अब कमिश्नर व डीएम कर सकेंगे आरक्षण श्रेणी की भूमि का पुनर्ग्रहण व श्रेणी परिवर्तन : सीएम योगी

अभी तक यह अधिकार शासन में निहित थे
राजस्व विभाग के इस प्रस्ताव पर लगी कैबिनेट की मुहर

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विकास से जुड़ी सरकारी परियोजनाओं के लिए तेजी से जमीन उपलब्ध कराने के लिए आरक्षित श्रेणी की भूमियों के पुनर्ग्रहण, श्रेणी परिवर्तन और विनिमय के अधिकार मंडलायुक्त और कलेक्टर (डीएम) को देने का फैसला किया है। कलेक्टर 40 लाख रुपये मूल्य तक की भूमि का पुनर्ग्रहण कर सकेंगे। वहीं मंडलायुक्त को 40 लाख रुपये से अधिक मूल्य की भूमि के पुनर्ग्रहण का अधिकार होगा। अभी तक यह अधिकार शासन में निहित थे। राजस्व विभाग के इस प्रस्ताव को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन मंजूरी दे दी गई है। सरकार के इस फैसले से एक्सप्रेसवे, डेडीकेटेड फ्रंट कॉरिडोर, ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे परियोजनाओं के निर्माण तथा राजकीय मेडिकल कॉलेजों और महाविद्यालयों की स्थापना के लिए भूमि शीघ्रता से उपलब्ध कराई जा सकेगी। उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा 77 में प्राविधान है कि आरक्षित श्रेणी की कोई भूमि या उसका कोई भाग लोक प्रयोजन के लिए खरीदी, अर्जित या पुनर्गृहित किए गए भूखंड या भूखंडों से घिरी है तो ऐसी भूमि की श्रेणी बदल सकेगी। यदि लोक उपयोगिता की ऐसी भूमि की श्रेणी बदली जाती है तो उसी ग्राम पंचायत या अन्य स्थानीय प्राधिकरण में जमीन सुरक्षित कर दी जाएगी।

मुख्यमंत्री बोले- वीर भूमि बुंदेलखंड में हुआ विकास का सूर्योदय

१११ 4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने झांसी में हर घर नल का जल योजना का शुभारंभ किया। सूखे बुंदेलखंड की प्यास बुझाने के इस बड़े मिशन के शुभारंभ समारोह में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, यूपी के जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह भी मौजूद रहे। योजना का शुभारंभ करने के बाद सीएम योगी ने कहा कि बुंदेलखंड में 2185 रुपये करोड़ की 12 पेयजल परियोजनाओं के निर्माण कार्य का शुभारंभ हुआ। इस लोक मंगल कार्य के लिए प्रधानमंत्री को मैं बधाई देता हूं। बता दें योगी सरकार ने बुंदेलखंड के लिए राज्य पेयजल योजना शुरू की थी। यूपी के जलशक्ति मंत्री डॉ महेंद्र सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री ने जल जीवन मिशन को प्राथमिकता से अमल में लाने को कहा है। झांसी, ललितपुर व महोबा की 770 पंचायतों में शुद्ध जल पहुंचाने की शुरुआत होगी।

अब नहीं होगा परियोजनाओं में विलंब

सरकारी परियोजनाओं के लिए अधिगृहित की गई भूमि के बीच में आरक्षित श्रेणी की कोई जमीन आ जाती है। इससे परियोजना में रुकावट आती है। परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए सरकार को ऐसी जमीन की श्रेणी बदलनी पड़ती है और उसका पुनर्ग्रहण करना पड़ता है। बदले में उसी प्रयोजन के लिए उतनी ही जमीन अन्य स्थान पर उपलब्ध करानी पड़ती है। जमीन के पुनर्ग्रहण, श्रेणी परिवर्तन और विनिमय की शक्ति शासन के पास होने की वजह से ऐसे प्रस्ताव शासन को भेजे जाते थे। इससे परियोजनाओं में विलंब होता था। प्रोजेक्ट रुक जाते थे। इसलिए शासन ने अब यह अधिकार मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को दे दिए हैं।

क्या है आरक्षित श्रेणी की भूमि

आरक्षित श्रेणी की भूमि के तहत खलिहान, चरागाह, खाद के गड्ढे, कब्रिस्तान या श्मशान, तालाब की जमीन और नदी के तल में स्थित भूमि आदि आती हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button