सरकार बनते ही अपराधी होंगे प्रदेश से फरार : स्वतंत्र देव सिंह

लखनऊ। छठवें चरण के चुनाव से पहले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि भाजपा की सरकार बनाएंगे तभी समृद्धशाली राज्य पाएंगे। दलितों, पिछड़ों सहित सभी वर्गों का सम्मान भाजपा में ही सुरक्षित है। सपा सहित अन्य विपक्षी पार्टियां केवल गुमराह करने का काम करती हैं। उन्होंने कहा कि मोदी व योगी सरकार ने 15 करोड़ लोगों को राशन, सभी को कोरोना टीका के अलावा गरीबों को आवास, गैस कनेक्शन, बिजली सहित अन्य बुनियादी सुविधाओं से आच्छादित किया है। जबसे यूपी में भाजपा की सरकार बनी है अपराध पर अंकुश लगा है। दोबारा योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनते ही एक घंटे के भीतर बचे हुए अपराधी बोरिया बिस्तर बांध कर उत्तर प्रदेश से फरार हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी सहित अन्य विपक्षी पार्टियां भाजपा को सांप्रदायिक बताती हैं। उन्होंने कहा कि राम मंदिर निर्माण कराना, हिंदुत्व के मुद्ïदे पर मुखर होकर बात करना सांप्रदायिकता है तो हम स्वीकार करते हैं कि हां हम सांप्रदायिक हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ही झटके में धारा 370 को खत्म कर दिया। सरदार पटेल की सबसे बड़ी प्रतिमा स्थापित कर दुनिया को एक संदेश दिया।

संकेतों को न समझे तो क्या समझे हुजूर!

 10 मिनट के अपने भाषण में केशव ने मुख्यमंत्री का एक बार भी नाम न लिया
आनंद सिंह
बस्ती। संकेत के बड़े मायने होते हैं। पत्रकारिता में भी, सियासत में भी। सियासी संकेतों की बात करें तो बहुत सारे गूढ़ अर्थ दिखते हैं। शब्दों के संयोजन में बड़ी चतुराई दिखानी पड़ती है। जैसे, रविवार को बस्ती में एक उप मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री महोदय के सामने भाषण दिया लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री का नाम एक बार भी अपने श्रीमुख से लेना गंवारा नहीं समझा। दूसरा संकेत यह कि एक ने जब प्रधानमंत्री महोदय के सामने 10 मिनट का भाषण दे दिया तो प्रधानमंत्री महोदय ने बाकायदा उनकी हौसला अफजाई की-पीठ पर कई धौल जमाए। ठोका। शाबाशी दी। दरअसल, रविवार को बस्ती में प्रधानमंत्री की सभा थी। प्रधानमंत्री जब स्टेज पर आए तो उन्होंने संकेत से उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को बुलाया और कान में कुछ कहा। मंच संचालन हरीश कर रहे थे। हरीश से भी प्रधानमंत्री ने कुछ संकेत में कहा और हरीश ने केशव मौर्य को भाषण देने के लिए बुला लिया। भाषण में केशव मौर्य ने गरीबी, अनाज बंटवारा आदि का जिक्र किया। बीच-बीच में वह लोगों से हाथ उठवाते रहे और तालियां बजवाते रहे। कोरोना काल में सरकार ने जो कुछ भी किया, उसकी क्रेडिट से भी ली। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ का जिक्र एक बार भी नहीं आया। प्रधानमंत्री की इस सभा में प्रदेश के दोनों डिप्टी चीफ मिनिस्टर मौजूद थे। केंद्रीय मंत्री और अपना दल की सर्वेसर्वा अनुप्रिया पटेल को भी भाषण देने का मौका मिला। बस्ती की सभा में मुख्यमंत्री मौजूद नहीं थे। वह सिसवां आदि में जनसभा को संबोधित कर रहे थे।

पूछ सकते हैं इसमें नई बात क्या है

नई बात यह है कि प्रधानमंत्री और एक केंद्रीय मंत्री की मौजदूगी में उप मुख्यमंत्री अपने मुख्यमंत्री का नाम नहीं लेते। इतना ही नहीं, भाषण समाप्त होने के बाद प्रधानमंत्री से जब वह मिलते हैं तो प्रधानमंत्री उनकी पीठ भी ठोकते हैं। बस्ती भाजपा में इस घटनाक्रम को लोग अपने ही हिसाब से देख रहे हैं। इस बात की भी चर्चा शुरू हो गई है कि अगर भाजपा चुनाव जीत जाती है तो मुख्यमंत्री के तौर पर आदित्यनाथ रहेंगे या केशव…? बहरहाल, ये संकेत हैं। संकेतों को समझना जरूर चाहिए।

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