अब प्लाज्मा थेरेपी पर नहीं होगी आईसीएमआर की बंदिश मांग पर मिलेगा इलाज

मरीज की मांग पर प्लाज्मा थेरेपी से इंकार नहीं कर सकेंगे चिकित्सक
राजधानी में सैकड़ों कोरोना रोगी हो चुके ठीक पर डोनेट नहीं कर रहे प्लाज्मा

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। अब प्लाज्मा थेरेपी पर इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की बंदिश नहीं होगी। कोरोना के भर्ती मरीज और उसके तीमारदार की मांग पर उसे प्लाज्मा थेरेपी दी जा सकेगी। डॉक्टर इससे इंकार नहीं कर सकेंगे। शर्त यह है कि संबंधित ग्रुप का प्लाज्मा संस्थान में उपलब्ध हो।
केजीएमयू-पीजीआई समेत देश के 50 संस्थानों को आईसीएमआर ने प्लाज्मा थेरेपी की अनुमति दे दी है। इन संस्थानों में अभी तक आईसीएमआर की तय गाइडलाइन के मुताबिक मरीजों का चयन होता था। प्लाज्मा थेरेपी के लिए कंप्यूटर द्वारा रेंडम चयन होता है। साथ ही ये मरीज मॉडरेट श्रेणी के होते हैं। अतिगंभीर मरीजों समेत कई प्लाज्मा थेरेपी से इलाज नहीं करा पा रहे थे। लिहाजा, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहली बार लिखित में ऑफ लेबल प्लाज्मा थेरेपी को मंजूरी दे दी है। केजीएमयू में ब्लड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की अध्यक्ष डॉ. तूलिका चंद्रा के मुताबिक अब तीमारदार यदि अपने मरीज का प्लाज्मा थेरेपी से इलाज कराना चाहता है, तो उसे इंकार नहीं किया जा सकता है। इसका आदेश मिल गया है। वहीं अब तक सैकड़ों मरीज ठीक हो चुके हैं लेकिन वह प्लाज्मा दान करने को हिचक रहे हैं। उन्होंने अपील की कि ऐसे योद्धाओं को मरीजों का जीवन बचाने के लिए आगे आना चाहिए। घबराएं नहीं, कुछ दिन में ही शरीर में इसकी भरपाई हो जाती है। अब सिर्फ आईसीएमआर ट्रायल के लिए सहमति देने वाले मरीजों के लिए ही पोर्टल से प्लाज्मा थेरेपी के लिए अनुमति लेनी होगी। इन मरीजों के इलाज को दो ग्रुपों में बांटा गया है। यह कंट्रोल आर्म और इंटरवेंशन आर्म हैं। इसके लिए रेड टैप पोर्टल बनाया है। इंटरवेंशन आर्म में चयनित मरीज को ही प्लाज्मा थेरेपी दी जाती है।

दो मरीजों ने मांगी थेरेपी
डॉ. तूलिका चंद्रा ने बताया कि दो मरीजों ने प्लाज्मा थेरेपी से इलाज की मांग की है। संबंधित ग्रुप के प्लाज्मा संग्रह के लिए डोनर की तलाश की जा रही है। प्लाज्मा संग्रह होते ही मरीजों को थेरेपी के लिए भेज दिया जाएगा।

इनको मिलेगी राहत
अब डायबिटीज, गुर्दा, हृदय, कैंसर जैसी बीमारी से घिरे कोरोना के मरीजों को भी प्लाज्मा थेरेपी दी जा सकेगी। ऑफ लेबल थेरेपी में मॉडरेट के साथ-साथ सीवियर मरीजों भी शामिल हैं।

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