सीएम योगी की निगाह हुई टेढ़ी और ढहा दिए गया डॉन मुख़्तार अंसारी का मकान

  • मऊ सदर विधानसभा सीट से विधायक हैं मुख्तार अंसारी
  • एलडीए टीम ने की कार्रवाई, बेटों के नाम है संपत्ति
  • शत्रु संपत्ति पर कब्जा कर बनायी गई थी इमारतें

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। वाराणसी, मऊ और गाजीपुर के बाद अब लखनऊ में बसपा के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी की अवैध इमारतें सरकार के निशाने पर हैं। इसी क्रम में लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) ने आज बड़ी कार्रवाई की। लखनऊ के डालीबाग इलाके में बने मुख्तार अंसारी के अवैध कब्जे वाली दो इमारतों को जमींदोज कर दिया गया। प्रशासन बिल्डिंग के तोडऩे का खर्चा व अब तक का किराया भी वसूलेगी। इस निर्माण के लिए जिम्मेदार रहे तत्कालीन अफसरों व कर्मचारियों के खिलाफ भी कार्रवाई होगी। ये इमारतें मुख्तार के बेटों के नाम दर्ज हैं। एलडीए ने 11 अगस्त को इमारत ढहाने का आदेश दिया था।
एलडीए की टीम ने आज डालीबाग क्षेत्र में सरकारी जमीन पर बने मुख्तार अंसारी के चार-चार मंजिला दो मकानों को जमींदोज कर दिया। एलडीए संयुक्त सचिव ऋतु सुहास ने 11 अगस्त को इसके ध्वस्तीकरण का आदेश जारी किया था। इन लोगों ने शत्रु संपत्ति पर कब्जा करने के बाद बहुमंजिला इमारत बना ली थी। ध्वस्तीकरण के पहले टीम ने गेट का ताला तोड़ा और वहां से सामान निकाल कर यह कार्रवाई की। इस दौरान मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास व उमर अंसारी की मौके पर पुलिस तथा एलडीए की टीम से झड़प भी हुई। गौरतलब है कि शत्रु संपत्ति पर किसी भी तरह का निर्माण नहीं कराया जा सकता, लेकिन बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी ने न सिर्फ इस पर कब्जा किया बल्कि पहले अपनी मां और फिर अपने दोनों बेटों के नाम जमीन ट्रांसफर करा ली। पहले यह निर्माण राबिया अंसारी के नाम था। बाद में यह मुख्तार के बेटे अब्बास अंसारी और उमर अंसारी के नाम हुआ। इससे पहले भी लखनऊ में मुख्तार अंसारी के खिलाफ अभियान के क्रम में जुलाई में एलडीए ने लालबाग में मुख्तार अंसारी से जुड़े एक अवैध निर्माण के बेसमेंट को सील किया था। कागजों में यह इमारत रईस अहमद के नाम से दर्ज है।

नगर विकास अधिनियम के तहत की गई कार्रवाई: ऋतु सुहास
एलडीए की संयुक्त सचिव ऋतु सुहास ने बताया कि नगर विकास अधिनियम की धारा 27 के तहत कार्रवाई की गई है। पहले यह निर्माण राबिया अंसारी के नाम पर था। बाद में यह मुख्तार के बेटे अब्बास अंसारी और उमर अंसारी के नाम हुआ।

लगाई गईं 20 जेसीबी
इमारतों को ध्वस्त करने के लिए एलडीए ने 20 जेसीबी मशीनें लगाईं और शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए 250 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया।

यूपी पुलिस भी कस रही शिकंजा
यूपी पुलिस का शिकंजा भी मुख्तार गैंग पर कसता जा रहा है। पूर्वांचल से लखनऊ तक मुख्तार से जुड़े लोगों पर पुलिस ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रही है। मऊ पुलिस ने अब मुख्तार से जुड़े 12 लोगों को जिला बदर किया है। इनमें मुख्तार का शार्प शूटर अनुज कनौजिया, सभासद अल्तमश, अनीश, मोहर सिंह, जुल्फिकार कुरैशी, तारिक, मोहम्मद सलमान, आमिर हमजा, मोहम्मद तलहा, जावेद आरजू, मोहम्मद हाशिम और राशिद आदि शामिल हैं।

