तालिबान सरकार में आई दरार, इस तालिबानी नेता ने छोड़ा काबुल

नई दिल्ली। अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बनते ही आपसी जंग भी शुरू हो गई है। बताया जा रहा है कि तालिबान सरकार में उप प्रधानमंत्री नियुक्त किए गए मुल्ला अब्दुल गनी बरादर ने हक्कानी नेटवर्क के एक वरिष्ठ नेता के साथ मतभेदों के बाद काबुल छोड़ दिया है । सत्ता के बंटवारे को लेकर बारादर और खलील-उर-रहमान हक्कानी के बीच संघर्ष शुरू हो गया है। तालिबान के एक वरिष्ठ नेता के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले हफ्ते दोनों नेताओं के बीच काबुल के राष्ट्रपति कार्यालय में अंतरिम कैबिनेट को लेकर बहस हुई थी । 15 अगस्त को तालिबान द्वारा काबुल पर कब्जा किए जाने के बाद से नेतृत्व और सरकार गठन को लेकर विभिन्न समूहों के बीच संघर्ष हो रहा है ।
तालिबान की राजनीतिक शाखा सरकार में हक्कानी नेटवर्क की प्रमुखता का विरोध कर रही है। साथ ही हक्कानी नेटवर्क खुद को तालिबान की सबसे बड़ी फाइटर यूनिट मानता है। बरादर धड़े का मानना है कि उनकी कूटनीति ने अफगानिस्तान में तालिबान को सत्ता दी है, जबकि हक्कानी नेटवर्क के लोगों का मानना है कि अफगानिस्तान में जीत लड़ाई के जरिए हासिल की गई है। बता दें कि दोहा में अमेरिका और तालिबान के बीच कई दौर की बातचीत में अब्दुल गनी बारादर एक नेता के तौर पर थे। ऐसी स्थिति में वह अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी का श्रेय लेते रहे हैं। दूसरी तरफ हक्कानी नेटवर्क को तालिबान का सबसे खूंखार चेहरा माना जाता है, जिसके पाकिस्तान सेना से करीबी संबंध हैं।
तालिबान में कई स्तरों पर मतभेद हैं। कंधार प्रांत से आने वाले तालिबान नेताओं और उत्तर और पूर्वी अफगानिस्तान के लोगों के बीच भी मतभेद हैं । कंधार को तालिबान का गढ़ माना जाता रहा है। ऐसी स्थिति में वहां से ताल्लुक रखने वाले नेता सत्ता में महत्वपूर्ण भागीदारी चाहते हैं। पिछले कुछ दिनों से बारादर को सार्वजनिक रूप से नहीं देखा गया। इस कारण यह भी अफवाहें थीं कि वह घायल हो गए है या गोलीबारी में मौत हो गई है । हालांकि सोमवार को एक ऑडियो जारी कर बारादर ने खुद कहा था कि वह सुरक्षित हैं और यात्रा पर हैं।
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बारादर और हक्कानी के बीच तीखी बहस हुई। इसके अलावा उनके समर्थकों के बीच झड़प भी हुई है। कतर में स्थित इस पूरे मामले की जानकारी रखने वाले तालिबान के एक अन्य सदस्य ने कहा है कि दोनों के बीच पिछले हफ्ते बहस हुई थी । रिपोर्ट के मुताबिक, बारादर तालिबान की अंतरिम सरकार के ढांचे से नाखुश थे। इसके अलावा अमेरिकी सेनाओं की वापसी का श्रेय लेने को लेकर भी संघर्ष की स्थिति है । इसका श्रेय लेते हुए हक्कानी का कहना है कि उनकी लड़ाई की वजह से ऐसा हुआ। उधर, बारादर का मानना है कि यह सफलता उनकी कूटनीति के कारण मिली है।

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