जिला महासचिव सात तक बताएं उम्मीदवार की हार के कारण : अखिलेश यादव

  •  पंचायत अध्यक्ष चुनाव में हार से अखिलेश गंभीर
  • जिलाध्यक्षों को लिख डाली चि_ी, मांगी रिपोर्ट

लखनऊ। यूपी जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में समाजवादी पार्टी को मिली हार के बाद अखिलेश यादव ने सख्ती दिखाई है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जिला महासचिवों से उम्मीदवार की हार के कारण बताते हुए सात जुलाई तक रिपोर्ट देने के लिए कहा है। इस संदर्भ में समाजवादी पार्टी ने एक पत्र जारी किया है। पत्र में जिला अध्यक्ष, महानगर अध्यक्ष और जिला महासचिवों से कहा गया है कि अखिलेश यादव के निर्देश पर जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में क्या कारण रहे कि उम्मीदवार की हार हुई। इस पर सात जुलाई तक रिपोर्ट अनिवार्य रूप से प्रदेश कार्यालय में जमा करवाएं। माना जा रहा है कि सपा अब भितरघातियों को चिन्हित करेगी और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। यही नहीं, रिपोर्ट आने के बाद कई जिलों में हार की वजह बने पदाधिकारियों को बाहर का रास्ता भी दिखाया जा सकता है। अखिलेश यादव ने इससे पहले कहा भाजपा की कुनीतियों से उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश दोनों राज्यों में बेरोजगारी में लगातार वृद्धि हो रही है। जबसे भाजपा सत्तारूढ़ हुई विकास अवरुद्ध है। दोनों राज्यों में मंहगाई और भ्रष्टाचार का बोलबाला है। स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं। महिलाओं का सम्मान के साथ जीना दूभर हो गया है। दोनों प्रदेशों में किसानों के साथ अन्याय हो रहा है। व्यापारी परेशान है। नौजवानों का भविष्य अंधकारमय है।

राफेल और राम मंदिर पर मोदी सरकार को घेरा

फ्रांस के साथ भारत सरकार के लड़ाकू विमानों की डील का मुद्ïदा एक बार फिर से गरमाया हुआ है और दूसरी तरफ राम मंदिर जन्मभूमि ट्रस्ट पर जमीन के खरीद-फरोख्त के मामले में हुए घोटाले के आरोप लगे हुए हैं। इन दोनों मुद्ïदों को लेकर विपक्ष मोदी सरकार पर हमलावर है। राफेल और राम मंदिर मुद्ïदे पर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ट्वीट किया। उन्होंने अपने ट्वीट के जरिए मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए लिखा कि कुछ लोग ना जाने क्यों अपना ईमान इस हद तक गिरा देते हैं, आस्था के चंदे और देश की रक्षा के सौदों में भी कमा लेते हैं।

सीएम योगी का उत्तराखंड ट्रांसफर कर झंझट खत्म करे बीजेपी

सपा प्रमुख ने कहा उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड दोनों राज्यों में डबल इंजन यार्ड में खड़ा जंग खा रहा है। यूपी में मुख्यमंत्री के कारण लोकतंत्र चोटिल हुआ है और उत्तराखण्ड में लोकतंत्र अस्थिरता का शिकार हो गया है। ऐसे में अच्छा होगा कि भाजपा की राजनीति की बेहतरी और दोनों राज्यों में स्थिरता की बहाली के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को उत्तराखण्ड स्थानांतरित कर दिया जाए ताकि वहां रोज-रोज नेतृत्व परिवर्तन के झंझट से मुक्ति मिल सके। उन्होंने कहा लोकतंत्र का अहित करने में भाजपा ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। अराजकता, अव्यवस्था और प्रशासनिक अकुशलता से उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेश दोनों की प्रगति व विकास अवरूद्ध हुआ है। जब तक उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भाजपा सत्तारूढ़ रहेगी तब तक स्वस्थ लोकतंत्र की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।

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