कोरोना वैक्सीन के लिए रणनीति न बनना खतरनाक: राहुल गांधी

  • कांग्रेस नेता ने मोदी सरकार पर साधा निशाना

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। देश में बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा है। राहुल ने कोरोना वैक्सीन तक पहुंच के लिए उचित और समग्र रणनीति के कोई संकेत नहीं मिलने और सरकार की ओर से कोई तैयारी नहीं होने का आरोप लगाते हुए कहा है कि ऐसा होना खतरनाक है।
राहुल गांधी ने ट्वीट किया, कोरोना के टीके तक पहुंच की एक उचित और समग्र रणनीति अब तक बन जानी चाहिए थी लेकिन अब तक इसके कोई संकेत नहीं मिले हैं। भारत सरकार की कोई तैयारी नहीं होना खतरनाक है।

कोरोना ने तोड़ा रिकॉर्ड, एक दिन में 75 हजार से अधिक केस
देश में आज कोरोना के नए मामलों ने रिकॉर्ड तोड़ दिया है। पिछले 24 घंटों में 75,760 नए मरीज सामने आए हैं और 1023 लोगों की मौत हो गई। देश में अब कुल संक्रमितों की संख्या 33 लाख 10 हजार हो गई है। इनमें से 60,472 लोगों की मौत हो चुकी है। एक्टिव केस की संख्या 7 लाख 25 हजार है जबकि 25 लाख 23 हजार लोग ठीक हुए हैं।

अखिलेश ने लिखा खुला पत्र, कहा नहीं चलेगा जान के बदले एग्जाम

  • भाजपा जानती है वोट नहीं मिलेगा इसलिए कर रही बदले की कार्रवाई

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने जेईई और नीट परीक्षा को लेकर खुला पत्र लिखा है। इसमें मांग की गई है कि अगर परीक्षा कराई जाती है तो छात्रों के आने-जाने, रहने और खाने-पीने की व्यवस्था कराई जानी चाहिए। अखिलेश ने सवाल किया है कि अगर किसी छात्र को संक्रमण हो गया तो उसकी कीमत क्या सरकार चुकाएगी? पत्र में अखिलेश ने नारा दिया है कि जान के बदले एग्जाम, नहीं चलेगा, नहीं चलेगा।
अखिलेश यादव ने लिखा है कि अगर दंभी भाजपा को लगता है कि परीक्षार्थियों और अभिभावकों की लोकप्रिय मांग पर वो ऐसे जानलेवा एग्जाम करवा रही है तो केंद्रों के बाहर वो अपने कैबिनेट मंत्री, सांसद और विधायक तैनात करे। जहां पर कोई भी नियम-कानून व एसओपी नहीं होगा। साथ ही विद्यार्थियों के आने-जाने, खाने-पीने व ठहरने का प्रबंध वैसे ही करें, जैसा वो विधायकों की खरीद-फरोख्त के समय करते हैं। सपा प्रमुख ने आगे लिखा है कि भाजपा की तरफ से ये हास्यास्पद और तर्कहीन बात फैलाई जा रही है कि जब लोग दूसरे कामों के लिए घर से निकल रहे हैं तो परीक्षा क्यों नहीं…

