अन्नदाता को भिखारी बनाने का कुचक्र रच रही भाजपा सरकार: अखिलेश

आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे टोल को निजी कंपनी को बेचना गलत
समाजवादी सरकार बनने पर रद्द किए जाएंगे ऐसे अनुबंध

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा है कि आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे के टोल निजी कम्पनी को बेचने का भाजपा सरकार का फैसला जनविरोधी है। यह एक्सप्रेस-वे समाजवादी सरकार के समय बना था जिस पर वायुसेना के जहाज तक उतर चुके हैं। इस शानदार एक्सप्रेस-वे पर बने आवश्यक जन सुविधाओं शौचालय, होटल रैस्टोरेंट को भी भाजपा सरकार बेच चुकी है। टॉल वसूली का जिम्मा निजी एजेन्सी को 15 से 20 साल तक के लिए दिये जाने की योजना है। भाजपा सरकार का यह कदम प्रदेश के हितों तथा जनता के साथ विश्वासघात है।
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार का इरादा इसी तरह खेती को भी बड़ी प्राइवेट कम्पनियों के हवाले करने का है। किसानों के खेतों को पूंजीघरानों के पास बंधक रखने और अन्नदाता को भिखारी बनाने का यह कुचक्र तेजी से चल रहा है। इससे किसान अपनी खेती की जमीन का मालिक बनने के बजाय उसका मजदूर बन जाएगा। यह समझ से परे है कि भाजपा सरकार निजी कम्पनियों पर इतना मेहरबान क्यों है? अभी उसने कोरोना संकट के बहाने सभी कर्मचारियों, सांसदों, विधायकों से अच्छी खासी धनराशि ली है, कर्मचारियों के भत्ते खत्म कर दिए हैं। जनता से भी आर्थिक मदद प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के कोष में जमा हुई है। इसके बाद आखिर सरकार के कोष में कितनी रकम की कमी हो गई है? उन्होंने कहा कि आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे एक सरकारी परियोजना के अंतर्गत बनी है। इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण में जनता का धन लगा है। समाजवादी सरकार ने इसके लिए बाकायदा बजट का प्रावधान किया था। राज्य की सम्पत्ति को इस तरह निजी हाथों में सौंपा जाना अनुचित, अव्यवहारिक और निन्दनीय है। भाजपा का बस चलेगा तो वह पूरे उत्तर प्रदेश को बेच सकती है? भाजपा सरकार की घोषणाओं, एमओयू तथा तमाम आश्वासनों के बावजूद उत्तर प्रदेश में पूंजीनिवेश तीन वर्ष में आया नहीं, अब अगर उत्तर प्रदेश को ही बेच देंगे तो क्या तमाम समस्याओं का समाधान हो जायेगा? अगली समाजवादी सरकार बनने पर भाजपा के ऐसे तमाम अनुबंध रद्द कर दिए जाएंगे।

गोयल इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर ने की ख़ुदकुशी

पारिवारिक विवाद को बताया जा रहा कारण

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। गाजीपुर थाना क्षेत्र के सेक्टर -11 में किराये के मकान में रह रहे गोयल इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर ने बीती रात एक बजे फंदे से लटक जीवन लीला समाप्त कर ली। सूचना मिलने पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमर्टम के लिए भेज दिया है। खुदकुशी का कारण घरेलू विवाद बताया जा रहा है ।
मूलरूप से गोंडा के परसपुर के रहने वाले जयप्रकाश त्रिपाठी (41) गाजीपुर के सेक्टर-11 में किराए के मकान में रह रहे थे। वह पेशे से प्रोफेसर थे और गोयल इंस्टीट्यूट में कार्यरत थे। उनके साथ उनकी मां कमला त्रिपाठी रहती थीं जबकि उनके पिता का देहांत हो चुका है। आपसी विवाद के कारण उनकी पत्नी और दो बच्चे पिछले छ साल से अलग रह रहे थे। बीती रात करीब एक बजे उन्होंने अपने कमरे में फंदे के सहारे लटक ख़ुदकुशी कर ली।

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