाले लक्षणों के मरीज को कोविड केयर सेंटर में भर्ती किया जाएगा। नियमित रूप से इन मरीजों का टेम्प्रेचर और पल्स ऑक्सीमीटर से मॉनीटरिंग की जाएगी। इन रोगियों को डिस्चार्ज होने से पहले बिल्कुल स्वस्थ यानी बुखार नहीं होने पर ही डिस्चार्ज किया जाएगा। ऐसे मरीजों को सात दिन होम आइसोलेशन में रहना होगा।

डिस्चार्ज मरीज हेलो डॉक्टर से पूछें समाधान

स्मार्ट सिटी दफ्तर में कमिश्नर मुकेश मेश्राम और डीएम अभिषेक प्रकाश की अध्यक्षता में बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि होम आईसोलेशन में भर्ती मरीजों को फोन के जरिए चिकित्सकीय परामर्श दिया जाए। इसके लिए हेलो डॉक्टर सेवा शुरू की जाएगी। इस सेवा में एलोपैथिक, आयुर्वेदिक और यूनानी विधाओं के डॉक्टर कॉल पर मौजूद रहेंगे। कॉल सेंटर के जरिए जितने भी मरीज हैं उनका विवरण मेडिकल ऑफिसर प्रभारी को देंगे।

इस तरह किया जाता है डिस्चार्ज

मध्यम तीव्रता वाले रोगियों में लक्षण लगभग तीन दिन के बाद समाप्त हो जाने पर ऑक्सीजन सेचुरेशन 95 फीसदी के ऊपर, अगले चार दिन तक बना रहे। इसके बाद इन मरीजों को 10 दिन के बाद डिस्चार्ज किया जाएगा। यदि कोई मरीज अस्पताल में भर्ती है और बिना ऑक्सीजन के नहीं रह पाता है तो उन्हें तीन दिन तक ऑक्सीजन में रखा जाएगा। इसके ठीक होने के बाद फिर से देखा जाएगा कि मरीज तीन दिन तक मरीज बिना ऑक्सीजन के रह पाता है या नहीं। यदि मरीज बिना ऑक्सीजन के तीन दिन बाद रह लेता है तो उसे डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। ऐसे मरीजों को दस दिन होम आइसोलेशन में रहना होगा। अपने कपड़े, मोबाइल, शूज आदि को विसंक्रमित करना होगा। इन मरीजों को आरटीपीसीआर कराना आवश्यक नहीं होगा।

अगस्त में अब तक ७ हजार संक्रमित

जुलाई माह में संक्रमितों की संख्या साढ़े तीन गुना की रफ्तार से बढ़ी तो वहीं अगस्त में पांच गुना। बीते दस दिनों में सात हजार संक्रमित मिल चुके हैं। लखनऊ में संक्रमण के 15160 मामले सामने आ चुके है, जिनमें से 7223 एक्टिव केस हैं जबकि 168 लोगों की मौत हो चुकी है। लखनऊ के शहरी क्षेत्र के साथ ग्रामीण इलाकों में वायरस का दायरा बढ़ता जा रहा है। बड़ी संख्या में मरीज मिल रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग संक्रमण रोकने में पूरी तरह नाकाम है।

अगर मरीज स्वस्थ है। लक्षण न के बराबर हंै तो वह अपने घर जा सकता है। हालांकि उस मरीज को सात दिन कम से कम घर में आईसोलेशन में रहना पड़ेगा। घर में भी सावधानी बरतनी पड़ेगी, तभी मरीज पूरी तरह सुरक्षित महसूस कर पाएगा।
डॉॅ. आरपी सिंह सीएमओ

https://www.youtube.com/watch?v=nJA12T_RRWs

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