दे सकते। भाजपाई सत्ता के मद में ये भी भूल गए कि लोग मजबूरी में निकल रहे हैं और जो लोग घर पर रहकर बचाव करना भी चाहते हैं आपकी सरकार परीक्षा के नाम पर उन्हें भी बाहर निकलने पर बाध्य कर रही है। ऐसे में अगर किसी परीक्षार्थी, उनके संग आए अभिभावक या घर लौटने के बाद उनके संपर्क में आए घर के बुजुर्गों को संक्रमण हो गया तो इसकी कीमत क्या ये सरकार चुकाएगी? सपा प्रमुख ने पूछा कि कोरोना व बाढ़ में जबकि बस-ट्रेन बाधित हैं तो बच्चे दूर-दूर से कैसे आएंगे? न तो हर एक की सामथ्र्य टैक्सी करने की है और न ही हर शहर में इतनी टैक्सियां हैं। भाजपा के एक प्रवक्ता तो ये तर्क दे रहे हैं कि गरीब तो जैसे पहले प्रबंध करता वैसे अब भी करेगा। दुर्भाग्यपूर्ण, अर्थव्यवस्था के ज्ञाता वो प्रवक्ता ये भूल गए कि संक्रमण के इस आपदाकाल में परिवहन, खाने-ठहरने की सेवाएं अति सीमित हैं मतलब मांग के अनुपात में आपूर्ति नगण्य होने पर सब सेवाएं बहुत अधिक दाम में मिलेंगी। ऐसे में गरीब-ग्रामीण ही नहीं बल्कि वो मां-बाप भी पैसा कहां से लाएंगे, जिनका रोजगार कोरोना व बाढ़ ने छीन लिया है। सपा अध्यक्ष ने लिखा है कि ऐसा लगता है कि भाजपा ये समझ चुकी है कि बेरोजगारी से जूझ रहा युवा और कोरोना, बाढ़ व अर्थव्यवस्था की बदमइंतजामी से त्रस्त गरीब, निम्न व मध्य वर्ग अब कभी उसको वोट नहीं देगा। इसीलिए वो युवाओं और अभिभावकों के खिलाफ प्रतिशोधात्मक कार्रवाई कर रही है। भाजपा को सिर्फ वोट देने वालों से मतलब है। नकारात्मक व हठधर्मी बदले की राजनीति करने वाली भाजपा व उसके सहयोगी दलों के खिलाफ देश में एक नई युवा क्रांति जन्म ले रही है। हम सब साथ हैं, आइए मिलकर कहें- जान के बदले एग्जाम, नहीं चलेगा-नहीं चलेगा।


दे सकते। भाजपाई सत्ता के मद में ये भी भूल गए कि लोग मजबूरी में निकल रहे हैं और जो लोग घर पर रहकर बचाव करना भी चाहते हैं आपकी सरकार परीक्षा के नाम पर उन्हें भी बाहर निकलने पर बाध्य कर रही है। ऐसे में अगर किसी परीक्षार्थी, उनके संग आए अभिभावक या घर लौटने के बाद उनके संपर्क में आए घर के बुजुर्गों को संक्रमण हो गया तो इसकी कीमत क्या ये सरकार चुकाएगी? सपा प्रमुख ने पूछा कि कोरोना व बाढ़ में जबकि बस-ट्रेन बाधित हैं तो बच्चे दूर-दूर से कैसे आएंगे? न तो हर एक की सामर्थ्य टैक्सी करने की है और न ही हर शहर में इतनी टैक्सियां हैं। भाजपा के एक प्रवक्ता तो ये तर्क दे रहे हैं कि गरीब तो जैसे पहले प्रबंध करता वैसे अब भी करेगा। दुर्भाग्यपूर्ण, अर्थव्यवस्था के ज्ञाता वो प्रवक्ता ये भूल गए कि संक्रमण के इस आपदाकाल में परिवहन, खाने-ठहरने की सेवाएं अति सीमित हैं मतलब मांग के अनुपात में आपूर्ति नगण्य होने पर सब सेवाएं बहुत अधिक दाम में मिलेंगी। ऐसे में गरीब-ग्रामीण ही नहीं बल्कि वो मां-बाप भी पैसा कहां से लाएंगे, जिनका रोजगार कोरोना व बाढ़ ने छीन लिया है। सपा अध्यक्ष ने लिखा है कि ऐसा लगता है कि भाजपा ये समझ चुकी है कि बेरोजगारी से जूझ रहा युवा और कोरोना, बाढ़ व अर्थव्यवस्था की बदमइंतजामी से त्रस्त गरीब, निम्न व मध्य वर्ग अब कभी उसको वोट नहीं देगा. इसीलिए वो युवाओं और अभिभावकों के खिलाफ प्रतिशोधात्मक कार्रवाई कर रही है। भाजपा को सिर्फ वोट देने वालों से मतलब है. नकारात्मक व हठधर्मी बदले की राजनीति करने वाली भाजपा व उसके सहयोगी दलों के खिलाफ देश में एक नई युवा क्रांति जन्म ले रही है. हम सब साथ हैं, आइए मिलकर कहें- जान के बदले एग्जाम, नहीं चलेगा-नहीं चलेगा।

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