अब आधार रोकेगा रेमडेसिविर की कालाबाजारी रखा जाएगा संक्रमित मरीजों का ब्यौरा

  • आधार दिखाने के बाद ही मिल सकेगी रेमडेसिविर की डोज

  • सरकार ने सख्त किए नियम, अब नहीं होगी चोरी छिपे बिक्री
  • फार्मा कंपनियों को रेमडेसिविर व मरीज का रखना होगा हिसाब

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। राजधानी लखनऊ में कोरोना की बढ़ती रफ्तार के बीच जीवनरक्षक इंजेक्शन रेमडेसिविर की कालाबाजारी पर रोक लगाने के लिए स्वास्थ्य महकमे ने नियम सख्त कर दिए हैं। अब बिना आधार रेमडेसिविर की डोज नहीं मिलेगी। जबकि पहले आसानी से उपलब्ध हो जाती थी। अस्पतालों को रेमडेसिविर दवा की डोज का हिसाब देना होगा।
कोरोना के किस मरीज को कब दवा दी गई, इसका पूरा खाका जमा करना होगा। वहीं बेवजह दवा खरीदकर डंप करने पर भी पाबंदी लगा दी गई है। ड्रग कंट्रोलर की मानें तो दवा की कालाबाजारी रोकने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य किया गया है। राज्य में कोरोना का प्रकोप चरम पर है। राजधानी में भी वायरस कहर बरपा रहा है। अब तक शहर में 26 हजार से अधिक मरीज संक्रमण की जद में आ चुके हैं। वहीं 325 मरीजों की महामारी ने जिंदगी भी छीन ली है। उधर केजीएमयू-लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, पीजीआई व निजी कोविड अस्पतालों में कोरोना के गंभीर मरीजों का भर्ती होना जारी है। कोविड के इन गंभीर मरीजों में रेमडेसिविर दवा की डोज भी दी जाने लगी है। फार्मा कंपनियों ने जुलाई के तीसरे हफ्ते से राज्य में रेमडेसिविर की आपूर्ति शुरू की मगर अब भी पर्याप्त मात्रा में दवा उपलब्धता चुनौती बनी हुई है। ड्रग कंट्रोलर यूपी एके जैन के अनुसार फार्मा कंपनियों के लिए रेमडेसिविर व मरीज का पूरा हिसाब रखना भी अनिवार्य कर दिया है। कंपनियां अस्पताल में भर्ती मरीज का ब्योरा लेकर ही दवा देंगी।

इंजेक्शन के बेहतर मिले नतीजे
इस इंजेक्शन से कोरोना मरीजों को लाभ मिलता है। जिन मरीजों को सांस लेने में ज्यादा तकलीफ होती है, उन्हें यह इंजेक्शन दिया जाता है। दिल्ली, नोयडा और लखनऊ में निजी अस्पतालों में इलाज कराने वाले मरीजों को यह इंजेक्शन दी गई है। इसके नतीजे बेहतर रहे हैं।

कालाबाजारी करने पर दर्ज होगा मुकदमा
इंजेक्शन की कालाबाजारी को देखकर शासन ने दुकानदारों पर नकेल कसने का आदेश ड्रग विभाग को दिया है। इंजेक्शन की कालाबाजारी को रोकने के लिए औषधि अनुज्ञापन एवं नियंत्रण अधिकारी ने पत्र लिखा है। इसमें सख्त निर्देश दिए गए हैं अगर कोई कालाबाजारी करते हुए पकड़ा गया तो उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज करते हुए कड़ी कार्रवाई की जाए।

5400 है कीमत, बाजार में तिगुने दामों पर

रेमडेसिविर की एक वायल की कीमत चार हजार से लेकर 5400 रुपए तक है। वहीं लॉचिंग के बाद इसकी ब्लैक मार्केटिंग शुरू हो गई। बाजार में इसकी कीमत 15 से 20 हजार रुपए कालाबाजारी कर वसूली गई। इसकी वजह से यह इंजेक्शन लोगों को मिल नहीं पा रहा है। इसके बाद ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया ने सभी राज्यों को जीवनरक्षक दवा की तय कीमत पर उपलब्धता सुनिश्चित करने के आदेश दिए।

कंपनियां बढ़ा रही हैं रेमडेसिविर का निर्माण

जैन के मुताबिक रेमडेसिविर का निर्माण कंपनियां बढ़ा रही हैं। यूपी में तीन फार्मा कंपनयिों ने दवा की आपूर्ति की है। इसमें दो कंपनियों का उत्पाद ज्यादा आया है। कंपनी दवा देने से पहले मरीज का नाम, आधार कार्ड, मोबाइल नंबर, कोविड सेंटर का नाम, दवा देने वाले डॉक्टर का परामर्श फॉर्म लेंगी। साथ ही मरीज या परिवारजनों से दवा की डोज देने की सहमति लेनी होगी।

पांच दिन में लगती हैं छह डोज

रेमडेसिविर की पांच दिन में छह डोज दी जाती है। पहले दिन मरीज को दो इंजेक्शन लगाए जाते हैं। इसके बाद एक-एक इंजेक्शन चार दिन लगता है। यह इंजेक्शन कोरोना के मॉडरेट व सीवियर मरीजों में दिए जाते हैं। इन मरीजों में वायरस का प्रकोप अधिक होता है। उनमें सांस लेने में भी तकलीफ होने लगती है। कोरोना के 80 फीसदी केस माइल्ड होते हैं। 14 फीसदी मॉडरेट व 6 फीसद सीवियर मरीज होते हैं।

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