आतंकवाद का बढ़ता दायरा खतरे की घंटी

sanjay sharma

सवाल यह है कि क्या उत्तर प्रदेश में आतंकवादी अपनी जड़ें तेजी से जमा रहे हैं? क्या यूपी के सीमावर्ती और पश्चिमी यूपी के तमाम जिलों में आतंकियों ने अपना ठिकाना ढूंढ लिया है? आतंकियों की बढ़ती घुसपैठ पर नियंत्रण क्यों नहीं लग पा रहा है? क्या खुफिया एजेंसियां ऐसे आतंकियों को खोजने में पूरी तरह सफल नहीं हो पा रही हैं?

आतंकवाद का दायरा अब देश के कई राज्यों में तेजी से बढऩे लगा है। दिल्ली को दहलाने की साजिश रचने वाले आईएसआईएस आतंकी अबू यूसुफ की गिरफ्तारी ने इसकी पुष्टिï कर दी है। यह यूपी के बलरामपुर का निवासी है और इसके घर से भी भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद हुआ है। उसके निशाने पर यूपी के शहर भी थे। सवाल यह है कि क्या उत्तर प्रदेश में आतंकवादी अपनी जड़ें तेजी से जमा रहे हैं? क्या यूपी के सीमावर्ती और पश्चिमी यूपी के तमाम जिलों में आतंकियों ने अपना ठिकाना ढूंढ लिया है? आतंकियों की बढ़ती घुसपैठ पर नियंत्रण क्यों नहीं लग पा रहा है? क्या खुफिया एजेंसियां ऐसे आतंकियों को खोजने में पूरी तरह सफल नहीं हो पा रही हैं? क्या आतंकी संगठनों ने भारत में हिंसा फैलाने के लिए अपनी रणनीति में बदलाव कर दिया है? देश में विदेशी आतंकी संगठनों के स्लीपर सेल तेजी से क्यों बढ़ रहे हैं? क्या स्थानीय स्लीपर सेल से निपटने के लिए नई रणनीति बनाने की जरूरत नहीं है?
आतंकवादियों ने अब यूपी को अपना नया ठिकाना बनाना शुरू कर दिया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कई आतंकी और पाकिस्तान के लिए जासूसी करने वाले स्थानीय स्लीपर सेल पकड़े जा चुके हैं। दिल्ली में पकड़ा गया अबू यूसुफ भी बलरामपुर में रहता है और यहां उसकी एक छोटी सी दुकान है। उसके घर से भारी मात्रा में बरामद विस्फोटक इस बात की गवाही दे रहे हैं कि उसके इरादे कितने खतरनाक थे। दरअसल, जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ नहीं कर पाने से परेशान पाकिस्तान और अफगानिस्तान के आतंकी संगठनों ने अपनी रणनीति बदल दी है। वे भारत के स्थानीय लोगों को सोशल मीडिया के जरिए आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के लिए उकसा रहे हैं। ये एक तरह से विदेशी आतंकी संगठनों के लिए स्लीपर सेल का काम करते हैं और विदेश में बैठे अपने आका के इशारे पर कहीं भी आतंकवादी हमले को अंजाम देते हैं। स्थानीय होने के कारण पुलिस और खुफिया विभाग की नजर भी इन पर नहीं पड़ती है और वे साजिश को अंजाम तक पहुंचाने की कोशिश करते हैं। इसके अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश और प्रदेश के सीमावर्ती जिले इनके लिए मुफीद बन गए हैं। यहां ये आराम से पुलिस और खुफिया एजेंसी की नजरों से बच जाते हैं और वारदात को अंजाम देकर आसानी से नेपाल और वहां से पाकिस्तान या अफगानिस्तान भाग जाते हैं। आईएसआईएस जैसे खूंखार आतंकी संगठनों की मौजूदगी प्रदेश के लिए खतरे की घंटी है। ऐसे में पुलिस और खुफिया एजेंसियों को ऐसे स्लीपर सेलों को जल्द से जल्द को समाप्त करना होगा अन्यथा प्रदेश में कभी भी बड़ी घटना हो सकती है।

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